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गठिया के कारण, लक्षण, घरेलू दवाएं/आयुर्वेदिक औषधि एवं उपचार विधि

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क्या होता है गंठिया What is Arthritis?

जब हड्डियों के जोडो़ में यूरिक एसिड इकट्ठा हो जाता है तो वह गठिया रोग का रूप धारण कर लेता है। यूरिक एसिड कई तरह के व्यंजन को खाने से बनता है। जिसमें रोगी के जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस तरह के रोगों में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है। आज इस बीमारी की बढ़ती संख्या लोगों में चिंता का विषय बनता जा रहा है। इसलिए इस रोग को गठिया रोग कहते हैं। यह कई तरह का रोग होता है, जैसे-एक्यूट, आस्टियो, रूमेटाइट, गाउट आदि। अगर सिर्फ भारत की बात किया जाये तो यहां लगभग 15 % लोगों में अर्थराइटिस पाया जाता है। यदि आपके परिवार में गठिया की बीमारी पूर्वजों से चली आ रही है तो इस बीमारी का अधिक समय तक बने रहने की संभावना बढ़ जाती है।

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गठिया रोग के कारण
गठिया रोग शरीर में यूरिक एसिड के अधिक हो जाने से भी होता है। यह वह विषेला पदार्थ है जिसे शरीर में से मूत्राशय के माध्यम से बाहर निकाल जाता है। इस प्रक्रिया को करने में किडनी मुख्य भूमिका निभाती है। जब किडनी अपना कार्य सुचारू रूप से नहीं करती है तो ये पदार्थ शरीर में इक्कठा होने लगता है और फिर ये जोड़ो में जाकर दर्द का कारण बन जाता है। यह रोग अनुवांशिक भी होता है, इसका मतलब परिवार के एक सदस्य से दुसरे में भी हो जाता है।

गठिया रोग के लक्षण जैसे- पीठ, जोड़ों, या मांसपेशियों में दर्द, प्रभावित मांसपेशियों की कठोरता, सूजन और कोमलता, थकान, त्वचा पर रेश या लाली, उंगली जोड़ों पर सूजन, त्वचा पर शारीरिक विकृति, पिन और सुइयों की सनसनी इत्यादि।

गठिया में घृतकुमारी या एलोवेरा के इलाज: गंठिया रोग से परेशान मरीज को घृतकुमारी या ग्वारपाठा को कोमल गूदा नियमित रूप से 10 ग्राम की मात्रा में प्रातः सांय खाने से गठिया से निदान मिलता है।

गठिया में गिलोय के उपचार: गठिया रोग से ग्रसित मरीज को दूध के साथ गिलोय का चूर्ण 2-5 ग्राम की मात्रा में दिन में दो-तीन बार खिलाने से गठिया और अनुवंशिका मिटती हैं। तथा गठिया रोग से फौरन आराम मिलता है।

गठिया के दर्द में अदरक के प्रयोग: गठिया के दर्द में अदरक के पेस्ट को हल्दी के साथ दिन में दो तीन बार दर्द से प्रभावित स्थान पर लेप करने से या कच्चे पके अदरक को भोजन के साथ प्रयोग करने से दर्द कर रही मांशपेशियों की वेदना शांत होती है। तथा स्नान करते समय अदरक के तेल को पानी में दो चार बून्द डाल सकते है। गठिया के दर्द में लाभदायक होता है।

गठिया रोग में अजमोद के प्रयोग: गठिया रोग में अजमोद वायबिडंग, देवदारु, चित्रक, पिपला मूल सौंफ, पीपल, काली मिर्च 10-10 ग्राम हरड़, विधारा 100 ग्राम, शुंठी 100 ग्राम, सबको एक साथ पीसकर महीन चूर्ण बना ले। पुराना गुड़ 6 ग्राम की मात्रा में मिश्रित कर उष्ण जल के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से सूजन जोड़ों का दर्द, पीठ व जांघ का दर्द नष्ट हो जाता है।

गंठिया रोग में अलसी के इलाज: गंठिया रोग से शीघ्र छुटकारा पाने के लिए 4 भाग कुटी हुई अलसी को 10 भाग उबलते हुए पानी में डालकर धीमी आंच पर पका लें, पक जाने पर इसका पुल्टिस बना ले, पुल्टिस बहुत मोटी नहीं होनी चाहिए। पुल्टिस को गांठ पर बांध लेने से गंठिया रोग में लाभ होता हैं।

गठिया में आँवला के उपचार: गंठिया रोग में 20 ग्राम सूखे आंवलों और 20 ग्राम गुड़ को आधा लीटर पानी में उबाले और जब 250 ग्राम पानी शेष रह जाये तो छानकर प्रात-सांय रोगी को पिलाने से गठिया रोग में लाभ होता है। रोगी कृपया ध्यान दे की नमक का सेवन कम से कम मात्रा में करें।

गंठिया में अमलतास के प्रयोग: गंठिया रोग में अमलतास मूल 5-10 ग्राम को 250 ग्राम दूध में उबाकर सेवन करने से गंठिया रोग नष्ट हो जाता है।

सन्धिवात (गंठिया) में अनन्तमूल के उपाय: गंठिया रोग में अनन्तमूल के चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ दिन में दो-तीन सेवन करने से सन्धिवात (गंठिया रोग) में शीघ्र लाभ होता है।

गंठिया रोग में अंकोल के इलाज: गठिया रोग से ग्रस्त मरीज को अंकोल के पत्तों को आग में भून कर गांठ पर बांधने से गठिया रोग की पीड़ा में फौरन आराम मिलता है।

गंठिया रोग में अमर बेल के प्रयोग: गठिया रोग से तत्काल छुटकारा पाने के लिए अमर बेल को गर्म करके वेदनायुक्त स्थान पर सेक करने से गांठ की पीड़ा और सूजन शीघ्र दूर हो जाती है अथवा वफरा देने के बाद उसी पानी से स्नान करने तथा मोटे कपड़े से शरीर को खूब पौंछे लेने तथा घी का अधिक सेवन करने से गंठिया की पीड़ा में लाभकारी होता है। अमरबेल का बफारा देने से अंडकोष की सूजन दूर होती है।

गठिया रोग में अमरुद के उपाय: गठिया रोग में अमरुद के कोमल पत्तों को पीसकर वेदनायुक्त स्थान पर लेप करने से गंठिया रोग में आराम मिलता है।

गंठिया रोग में अर्जुन के इलाज: गंठिया रोग में अर्जुन की जड़ की छाल का चूर्ण और गंगेरन की जड़ की छाल को समभाग मात्रा में चूर्ण कर 2-2 ग्राम की मात्रा में चूर्ण नियमित प्रातःसांय फंकी का सेवन करने से या दूध पीने से गठिया रोग में शीघ्र लाभ होता है।

गंठिया रोग में आक के उपचार: गठिया रोग में आक फूल, काली मिर्च, सौंठ, हल्दी व नागरमोथा बराबर मात्रा लें। इन सभी को जल के साथ महीन पीसकर चने जैसी गोलियाँ बना लें, और सुबह-सांय जल के साथ 2-2 गोलियों का सेवन करें, आक के 2-4 पत्तों को कूटकर पोटली बना ले, घी लगाकर गर्म कर सेंक करें। सेकने के पश्चात आक के पत्तों पर घी चुपड़कर गर्म करके बांध देने से गांठ बिखर जाती है।

गंठिया रोग में श्योनाक के इलाज: सन्धिवात में आमवात तथा वात प्रधान रोगों में श्योनाक की जड़ व सौंठ का फ़ॉन्ट बनाकर दिन में तीन बार 50 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से लाभ होता है। सोनपाठा की छाल के चूर्ण को 125 मिलीग्राम से 240 मिलीग्राम तक की मात्रा में सुबह-शाम-दोपहर नियमित रूप सेवन करने से तथा इसके पत्तों को गर्म करके गांठों पर बांधने से गांठ की सूजन बिखर जाती है और पीड़ा कम हो जाती है।

गंठिया रोग में अरणी के उपचार: गठिया रोग में अरणी के पंचांग का 100 मिलीलीटर क्वाथ सुबह-शाम पिलाने से गठिया और स्नायु की वात पीड़ा से निदान मिलता है।

गंठिया रोग में अश्वगंधा के प्रयोग: गठिया रोग में असगंध के पंचाग को कूट छानकर 25-45 ग्राम तक की मात्रा में सेवन करने से गठिया का दर्द शीघ्र ही दूर हो जाता है। गठिया में असगंध के 30 ग्राम ताजे पत्ते को 250 ग्राम पानी में उबालकर पानी शेष रह जाये तो छानकर पीने से एक सप्ताह में गठिया, जकड़ा और गांठ बिखर जाती है इसका लेप करने से लाभ होता है। अश्वगंधा के चूर्ण को दो ग्राम सुबह-शाम गर्म दूध तथा गर्म पानी के साथ पीने से गठिया के रोगी को आराम मिलता है।

गंठिया में बकायन के उपाय: गठिया रोग में बकायन के बीजों को सरसों के साथ पीसकर लेप करने से गठिया रोग में शीघ्र प्रभाव पड़ता है तथा गांठ बिखर जाती है।

गंठिया रोग में बला के इलाज: गठिया रोग में बला की जड़ 5 से 10 ग्राम का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम तथा दोपहर पिलाने से मूत्र अधिक आकर गठिया, वातरक्त रोग में लाभ होता है। अंगुली के पोरों की गांठ में होने वाले कष्टदायक व्रण पर बला के कोमल पत्तों को पीसकर टिकिया बनाकर गांठ पर बांधे दें, ऊपर से ठंठा जल डालते रहें। इस प्रकार सुबह-शाम सेवन करने से शीघ्र लाभ होता है।

गंठिया रोग में भांग के उपचार: गठिया रोग में भांग बीजों के तेल की मालिश गंठिया पर नियमित करने से रोग ठीक होता है।

गंठिया रोग में चालमोंगरा के उपाय: गठिया रोग में चालमोंगरा के बीज का चूर्ण एक ग्राम की मात्रा को दिन में दो तीन बार खिलाने से गठिया रोग में आराम दायक होता है।

गंठिया रोग में चित्रक के इलाज: गठिया रोग में लाल चित्रक मूलत्वक को तेल में मिलाकर मालिश करने से पक्षाघात और गठिया रोग का दर्द कम होता हैं। चित्रक मूल, आंवला, हरड़, पीपल, रेबंद शक्कर, सेंधा नमक इन सब चीजों को समान भाग लेकर चूर्ण बनाकर 4 ग्राम से 5 ग्राम तक की मात्रा में प्रतिदिन रात के समय गर्म पानी के साथ सेवन करने से पुराना गंठिया रोग वायु रोग और आँतों के रोग में लाभदायक होता है।

गंठिया में दालचीनी के उपचार: सन्धिवात में दालचीनी का 15-20 ग्राम चूर्ण को 15-30 ग्राम शहद में मिलाकर क्वाथ बना लें, पीड़ायुक्त गांठ पर असते-असते मालिश करने से गठिया रोग लाभ होता है इसके साथ-साथ एक कप गुनगुने जल में 1 चम्मच हानि एवं दालचीनी का 2 ग्राम चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम नियमित रूप सेवन करने से रोग ठीक जाता है।

जोड़ो का दर्द में धनिया के प्रयोग: जोड़ो का दर्द में 10 ग्राम धनिया के चूर्ण में चीनी मिलाकर सुबह-शाम खाने से सर्दी में होने वाला जोड़ो का दर्द मिट जाता है।

गंठिया रोग में धतूरा के इलाज: गठिया रोग में धतूरा के पंचाग का स्वरस को तिल के तेल में पकाकर ले, जब तेल शेष रह जाये, तो इस तेल की मालिश करके या ऊपर धतूरा के पत्ते बांधने से गठिया रोग वाय का दर्द नष्ट हो जाता है इस तेल का लेप करने से सूखी खुजली और गठिया में लाभ होता हैं। जोड़ों के दर्द में धतूरा के सत का आधी ग्रेन की मात्रा में तीन बार सेवन करने से लाभ होता है।

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गंठिया रोग में अरंडी के उपचार: वात शूल (गंठिया रोग) में अरंडी के बीज को पीसकर लेप करने से छोटे फोड़े और गठिया की सूजन बिखर जाती हैं। गंठिया में एरंड तेल सर्वोत्तम गुणकारी है पाश्वशूल, गृध्रसी, हृदय शूल, कटिशूल, कफजशूल, आमवात और सन्धिशोधन, इन सब रोगों में एरंड की जड़ 10 ग्राम और सौंठ का चूर्ण 5 ग्राम का काढ़ा बना कर सेवन करने से गंठिया की पीड़ा शांत होती है।

गंठिया रोग में खुरासानी अजवायन के प्रयोग: गंठिया रोग में तिल के तेल में खुरासानी अजवायन को सिद्ध कर मालिश करने से गंठिया, गृध्रसी, कमर दर्द आदि रोगो में लाभ होता है।

गंठिया रोग में ईसबगोल के इलाज: गठिया के जोड़ो के दर्द में ईसबगोल की पुल्टिस बांधने या ईसबगोल के पत्तों को गर्म-गर्म बांधने से गंठिया के खून बिखर जाते है गंठिया के रोगी को शीघ्र आराम मिलता है।

गंठिया रोग में गंभारी के उपाय: वातरक्त (गंठिया) में मुलेठी और गंभारी फल का 50-90 मिलीलीटर क्वाथ बनाकर दिन में दो तीन बार पिलाने से गंठिया रोग में लाभ होता है तथा गंठिया की सूजन बिखर जाती है।

गंठिया में गोखरू के प्रयोग: आमवात (गंठिया) में गोखरू फल एवं सौंठ की 15-20 ग्राम मात्रा को 400 मिलीलीटर पानी में उबालकर चतुर्थाश शेष क्वाथ सुबह-शाम में सेवन करने से गंठिया रोग में लाभ होता हैं। गोखरू के सेवन से कटिशूल नष्ट हो जाते हैं। पाचन शक्ति बढ़ती हैं तथा वेदना दूर होती हैं।

गंठिया रोग में गोरखमुंडी के इलाज: आमवात (गंठिया) में फल के साथ समभाग सौंठ चूर्णम उष्णोदक से सुबह-शाम 3 ग्राम सेवन करें तथा फलों को महीन पीसकर पीड़ायुक्त स्थान पर लेप करने से गंठिया की पीड़ा शांत होती है।

गंठिया रोग में हल्दी के प्रयोग: गठिया रोग में दारू हल्दी की शाखाओं का 10-15 ग्राम क्वाथ पीने से पसीना और विरेचन होकर गठिया की पीड़ा शीघ्र शांत होती है। दारु हल्दी की जड़ का सूखा सत्व बच्चों को विरेचन में दिया जाता हैं।

गंठिया रोग में इन्द्रायण के उपचार: गठियाँ रोग में इन्द्रायण के गूदे के आधा किलो रस में हल्दी, सैंधा नमक, बड़े हुतनीला की छाल 11 ग्राम डालकर बारीक पीस लें, जब पानी सूख जाये तो 3-5 ग्राम की गोलीयां बना लें। एक-एक गोली सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से गठिया से जकड़ा हुआ रोगी चलने-फिरने लग जाता हैं।

गंठिया रोग में करेला के कच्चे हरे फलों के इलाज: गठिया रोग में करेला के कच्चे हरे फलों के रस को गर्म करके लेप करने से गठिया रोग में लाभ होता हैं।

गंठिया रोग में काली मिर्च के प्रयोग: गठिया रोग में काली मिर्च के सिद्ध तेल सुबह-शाम तथा दोपहर मालिश करने से गंठिया रोग लाभ होता है।

गंठिया रोग में मरुआ के इलाज: गठिया रोग में मरुआ के पंचांग का क्वाथ बनाकर 100 मिलीलीटर दिन में दो तीन बार गंठिया रोगी को पिलाने से गठिया रोग में लाभ होता हैं।

घुटनों का दर्द में मेंहदी के उपचार: घुटनों के दर्द में मेंहदी और एरंड के पत्तों को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर थोड़ा गर्म करके घुटनों पर लेप करने से घुटनों की पीड़ा शांत हो जाता है।

गंठिया रोग में लाल मिर्च के उपाय: गंठिया रोग से ग्रसित मरीज को लाल मिर्च के तेल अथवा लाल मिर्च के सूखे फलों को पीसकर लेप करने से गंठिया रोग में अत्यंत लाभ होता है।

घुटने के दर्द में नागरमोथा के इलाज: घुटने के दर्द में नागरमोथा मूल कैप्सूल में भर कर गंठिया रोगी को खिलाने से घुटने के दर्द में शीघ्र आराम मिलता है।

गंठिया रोग में नीम के उपचार: गठिया रोग में नीम पत्र 20 ग्राम, कड़वे परवल के पत्र 20 ग्राम दोनों को 300 ग्राम जल में पकाकर, चौथाई क्वाथ शेष रहने पर शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से गंठिया रोगी को शीघ्र लाभ होता है।

गठिया में नीम्बू जम्भीरी के प्रयोग: गंठिया रोग में जम्भीरी या कागजी नींबू के रस का शर्बत बनाकर नियमितरूप से सुबह-शाम तथा दोपहर पिलाने से गठिया रोग ठीक हो जाता है

गंठिया रोग में निर्गुन्डी के प्रयोग: गंठिया रोग से ग्रसित मरीज को निर्गुन्डी के 10 ग्राम पत्तों को 80 ग्राम पानी में उबालकर सुबह-शाम तथा दोपहर उपयोग में लाने से गंठिया रोग में आराम मिलता है। निर्गुन्डी के पत्तों से सिद्ध तेल की मालिश करने से तथा हल्का गरम् करके तेल लगाकर कपड़ा बांधने से गंठिया रोग में लाभ होता है।

गंठिया रोग में प्याज के प्रयोग: गठिया रोगी को प्याज का रस और काली सरसों का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर नित्य मालिश करने से गठिया रोग की पीड़ा शांत हो जाती है।

गंठिया रोग में पलाश के उपचार: सन्धिवात में पलाश के बीज को महीन चूर्ण बनाकर हानि के साथ मिलाकर दर्द/वेदना के स्थान पर लेप करने या पुल्टिस बाँधने से गंठिया रोग में शीघ्र लाभ होता है।

गांठों की सूजन में पान के उपाय: ग्रंथि सूजन होने पर पान को गरम करके गांठों पर बांधने या पान को पीसकर लेप करने से सूजन और पीड़ा शांत होकर गांठ की सूजन बिखर जाती है।

गंठिया रोग में पवांड़ के इलाज: गंठिया रोग में पवांड़ के 5-10 पत्तों को एरंड तेल में भून कर पुल्टिस बनाकर बांधने या लेप करने से गंठिया रोग में फौरन लाभ होता है।

गांठ की पीड़ा में पुनर्नवा के प्रयोग: गाँठ की पीड़ा में सफ़ेद पुनर्नवा की मूल को सरसों तेल में सिद्ध करके पैरो के तालू में मालिश करने से गांठों की पीड़ा दूर हो जाती है।

गंठिया रोग में राई के उपचार: संधिशूल (गंठिया रोग) में आमवात या सूजाक के कारण या अन्य किसी कारण से जोड़ों पर सूजन और पीड़ा हो, तथा नवीन अर्धांगवात से शून्य हुये अंग पर राई के लेप में कपूर मिलाकर मालिश करने से गंठिया रोग में बहुत लाभ होता है।

गांठ में राई के इलाज: गाँठ कुक्षी (बगल) में होने वाली गांठ को पकाने के लिये, गुड़, गुग्गुल और राई को बारीक पीस, जल में पीसकर कपड़े की पट्टी पर लेप कर गांठ पर लेप या पट्टी बनाकर गांठ पर बांधने से गांठ पककर बिखर जाती है।

गांठ की वृद्धि में राई के उपाय: गांठ की वृद्धि में राई और समभाग काली मिर्च के चूर्ण को गाय के घी में मिलाकर गांठ पर लेप करने से गांठ की वृद्धि रुक जाती है। रसौली और अर्बुदों की वृद्धि रोकने के लिये राई अत्यंत गुणकारी है।

गंठिया रोग में काली राई के प्रयोग: गठिया रोग में राई का प्लास्टर बाँधने से गठिया रोग की वेदना फौरन मिट जाती है। काली राई के तेल में कपूर मिलाकर लेप करने से भी गठिया रोग में लाभ होता है।

गंठिया रोग में सहिजन के उपचार: गंठिया रोग की समस्या से छुटकारा पाने के लिए गंठिया रोगी को सहिजन की ताज़ी जड़ को अदरक और सरसों के साथ पीसकर लेप करने से गठिया रोग मिट जाती है। इसकी गोंद का लेप करने से गठिया की सूजन बिखर जाती है।

घुटनों की पुरानी पीड़ा में सहिजन के इलाज: घुटनों की पुरानी से पुरानी पीड़ा में सहिजन के पत्तों को बराबर के तेल में महीन पीसकर गुनगुना कर घुटनों पर लेप करने से घुटनों की पुरानी पीड़ा मिटती है।

जोड़ों की पीड़ा में कनेर के उपाय: जोड़ों की पीड़ा में कनेर के पत्तों को पीसकर तेल में मिलाकर लेप करने से जोड़ों की पीड़ा शांत होती है। सफेद कनेर के पत्तों के क्वाथ से उपदंश के ब्राणों को धोने से घाव शीघ्र भर जाता है।

सन्धिवात में सूर्यमुखी के प्रयोग: सन्धिवात में सूर्यमुखी के पत्तों को जल के साथ पीसकर छानकर गर्म करके लेप करने या मालिश करने से सन्धिवात में लाभदायक होता है।

सन्धिवात रोग में तगर के इलाज: सन्धिवात रोग में तगर को यशद भस्म के साथ प्रयोग में लाने से गठिया रोग, पक्षाघात आदि रोग दूर हो जाते है। वंक्षण संधि की पीड़ा में तगर की हरी जड़ की छाल 3 ग्राम को छाछ में पीसकर पिलाने से संधि की पीड़ा शांत होती है।

सन्धिवात रोग में तेजपात के उपचार: सन्धिवात रोग में तेजपात के पत्तों को जोड़ों पर लेप करने से सन्धिवात रोग में लाभ होता है।

गंठिया रोग में तिल के प्रयोग: सन्धिवात (गंठिया रोग) में तिल तथा सौंठ समभाग लेकर प्रतिदिन 5-6 ग्राम तीन से चार बार सेवन करने से गंठिया रोग में लाभ होता है।

गंठिया रोग में तुलसी के उपाय: गंठिया रोग में संधिशोथ एवं गठिया के दर्द में तुलसी पंचाग का चूर्ण 3-4 ग्राम सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करने से गंठिया रोग में आराम मिलता है।

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