अलसी के फायदे, औषधीय गुण, घरेलू दवाएं

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अलसी के औषधीय गुण, फायदे, नुकसान एवं औषधीय प्रयोग

अलसी की दवा सिरदर्द, गंठिया, यौनि रोग, वीर्य वर्धक, पेशाब की जलन, कमर दर्द, टी.बी., दस्त, खांसी, कान दर्द, आंत की कमजोरी, श्वांस, नेत्राभिष्यन्द, पित्त, तिल्ली, घबराहट, नींद आदि बीमारियों के इलाज में अलसी के फायदे, औषधीय गुण, घरेलू दवाएं, अलसी के औषधीय चिकित्सा प्रयोग निम्मलिखित प्रकार से किये जाते है:-

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सिरदर्द में अलसी के औषधीय प्रयोग:

सिरदर्द में अलसी बीजों को शीतल जल में पीसकर लेप करने से सिरदर्द कम हो जाता है, मस्तक पीड़ा तथा सिरदर्द में लाभ होता है।

गंठिया रोग में अलसी के औषधीय प्रयोग: 

गंठिया रोग में 4 भाग कुटी हुई अलसी, 10 भाग उबलते हुए पानी में डालकर धीर-धीरे मिलायें। इसका पुल्टिस बना ले, पुल्टिस बहुत मोटी नहीं होनी चाहिए। गंठिया रोग में लाभदायक होता हैं।

यौनि रोग में अलसी के औषधीय प्रयोग:

यौनि रोग में 50 ग्राम अलसी, मुलेठी 3 ग्राम, दोनों को दरदरा कूरकर डेढ़ पाव जल के साथ मिटटी के बर्तन में हल्की आंच में पकायें। जब 50 ग्राम जल शेष रह जाये तो छानकर 2 ग्राम कलमी शोरा मिलाकर 2 घंटे के अंतर् से 20-20 ग्राम पिलाने से यौनि रोग में आराम मिलता है।

वीर्य वर्धक में अलसी के औषधीय प्रयोग:

वीर्य वर्धक में अलसी, काली मिर्च और शहद के साथ तीसी का सेवन करने से कामोद्दीपक तथा वीर्य को गाढ़ा करने में मददगार होता है।

पेशाब की जलन में अलसी के औषधीय गुण:

पेशाब की जलन में अलसी और मुलेठी समभाग लेकर कूट लें। मिश्रण का 40-50 ग्राम चूर्ण मिटटी के बर्तन में डालकर उसमे 1 किलोग्राम उबलता जल डालकर ढक लें। दो घंटे बाद छानकर इसमें 25 से 30 ग्राम तक कलमी शोरा मिलाकर बर्तन में रख लें। तीन घंटे के अंतर् से 25 से 30 मिलीलीटर तक इस जल का सेकं करने से 24 घंटे में ही पेशाब की जलन, पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब में खून आना, मवाद आदि बहना, सुरसुराहट होना आदि शिकायतें दूर हो जाती हैं।

कमर दर्द में अलसी के औषधीय गुण:

अलसी तेल को गर्म कर इसमें शुंठी चूर्ण मिलाकर मालिश करने से कमर दर्द दूर होता है।

टी.बी रोग में अलसी के औषधीय गुण:

टी.बी. में 25 ग्राम अलसी के बीजों को पीसकर रातभर ठन्डे जल में भिगोकर रखें, प्रातः काल छानकर इस जल को कुछ गर्म कर इसमें नीबू का रस मिलकर पिलाने से टी.बी. के रोगी को बहुत लाभ होता है।

दस्त में अलसी के औषधीय गुण:

दस्त में अलसी के चार से छः ग्राम तेल को पिलाने से दस्त में लाभदायक होता है।

खासी में अलसी के औषधीय प्रयोग:

खांसी में अलसी के बीजों को भूनकर शहद के साथ चाटने नियमित रूप से सेवन करने से खांसी में लाभदायक होता है।

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कान की सूजन में अलसी के औषधीय गुण:

कान की सूजन में अलसी को प्याज के साथ पकाकर उसे कान में टपकाने से कान की सूजन मिटती है।

आंत में अलसी के औषधीय प्रयोग:

आंत की कमजोरी में अलसी के तेल 4-8 ग्राम मात्रा में नियमित रूप पिलाने से आंत की कमजोरी दूर होती है।

श्वास कास में अलसी के औषधीय प्रयोग:

श्वास-रोगी को 5 ग्राम अलसी के बीज, 50 ग्राम पानी में भिगोकर रखें, और 12 घंटे बाद जल पी लें। प्रातः काल भिगोया हुआ सांयकाल और शाम को भिगोया हुआ सुबह को पी लें। इस जल के सेवन से श्वास-ग्रस्त रोगी को बहुत शक्ति मिलती है।

पित्त रोग में अलसी के औषधीय प्रयोग:

पित्त रोग में अलसी को तवे पर भली-भांति भून ले 50 ग्राम उसमें 50 ग्राम मिश्री, 10 ग्राम मिर्च चूर्ण, मिलाकर मधु के साथ घोंटकर 3-6 ग्राम तक की गोलियां बना लें।  बच्चों को 3 ग्राम की तथा बड़ो को 6 ग्राम तक की गोलियां प्रातः काल सेवन कराने से पित्त में लाभ होता है। एक घंटा तक जल न पीयें।

नेत्राभिष्यन्द में अलसी के औषधीय प्रयोग:

नेत्राभिष्यन्द (आँख का लाल होना) अलसी के बीजों का लुआब नेत्र में टपकाने से नेत्राभिष्यन्द या नेत्र का लाल होन बंद हो जायेगा।

तिल्ली में अलसी के औषधीय गुण:

तिल्ली में भूनी हुई अलसी ढाई ग्राम की मात्रा में शहद के साथ लेने से तिल्ली में लाभ होता है।

घबराहट में अलसी के औषधीय प्रयोग:

घबराहट में 3 ग्राम अलसी बीजों को मोटा कूटकर 250 ग्राम उबलते हुए जल में भिगो दें और एक घंटा ढक कर रख दें। तत्पश्चात छानकर थोड़ी शक्कर मिलकर सेवन करने से घबराहट दूर होती है। तथा मूत्र भी साफ़ होता है।

नींद में अलसी के औषधीय गुण:

नींद (नींद न आती हो तो) अलसी तथा अरंड का शुद्ध तेल, बराबर मात्रा में मिलाकर कांसे की थाली में कांस्य पात्र से ही खूब घोंटकर आंख में सुरमे की तरह लगाने से नींद अच्छी आती है

अलसी के नुकसान

गर्भवती महिलाओं को अलसी के बीज का अत्यधिक सेवन करने से गर्भपात में नुकसान दायक होता है।

अगर आप मधुमेह की दवा करा रहे हो तो अलसी के बीज का सेवन न करे। क्योंकि अलसी के बीज में अधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है।

अलसी को अधिक मात्रा में सेवन करने से एलर्जिक रिऐक्शन का कारण भी बन जाता है। इसके कारण पेट दर्द, जी मचलाना और उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती है।

अलसी का परिचय

अलसी बीज मधुर, मंद गंध युक्त, स्निग्ध, उष्ण, चरपरी, गुरु, बलकारक, कामोद्दीपक,अल्प मात्रा में मूत्रकारक, शोथहर, अधिक मात्रा में रेचक, वातनाशक तथा वातरक्त, कुष्ठ, व्रण, पृष्ठशूल, शुक्र, कफ, पित्त है।

अलसी के गुण-धर्म

अलसी मधुर, पिच्छिल, वातनाशक, मदगंधी, कुछ कसैला, बलकारक, भारी, गर्म, मलकारक, स्निग्ध, ग्राही, कफ कासनाशक तथा त्वक दोष हर हैं।

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