इमली की दवाएं:- Emli बवासीर, सफ़ेद दाग, वीर्यवर्धक, वीर्य शीघ्र पतन, लू का असर, प्रमेह, हैजा, सूजन, दाद, फोड़े-फुंसी, प्रवाहिका, पेट दर्द, अरुचि, दस्त, खुनी दस्त, वमन, कंठ की सूजन, आँख की पलक की फुंसी, नेत्र की सूजन, मुखपाक, मस्तक पीड़ा, बहुमूत्र, क्षुधावर्धक पन्या, कमजोरी, गांठ, चोट-मोच, दाह, पित्त विकार, घबराहट, पित्तज ज्वर, घाव, शीतला, शराब की नशा, कब्ज, कटे-जले, सर्प विष आदि बिमारियों के घरेलू दवाएं एवं औषधीय चिकित्सा प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से किये जाते है. इमली के फायदे और नुकसान एवं सेवन विधि
Table of Contents
इमली में साइट्रिक अम्ल, टार्टरिक अम्ल, पोटेशियम-13% बाइटट्रेट तथा अंशतः मेलिक एसिड एवं शर्करा, प्रोटीन-5% ऊर्जा-12% कार्बोहाइड्रेट-40% कुल वसा-3% कोलेस्ट्रोल-0% सोडियम-2% कैल्शियम-7% कॉपर-9.5% लौह तत्व-35% फास्फोरस-16% मैग्नीशियम-23% तथा इमली में अघुलनशील तत्व पाये जाते हैं।
स्वास्थ्य वर्धक आयुर्वेदिक
औषधि Click Hereजड़ी-बूटी इलाज
Click Here
रक्तार्श (बवासीर) में इमली के पुष्पों का रस 15-20 ग्राम दिन में दो तीन बार पिलाने से बवासीर में शीघ्र लाभ होता है। इमली के बीजों की भस्म को एक से दो ग्राम तक दही के साथ चटाने से बवासीर में लाभ होता है।
सफेद दाग में इमली के बीजों की मींगी और बावची दोनों को बराबर मात्रा लें, पीसकर इमली लकड़ी से लगाने से सफेद दाग में लाभ होता है।
वीर्यवर्धक में इमली को पानी में कुछ दिन भिगोकर छिलका उतार दें, छिलके निकले सफेद बीजों को सूखाकर बारीक चूर्ण रख लें, एक चम्मच की मात्रा में दिन में दो तीन बार दूध के साथ सेवन करने वीर्य का पतलापन दूर होता हैं। इमली के बीजों को भूनकर, छिलका उतारकर चूर्ण कर, बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर लगातार 10 दिन तक सुबह-शाम सेवन करने से वीर्य का पतलापन, पेशाब की जलन तथा मूत्र-दाह दूर होती है। इमली के चीए 10 ग्राम को जल में चार दिन तक भिगोकर छील लें तथा उसमें गुड़ दो भाग मिलाकर चने समान गोलियां बनाकर रख लें। रात्रि में सोते समय एक-दो गोली का सेवन करने से वीर्य स्तम्भन होता है।
वीर्य का शीघ्र पतन में इमली के चीए 10 ग्राम को जल में चार दिन तक भिगोकर चिल तेन तथा उसमें गुड़ दो भाग मिलाकर चने समान गोलियां बनाकर रख लें, रात्रि में सोते समय एक दो गोलियों का सेवन करने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है।
लुक का असर इमली के फल के गूदे को ठंडे पानी में पीसकर, मुंडे हुए सिर पर लगाने से लू का असर और बेहोशी मिटती है। पकी हुई इमली को पानी में मल उस पानी में कपड़ा भिगोकर शरीर कुछ देर तक पोछने-फेरने से लू का असर मिटता है।
प्रमेह में इमली 120 ग्राम इमली के बीजों को 250 ग्राम दूध में भिगो दें, तीन दिन के बाद छिलके उतारकर, स्वच्छ कर पीस लें। सुबह-शाम 6 ग्राम की मात्रा में गोदुग्ध या जल के साथ लेने पर प्रमेह रोग दूर होता है।
पुरानी इमली का एक किलो गूदा दुगने जल में भिगोकर दूसरे दिन प्रातः काल आग पर दो तीन उबाल देने के बाद आग से नीचे उतारकर, मसलकर छान ले और बाद में दो किलो शक्कर मिलाकर चाशनी बना लें। गर्म चाशनी को छानकर, शीतल करके बोतल में भर लें, तीन-तीन घंटे के अंतर से 20 से 40 ग्राम तक की मात्रा सेवन करने से हैजा में शीघ्र लाभ होता है।
शोथ (सूजन) में इमली के पत्तों की पुल्टिस बनाकर सूजन पर बांधने से पीड़ा मिट जाती है तथा सूजन बिखर जाती है।
दाद में इमली के बीज को नीबू के रस में पीसकर लेप करने से दाद नष्ट हो जाती है।
फोड़े, फुन्सियां में इमली के 15 ग्राम पत्तों को गर्म करके उनकी पुल्टिस बनाकर बांधने से फोड़ा पककर शीघ्र फूट जाता है। इमली के बीजों की पुल्टिस बांधने से फुंसिया नष्ट हो जाती है।
प्रवाहिका (पेचिस) में इमली की पत्तियों के रस को लाल किये हुए लोहे से छोंककर 15-20 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन चार बार कुछ दिनों तक सेवन करने से पेचिस में लाभ होता है।
उदरशूल (पेट दर्द) में इमली की छाल को सैंधा नमक के साथ एक मिटटी के बर्तन में रखकर जला लें, सफेद राख को 120 मिलीग्राम की मात्रा में अजीर्ण और पेट दर्द में लाभ होता है।
अरुचि (भूख न लगना) में पकी इमली का पानी पीने से भूख बढ़ती है आँतों के घाव मिटते हैं।
अतिसार (दस्त) में इमली के 10-10 ग्राम पत्तों को 350 ग्राम पानी में पकाकर चतुर्थाश शेष काढ़ा पिलाने से दस्त नष्ट हो जाता है। इमली के पत्तों के 5-10 ग्राम रस थोड़ा गर्म करके पिलाने से भी दस्त व खुनी दस्त नष्ट हो जाता है:दस्त में तुलसी के फायदे एवं सेवन विधि:CLICK HERE
खुनी दस्त में इमली के बीजों की मींगी का चूर्ण 3-6 ग्राम पानी के साथ सुबह-शाम फंकी देने से अतिसार और आमातिसार मिटता है। इमली के पुराने वृक्ष से जड़ की छाल और काली मिर्च आधी मात्रा में दोनों लेकर छाछ पीसकर, मटर के आकार की गोलियां बनाकर एक से दो गोली दिन में दो तीन बार सेवन करने से खुनी दस्त शीघ्र मिट जाता है।
छर्दि (उल्टी) में इमली का शर्बत बनाकर पिलाने से उल्टी बंद हो जाती है।
कंठ शोथ (कंठ की सूजन) में 5 ग्राम इमली को दो किलो जल में उबालकर जब आधा शेष रह जाये तो उसमें 15 ग्राम गुलाब जल मिलाकर छानकर कुल्ले करने से कंठ की सूजन नष्ट हो जाती है।
नेत्र शोथ में इमली के पुष्पों की पुल्टिस बांधने से आँख की सूजन बिखर जाती है।
मुखपाक में इमली के पानी से कुल्ले करने से पित्त जन्य मुखपाक मिटता है।
मस्तक पीड़ा में 15 ग्राम इमली को एक गिलास पानी में भिगोकर थोड़ा-मल-छानकर, चीनी मिलाकर पीने से मस्तक पीड़ा मिटता है।
आँखों की पलकों पर होने वाली फुंसी पर इमली के बीज को पानी के साथ घिसकर चंदन की तरह लेप करने से गुहेरी फुंसी में शीघ्र लाभ होता है।
क्षुधावर्धक पन्या में 30 ग्राम इमली को 450 ग्राम पानी में मसलकर छान लें, इसमें 55 ग्राम मिश्री, 45 ग्राम दालचीनी, 6 ग्राम लौंग और 4 ग्राम इलायची मिलाकर 4 ग्राम की मात्रा में पिलाने से क्षुधावर्धक पन्या नष्ट हो जाता है।
कमजोरी में इमली के 20 ग्राम को 510 ग्राम पानी में मसलकर छान कर इसमें 45 ग्राम मिश्री, 4ग्राम लौंग, 40 ग्राम दालचीनी और इलायची मिलाकर 6 ग्राम की मात्रा में शर्बत बनाकर सेवन करने से शरीर की कमजोरी दूर हो जाती है।
गांठ में इमली का 28 ग्राम स्वरस को 505 ग्राम पानी में मिलाकर छानकर उसमें 7 ग्राम लौंग, 50 ग्राम मिश्री, 45 ग्राम दालचीनी तथा इलायची 4 ग्राम इन सभी को अच्छी तरह मिलाकर शर्बत बनाकर सुबह-शाम पिलाने से गांठ बिखर जाती है।
बहुमूत्र (अधिक पेशाब लगना) इमली के बीज प्रातः 15 ग्राम की मात्रा में जल में भिगो दे, रात्रि में छिलका उतारकर भीतरी श्वेत मींगी का सेवन करें, ऊपर से गौदुग्ध पीने से पेशाब कम लगती है।
चोट-मोच आ जाने पर इमली की पत्तियों को पीसकर गुनगुना कर लेप लगाने से चोट-मोच में तत्काल आराम मिलता है।
दाह और पित्त विकार मिटाने के लिए इमली के कोमल पत्तों और पुष्पों का शाक बनाकर खिलाने से या मिश्री के साथ इमली का शर्बत बनाकर पिलाने से हृदय की दाह मिटती है।
पित्त विकार में इमली के कोमल पत्तों और पुष्पों का काढ़ा बनाकर पिलाने से या मिश्री के साथ इमली का शर्बत बनाकर पिलाने से पित्त विकार दूर होता है।
घबराहट में 0 ग्राम इमली और 20 ग्राम छुहारों को 1.5 किलो दूध में उबालकर, छानकर पिलाने से घबराहट और दाह शांत हो जाती है।
पित्तज ज्वर में 28 ग्राम इमली को रात भर एक गिलास पानी में भिगोकर प्रातः काल निथरे हुए पानी में बूरा मिला इसबगोल के साथ पिलाने से पित्त ज्वर शांत होता है।
व्रण (घाव) में इमली पत्तों के काढ़ा से घाव को धोने से बहुत दिनों तक रहने वाला घाव शीघ्र मिट जाता है।
शीतला में इमली के पत्ते और हल्दी में मिलाकर सेवन करने से ठंडा शीतल की बीमारी में लाभदायक है।
शराब की नशा में पुरानी इमली का एक किलो गूदा दो गुने पानी में भिगोकर दूसरे दिन प्रातः काल धीमी आंच पर दो तीन उबाल लें, उसके बाद उतारकर मसलकर छान ले और बाद में दो किलो चीनी मिलाकर चाशनी बना लें। गर्म चाशनी को छानकर, ठंठा करके बोतल में भर लें, तीन-तीन घंटे के अंतराल से 15 से 40 ग्राम तक की मात्रा में सेवन करने से शराब की नशा उतर जाती है।
कब्ज में पुरानी इमली का एक किलो गूदा दुगने जल में भिगोकर दूसरे दिन प्रातः काल अग्नि पर दो तीन उबाल देने के बाद अग्नि से नीचे उतारकर, मसलकर छान ले और बाद में दो किलो खांड मिलाकर चाशनी बना लें। गर्म चाशनी को छानकर, शीतल करके बोतल में भर लें, तीन-तीन घंटे के अंतर से 20 से 40 ग्राम तक की मात्रा सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है।
दग्ध (कटे-जले) जले हुए घाव पर मीठे तेल के साथ इमली की छाल का 4 से 5 ग्राम सूखा चूर्ण बुरकने से शीघ्र लाभ होता है।
सर्प विष में इमली का एक किलो गूदा दुगने जल में भिगोकर दूसरे दिन प्रातः काल धीमी आग पर तीन उबाल देने के बाद आग से नीचे उतारकर, पीसकर छान लें, उसके बाद में दो किलो खंड मिलाकर चाशनी बना लें। गर्म चाशनी को छानकर, ठंठा कर ले और बोतल में भर लें, दो-तीन घंटे के अंतर से 10 से 42 ग्राम तक की मात्रा सेवन कराने से सर्प विष उत्तर जाता है।
इमली वृक्ष काफी ऊँचे होते हैं तथा सघन छायादार होने के कारण सड़कों के किनारे भी इसके वृक्ष लगाये जाते हैं। इमली से सब परिचत हैं अतः विस्तार से विवरण की आवश्यकता नहीं है।
कच्ची इमली :- खटटी, भारी, वाटविनाशक और पित्त, कफ, रुधिर विकार करने वाली है।
पकी इमली :- अग्नि प्रदीपक, रूखी, दस्तावर, गर्म तथा कफ और वात-विनाशक है।
बीज :- प्रमेह-नाशक, संग्राही, वीर्य स्तम्भक एवं वीर्य शोषण है।
इमली का अधिक सेवन करने से अपने अम्लीय प्रभाव के कारण दांतों को खट्टा कर देता है।
इमली का लगातार सेवन करने से चर्म रोग जैसी बीमारी प्रभावित हो सकती है।
इमली का अधिक सेवन करने से आपके गॉल ब्लेडर में पथरी होने का खतरा रहता है।
Subject-Imli ke Aushadhiy Gun, Imli ke Aushadhiy Prayog, Imli ke Gharelu Upchar, Imli ke Labh, Imli ke Fayde, Imli ke Aushadhiy Upchar, Imli ke Fayde Evam Gharelu Davayen, Imli ke Nuksan, Tamarind-Imli Benefits And Side Effects In Hindi. Tamarind-Imli, amili, amali, amari, Emali, Emili ke fayde, Benefits And Side Effects In Hindi
घरेलू दवा:- Constipation:अनियमित दिनचर्या और भाग दौड़ की जीवनशैली में कब्ज होना एक आम समस्या है। भोजन के बाद…
Fistula:लोगों को भगंदर के नाम से ही लगता है कि कोई गंभीर बीमारी है। लेकिन यह एक मामूली फोड़े से…
Back Pain-आज कल भाग दौड़ की जीवनशैली में कमर दर्द एक आम बात हो गई है। क्योंकि लोगों को खड़े…
Teeth pain- कभी-कभी दांतों की जड़ें काफी ढीली पड़ जाती है। जिसके करण लोगों को दांतों के असहनीय दर्द से…
वासा/अडूसा के औषधीय गुण VASA/Adusa वासा/अडूसा अनेक रोग की दवा: मासिक धर्म, सिरदर्द, नेत्र रोग, कैविटी, दंत पीड़ा, ज्वर, दमा, खांसी, क्षय रोग, बवासीर, मुखपाक, चेचक रोग, अपस्मार, स्वांस, फुफ्फस रोग, आध्मान, शिरो रोग, गुर्दे, अतिसार, मूत्र दोष, मूत्रदाह, शुक्रमेह, जलोदर, सूख प्रसव, प्रदर, रक्त…
अफीम के औषधीय गुण Afim/अफीम अनेक रोग की दवा: बुखार, मस्तक की पीड़ा, आँख के दर्द, नाक से खून आना, बाल की सुंदरता, दन्त की…