पेचिश (आंव) के लक्षण, कारण, घरेलू दवाएं/औषधीय एवं उपचार विधि

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Dysentery: आंतों में संक्रमण होना पेचिश का मुख्य कारण है जिसकी वजह से मल त्याग के समय खून आने की समस्या उत्पन होती है। इस तरह की समस्या में हमें कुछ भी खाने-पीने की इच्छा नहीं होती है और अचानक असहनीय पेट में दर्द भी उत्पन्न हो जाता है। ये अक्सर 3 से 7 दिनों तक रहता है। इसके अन्‍य लक्षण भी शामिल हैं जैसे: जी मिचलाना, पेट की ऐंठन या दर्द, बार-बार शौचालय जाना, मल त्याग के समय खून आना, उल्‍टी और 100.4 डिग्री फारेनहाइट (38 डिग्री सेल्सियस) या उससे अधिक बुखार होना इत्यादि शामिल हैं।

पेचिश के लक्षण: पेचिश (Dysentery) के प्रमुख लक्षण होते हैं जैसे: पेट में असहनीय दर्द, पेट फूलना, तेज बुखार, अचानक ठंड सी लगना, पेट में ऐंठन, सूजन, मल त्याग में कठिनाई, अधूरा खाली करने की भावना, भूख में कमी, सरदर्द, उल्टी, निर्जलीकरण, वजन घटना, थकान आदि पेचिश के लक्षण हैं।

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Dysentery पेचिश के कारण: यह संपर्क कुछ माध्यम से हो सकता है, जैसे: संक्रमित लोगों द्वारा प्रयोग साबुन का उपयोग करना, द्दुषित खाना, दूषित पानी का सेवन करना, दूषित पानी, जैसे झीलों या पूल में तैराकी करते समय प्रयोग करना, जिस्मानी संबंध आदि शामिल हैं।

पेंचिस में आम के प्रयोग: पेंचिस में आम के 50 ग्राम ताजे रस में 20-25 ग्राम मीठी दही तथा एक चम्मच शुंठी चूर्ण मिला कर दिन में दो तीन बार सेवन करने से कुछ ही दिन में पेंचिस पड़ना बंद हो जाती है।

पेचिस (प्रवाहिका) में दूधी के उपचार: पेचिस में रक्तमिश्रित पेचिस तथा उदरशूल में दूधी के पंचांग का स्वरस 5-10 ग्राम में शहद 1 चम्मच मिलाकर नियमित सेवन करने से पेचिश में लाभ होता है।

संग्रहिणी (पेचिस ) में आँवला से इलाज: पेचिस में मेथी दाना के साथ आंवलें के पत्तों का काढ़ा बनाकर 10 से 20 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार पिलाने से संग्रहणी (पेचिस) में आराम मिलता है।

पेचिस में अंकोल के प्रयोग: आमातिसार (पेचिस) में अंकोल का 3 ग्राम पत्रस्वरस दूध के साथ पीने से खूनी दस्त ठीक हो जाता है।

पेचिश में अमरुद के उपचार: पेचिश से छुटकारा पाने के लिए अमरुद का मुरब्बा बनाकर निमियत प्रयोग करने से प्रवाहिका (पेचिश) एवं अतिसार जल्द ही ठीक हो जाता है।

पेचिस में अतीस से इलाज: संग्रहणी (पेचिस) में दस्त पतला, श्वेत, दुर्गंध युक्त हो तो अतीस और शुंठी 10-15 ग्राम दोनों को एक साथ कूटकर 2 किलों पानी में पकायें, जब आधा शेष रह जाये तो इसे लवण से छोंककर, उसके बाद इसमें थोड़ा अनार का रस मिलाकर, थोड़ा-थोड़ा करके दिन में 3-4 बार पीने से पेचिस और आम अतिसार से लाभ होता है।

पेचिस में बबूल के प्रयोग: पेचिस में बबूल की कोमल पतियों के एक चम्मच रस में थोड़ी सी हरड़ का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से या ऊपर से छाछ (मठ्ठा) पीने से पेचिश में लाभ होता है। इसके अलावा 30 ग्राम बबूल की कोंपलों को रात भर एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें, सुबह मसल छानकर उसमें 20 ग्राम गर्म घी मिलाकर पिलावें, दूसरे दिन भी ऐसा ही करें, तीसरे दिन घी मिलाना छोड़ दे और 4-5 दिन खाली पेट इसका हिम पीने से पेचिस ठीक हो जाती है।

पेचिस में बाकुची के उपचार: पेचिस में बाकुची के पत्तों का साग सुबह-शाम नियमित रूप से एक हफ्ते सेवन करने से पेचिस में लाभ होता है।

पेचिस में बेल के उपाय: संग्रहणी (पेचिस) में बेलगिरी चूर्ण 10 ग्राम, सौंठ चूर्ण और पुराना गुड़ 6-6 ग्राम खरल कर, दिन में दो-तीन बार मठ्ठा के साथ 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से या भोजन में केवल छाछ देने से पेचिस में आराम मिलता है। इसके अलावा कच्चे बेल को आग में सेंककर, 10 से 20 ग्राम गूदे में थोड़ी खंड और मधु मिलाकर पीने से पेचिस में लाभ होता है।

पेचिस में चांगेरी से इलाज: संग्रहणी (पेचिस) में चांगेरी के पंचाग का स्वरस एवं इसमें पीपल मिलाकर तथा रस से चार भूनी दही मिलाकर घी पका लेना चाहिए, चांगेरी घी पेचिस के लिए गुणकारी है।

पेचिस में चित्रक के प्रयोग: संग्रहणी (पेचिस) में चित्रक के काढ़ा और कल्क से सिद्ध किये घी का 5-10 ग्राम की मात्रा सुबह-शाम भोजनोपरांत सेवन करने से पेचिस पड़ना बंद हो जाती है।

पेचिस में धनिया के उपचार: आंव (पेचिस) में धनिया तथा सोंठ के 20 ग्राम काढ़ा में एरंड मूल का चूर्ण 1 ग्राम मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से पेचिस में आंव का पड़ना बंद हो जाता है। इसके अलावा धनिया और सौंठ का काढ़ा 10-20 ग्राम सुबह-शाम पीने से पाचन शक्ति में वृद्धि होती है।

पेचिस में धातकी के उपाय: पेचिस व प्रवाहिका में 10 ग्राम धातकी के पुष्पों को लगभग 400 ग्राम पानी में पकाकर चतुर्थाश शेष काढ़ा रहने पर प्रातः खाली पेट व सांयकाल भोजन से 1 घंटा पहले सेवन करने से या हल्का व सुपाच्य भोजन का सेवन करने से पेचिश पढ़ना बंद हो जाती है। परहेज कुछ समय के लिए दूध व घी का भी सेवन न करें, निश्चित लाभ प्राप्त होगा।

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पेचिस में अरंडी से इलाज: प्रवाहिका (पेचिस) में आंव और रक्त गिरता हो तो प्रारम्भ में ही 10 ग्राम एरंड तेल देने से आंव का प्रकोप कम हो जाता है, और खून का गिरना बंद हो जाता है।

पेचिस में ईसबगोल के प्रयोग: अमीबिक पेचिश में 100 ग्राम ईसबगोल की भूसी में 50-50 ग्राम सौंफ और मिश्री मिलाकर, 2-3 चम्मच की मात्रा में दिन में 2 तीन बार सेवन करने से अमीबिक पेचिस नष्ट हो जाती है।

पेचिस में जामुन के उपाय: रक्त अतिसार (पेचिस) में जामुन की छाल का चूर्ण 2-5 ग्राम को 250 ग्राम गाय दूध के साथ 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से दस्त के साथ आने वाला खून बंद हो जाता है।

पेचिस में जीरा से इलाज: संग्रहणी (पेचिस) में भांग 110 ग्राम, सौंठ 20 ग्राम और जीरा 410 ग्राम तीनों को बारीक कूटकर छान लें और छने हुए चूर्ण की 80 ग्राम खुराक बना लें। अब इसमें से एक-एक खुराक सुबह-शाम आधा घंटा पहले 1-2 चम्मच दही के साथ सेवन करने से पेचिश, दस्त, में लाभ होता है।

पेचिस में कुटज के प्रयोग: रक्तप्रवाहिका (पेशिस) में कुटज की 15 ग्राम ताज़ी छाल को मठ्ठे में पीसकर सुबह-शाम सेवन करने से पेशिस के साथ खून आना शीघ्र बंद हो जाता है।

पेचिस में काली मिर्च के उपचार: पेचिस में काली मिर्च चूर्ण 1 ग्राम भूनी हींग 1 ग्राम, अच्छी तरह से पकाकर उसमें 3 ग्राम अफीम मिलाकर शहद के साथ घोटकर 12 गोलियां बनाकर 1-1 गोली 1 घंटे के अंतराल से सेवन करें, परन्तु बहुत समय तक न दें। इस प्रयोग से पेचिस में अत्यंत लाभ होता हैं। परहेज इसमें अफीम की मात्रा होने से इसका प्रयोग सावधानी पूर्वक करना चहिए।

पेचिस में मरुआ के उपाय: तीव्र प्रवाहिका में मरुआ के तले को पेट पर मलकर पेट की सिकाई करने से पेचिस में लाभ होता है।

पेचिस में नागरमोथा से इलाज: पेचिस से ग्रसित मरीज को नागमोथा के 2 भाग में 3 भाग पानी मिलाकर दूध के साथ उबाल ले जब दूध शेष रहने पर इस दूध को 250 मिलीलीटर मात्रा का सुबह-शाम तथा दोपहर नियमित सेवन करने से पेचिस में लाभ होता है।

संग्रहणी (पेशिस) में पिप्पली के प्रयोग: पेचिस से ग्रसित मरीज को पिप्पली, भांग और सौंठ का समभाग चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ दिन में दो तीन बार खाना खाने से एक घंटा पहले सेवन करने से भयंकर संग्रहणी पेशिस में शीघ्र लाभ मिलता है।

खूनी पेचिस में पिप्पली के उपचार: खूनी पेचिश में पिप्पली, भांग और सौंठ का समभाग चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ दिन में दो तीन बार भोजन से एक घंटा पहले सेवन करने से खूनी पेचिस बंद हो जाती है।

पेचिस में पिठवन के उपाय: पेचिस में पिठवन की जड़ के काढ़ा 10-20 ग्राम को बकरी के 250 ग्राम दूध के साथ पीने से पेचिस में लाभ होता है।
पेचिस में शरपुन्खा के प्रयोग: संग्रहणी (पेचिस) अधिक पेचिस पड़ रही हो तो शरपुंखे के 20 ग्राम काढ़ा में 2 ग्राम सौंठ डालकर सुबह-शाम सेवन करने से पेचिस में आराम मिलता है।

संग्रहणी में जामुन से इलाज: संग्रहणी (पेट की चर्बी) में बच्चों के पेट में अगर चर्बी हो जाये तो जामुन की छाल के रस के बराबर बकरी का दूध मिलाकर पीने से बच्चों के पेट की चर्बी कम हो जाती है।

पेचिस में जामुन के प्रयोग: रक्त अतिसार में जामुन की छाल का चूर्ण 2-5 ग्राम को 250 ग्राम गाय दूध के साथ 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से दस्त के साथ आने वाला खून बंद हो जाता है।

पेचिस में जीरा के उपचार: संग्रहणी (पेचिस) में भांग 110 ग्राम, सौंठ 20 ग्राम और जीरा 410 ग्राम तीनों को एक साथ बारीक कूटकर छान लें और छने हुए चूर्ण की 80 खुराक बना लें, इनमें से एक-एक खुराक सुबह-शाम प्रयोग करने से आधा घंटा पहले 1-2 चम्मच दही के साथ सेवन करने से मरोड़ के साथ पतले दस्त बंद हो जाते है।

संग्रहणी (पेचिस) में सौंठ के उपाय: पेचिस में सौंठ, नागरमोथा, अतीस, गिलोय, इन्हें समभाग मिलाकर जल के साथ काढ़ा बनाकर इस काढ़ा को सुबह-शाम पीने से पेचिस पड़ना बंद हो जाती है।

खूनी पेचिस में सौंठ से इलाज: खूनी पेचिस में सौंठ, नागरमोथा, अतीस, गिलोय, इन्हें समभाग मिलाकर मात्रा 20 से 25 मिलीलीटर जल के साथ काढ़ा बनाकर इस काढ़ा को सुबह-शाम पीने से खूनी पेचिस में लाभ होता है।

पेचिश में सौंठ के प्रयोग: संग्रहणी में गिलोय, अतीस, सौंठ, नागरमोथा, इन चारों की मात्रा 20 से 25 मिलीलीटर दिन में दो तीन बार सेवन करने से संग्रणी में शीघ्र लाभ होता है।

पेचिस में तिल के उपचार: आमातिसार (पेचिस) की समस्या से ग्रसित मरीज को तिल के पत्रों को पानी में भिगोकर लुआब बना लें, इसका प्रयोग पेचिश के लिए लाभदायक होता है।

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