Loo: (Heat Stroke) गर्मी के आते ही कई शहरों का तापमान इतना ज्यादा हो जाता है कि लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। इन दिनों दोपहर के समय बाहर बहुत तेज गर्म हवाएं चलने लगती हैं, इन गर्म हवाओं को ही लू (Heat stroke) कहते हैं। मजबूत इम्युनिटी वाले व्यक्ति जिस गर्म हवाओं का समना नहीं कर पाते हैं और अधिकांश व्यक्ति लू के शिकार हो जाते हैं। “लू” लगने के प्रमुख कारण हो सकते हैं जैसे: शरीर में नमक और पानी की कमी लू के प्रमुख कारण हैं। पसीने की “शक्ल” में नमक और पानी का बड़ा हिस्सा शरीर से निकलकर खून की गर्मी को बढ़ा देता है। शरीर के तापमान में वृद्धि को ही लू लगना कहते है।
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लू लगने के लक्षण
लू Loo लगने के कारण
लू एवं गर्मी से बचने के लिए धुप का चश्मा लगाकर निकलें
गर्मी में जब भी घर से बाहर निकलें, अपनी आँखों पर धूप का चश्मा लगाकर ही निकलें ये धूप से आँखों को काफी राहत और ठंडक देता है। जो लोग एयर कंडीशनर या कूलर के सामने बैठ कर काम करते हैं उन्हें एकदम ठंडे वातावरण से तेज धूप में नहीं निकलना चाहिए क्योंकि अचनाक सर्दी से गर्मी की वजह से भी लू लग सकती है।
गर्मी एवं Loo से बचने के लिए अपने पूरे शरीर को कवर कर के ही घर से बाहर निकलें
धूप में निकलने से पहले आप अपने पूरे शरीर को किसी कपड़े से कवर कर लें और दोपहर में सड़कों पर या खुले मैदानों में न घूमें। यदि सड़कों पर पैदल चलना है तो आप छाता या किसी कॉटन कपड़े से अपने पूरे शरीर को अच्छी तरह ढक लें। यदि दोपहिया वाहन चला रहे हो तो सिर पर हैलमेट या टोपी पहनें। गर्म हवा के थपेड़ों से बचने के लिए कान को कपड़े से ढक लें। गर्मी के मौसम या धूप में बिना एसी AC वाली बंद कार में ही यात्रा करनी चाहिए।
लू एवं गर्मी के मौसम में वाहन को धूप में न खड़ी करें
कभी-कभी तो बंद कार लू लगने का बहुत सामान्य कारण होता है। बंद कार यदि धूप में खड़ी हो तो कार के अदंर का तापमान बाहर के तापमान से बहुत ज्यादा हो जाती है। बाहर यदि 25 C तापमान हो तो कार के अंदर का टेम्प्रेचर 50 C या इससे अधिक भी हो सकता है। इस लिए लू लग सकती है। कुछ लोग बच्चों या बुजुर्गों को बंद कार में छोड़कर किसी काम से चले जाते हैं छोटे बच्चे, बुजुर्ग लोगों को कभी भी बंद कार में अकेला नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि बहुत कम समय में ही हिट स्ट्रोक के शिकार हो सकते हैं। क्योंकि बाहर निकलना चाहें तो भी बाहर नहीं निकल पाए और आस पास किसी को उनकी परेशानी का अहसास न हो। यह खतरनाक हो सकता है। इस लिए आप कहीं भी जाएं तो बच्चों और बुजुर्गों को कार में न छोड़े उन्हें भी अपने साथ ले जाएँ।
गर्मी एवं लू लगने के कारण कालरा होना
Loo लू असल में ये गर्मी से होने वाली शारीरिक समस्या है। ये हमारे शरीर में खुद को ठंडा रखने की कार्यप्रणाली होती है। इस कार्यप्रणाली के कारण हम बाहर की गर्मी या शारीरिक गतिविधि के कारण अंदर बढ़ने वाली गर्मी से खुद को बचा नहीं पाते पसीना आना उसी कार्यप्रणली का एक हिस्सा होता है। पसीना आने के लिए श्री में प्रयाप्त मात्रा में पानी का होना जरूरी होता है। पानी की कमी होने पर यह कार्य प्रणाली सही तरीके से काम नहीं कर पाती है। ऐसे में यदि शरीर का तापमान 104 f से ज्यादा हो जाये तो हमे कालरा की शिकायत हो जाती है। लू लगने को ही हीट स्ट्रोक कहते हैं। ऐसे में चिकित्सा बहुत कम्पलसरी हो जाती है।
Loo एवं गर्मी से बचने के लिए कुछ सरल घरेलू उपचार इस प्रकार हैं:
गर्मी एवं लू से बचने के लिए भरपेट भोजन करें
गर्मी के दिनों में भूखे पेट बाहर नहीं निकलना चाहिए जब भी घर से बाहर निकलना हो तो भरपेट भोजन करके ही निकलना चाहिए ये लू से बचाव करता है।
Loo लू एवं गर्मी से बचने के लिए अधिक से अधिक पानी का सेवन करना चाहिए
ग्रीष्मकाल में अधिक पसीना आता है इसलिए हमारे शरीर का पानी अधिक मात्रा में खर्च होता है। यदि पानी की आपूर्ति न हो तो शरीर से पसीना निकलना बंद हो जाएगा। पसीना शरीर के तापमान को नियंत्रित कर हमे लू से बचाता है। इसी प्रकार शीतल जल एक अमृत पेय है। घर के बाहर निकलने से पहले खूब पानी पिएं ताकि आपके के शरीर में पानी की कमी न आने पाए। पानी के अतिरक्त इस मौसम में शर्बत, गन्ने का रस, लस्सी आदि का भी अधिक से अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए। पानी व् रेशा प्रधान तरावट देने वाले फलों का सेवन करना चाहिए।
गर्मी एवं लू से बचाव करने के कुछ घरेलू उपचार
Loo लू एवं गर्मी के कुछ सरल घरेलू उपचार
लू लगने पर में शंखपुष्षी के प्रयोग: लू लगने से रोगी बेसुध हो जाता है, और प्रलाप करने लगता है, उस समय नींद लाने के लिये शंखपुष्पी चूर्ण 5-10 ग्राम चूर्ण को भैंस के दूध एवं शहद के साथ पिलाने से लू में शीघ्र लाभ होता है।
लू लगने पर प्याज से उपचार: लू लग जाने पर प्याज का ताजा रस शरीर पर मालिश करने से लू का प्रकोप फौरन समाप्त हो जाता है।
लू लगने पर नीम से उपाय: लू लगने पर नीम के पंचाग चूर्ण 10 ग्राम, मिश्री 10 ग्राम, एकत्र पानी के साथ पीस-छानकर पिलाने से लू लगने के उपद्रव शांत हो जाते हैं।
लूक का असर में इमली से इलाज: लू लगने पर इमली फल के गूदे को ठंडे पानी में पीसकर, मुंडे हुए सिर पर लगाने से लू का असर और बेहोशी मिटती है। पकी हुई इमली को पानी में मलकर उसी पानी में कपड़ा भिगोकर शरीर को कुछ देर तक पोछने-फेरने से लू का असर कम होता है।
लू लगना में गुड़हल पुष्प के प्रयोग: लू से पीड़ित व्यक्ति को गुड़हल के 80 फूल लेकर, हरे डंठल को निकालकर पंखुड़ियों को नीबू के साफ रस में रखकर, रात्रि में किसी खुले स्थान पर कांच के बर्तन में मुंह बंद कर भिगोकर रख दें। प्रातः मसल छानकर इसमें 650 ग्राम मिश्री या चीनी, 1 बोतल उत्तम गुलाब जल मिलाकर, दो बोतलों में बंद कर धूप में दो दिन तक रख दें, उसके बाद मिश्री अच्छी तरह मिल जाने पर 15 से 30 मिलीलीटर तक की मात्रा पीते रहने से खून लू की गर्मी दूर हो जाती है।
लू के मौसम में नींबू से उपचार: गर्मी के मौसम में लू से बचने के लिए नींबू और चीनी का शर्बत बनाकर नियमित सेवन करने से लू से प्रभवित रोगी को शीघ्र आराम मिलता है।
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