आम के फायदे, औषधीय गुण, आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रयोग विधि, नुकसान-Mango health benefit in Hindi

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आम की घरेलू दवाएं, उपचार: आम अनेक रोगों की दवा जैसे-बवासीर, दाद, खाज खुजली , खांसी, यकृत, खुनी दस्त, पेंचिस, पेट दर्द, उल्टी, पेट की गैस, चाय,योनिरोग, अंडकोष की सूजन, चर्मरोग, हैजा, मधुमेह, सफेद बाल, प्यास, हिचकी, घमौरियां, फोड़े आदि बीमारियों के इलाज में आम के औषधीय चिकित्सा प्रयोग अनेक प्रकार से किये जाते हैं। आम के फायदे, औषधीय गुण, आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रयोग विधि, औषधीय प्रयोग एवं नुकसान। शरीर के अनेक रोग में आम के फूल, फल, बीज,पत्ते, छाल, जड़, सूखी लकड़ी, हरी लकड़ी द्वारा घरेलू दवायाएं, औषधीय, आयुर्वेदिक उपचार, होम्योपैथी इलाज एवं सेवन विधि निम्नलिखि प्रकार से किये जाते हैं:-

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बवासीर में आम के औषधीय गुण- Bavasir me aam ke fayade/labh/gharelu davayen/upachar

बवासीर में आम का स्वरस दिन में 20-40 ग्राम तक दो बार पिलायें। बवासीर रक्तप्रदर या रक्त अतिसार के कारण होने वाले रक्तस्राव में लाभ होता है। आम की गुठली की गिरी का चूर्ण 1 से 2 ग्राम दिन में दो बार सेवन करने बवासीर में आरामदायक होता है।

दाद में आम के औषधि प्रयोग – Dad me aam ke fayade/labh/gharelu upchar

आम को तोड़ते समय आम फल की पीठ में जो गोंदयुक्त रस निकलता है, उसे दाद के ऊपर खुजलाकर लगा देने से फौरन छाला पड़ जाता है, छाला फूटकर पानी निकल जाता है। दो-तीन बार लगाने से दाद से छुटकारा मिलता है।

खुजली में आम के औषधीय गुण – Khujali me aam ke fayade/labh/gharelu davayane

खुजली में आम के कच्चे फल स्वरस कपड़े में छानकर निकाल लें। रस का चौथाई भाग विकृत (मैथिलिटेड) स्प्रिट या ख़ालिश देशी शराब मिला शीशी में भर रखें। दो दिन बाद प्रयोग करें। इसके लगाने से खुजली में लाभदायक होती है।

खांसी में आम के औषधीय प्रयोग- Khansi me aam ke fayade/labh/gharelu davayen

पके हुये आम को आग में अच्छी तरह से भून ले। ठंडा होने पर धीरे-धीरे चूसते रहने से सूखी खांसी में लाभदायक होता है।

यकृत रोग में आम के औषधि गुण – Jigar ki kamjori me aam ke fayade/labh/upchar

जिगर की कमजोरी में जब पतले दस्त आते हो, भूख न लगती हो 6 ग्राम आम के सूखे पत्रों को 250 ग्राम में उबालें। 125 ग्राम जल शेष रहने पर छानकर थोड़ा दूध मिला प्रातः काल पीने से यकृत रोग में लाभ होता है।

खुनी दस्त में आम के औषधीय प्रयोग –

खुनी दस्त में आम की गुठली को साढ़े पांच ग्राम की मात्रा में 100 ग्राम जल में उबालें। इसमें साढ़े पांच ग्राम गिरी को और मिलाकर, दोनों को पीस लें, इसे दिन में 3 बार दही के साथ सेवन कराये, पथ्य में चावल और दही का सेवन करे। गुठली की गिरी 1 भाग, बेलगिरी 1 भाग तथा मिश्री 1 भाग तीनों का चूर्णकर, 3-6 ग्राम की मात्रा में जल के सेवन करने से खुनी दस्त में लाभ होता है।

पेंचिस में आम के औषधीय गुण – Penchis me am ke fayde/labh/gharelu davayen/upchar

पेंचिस में आम के 50 ग्राम ताजे स्वरस में 20-25 ग्राम मीठा दही तथा एक चम्मच शुंठी चूर्ण मिला कर दिन में दो तीन बार सेवन करने से कुछ ही दिन में पेंचिस पड़ना बंद हो जाती है। पेंचिस में आम्रकल्प बहुत लाभदायक है।

पेट दर्द में आम के औषधीय प्रयोग – Pet dard me am ke fayde/labh/gharelu upchar

पेट दर्द में आमपत्र का स्वरस 25 मिलीग्राम शहद और दूध 12-12 ग्राम तथा घी 6 ग्राम पिलाने से पेट दर्द में विशेष लाभ होता है। गुठली की गिरी भून लें। 1-2 ग्राम की मात्रा में चूर्ण कर 1 चम्मच शहद के साथ दिन में दो बार चटावें। यदि पेट दर्द हो तो आम की अन्तरछाल को दही में पीस कर पेट पर लेप करने से लाभ होता है।

उल्टी में आम के औषधीय प्रयोग – Ulti me am ke fayade/labh

उल्टी में आम के ताजे कोमल 10 पत्ते को और काली मीर्च 2-3 नग, दोनों को जल में पीसकर गोलियाँ बना लें, दिन में दो तीन बार सेवन करने से उल्टी-दस्त बंद हो जाते है।

पेट की गैस में आम के औषधीय गुण – Gas me am ke fayde/labh/gharelu upchar

पेट की गैस को ठीक करने के लिए आम को पानी में उबालकर गुठली को निकालकर बारीक़ पीसकर चूर्ण बना ले और खाना खाने के बाद नित्य सेवन करने से पेट की गैस दूर हो जाती है।

शारीरिक शक्ति में आम के फायदे  – Sharirik shakti badhane me aam fayde/labh/gharelu upchar

आम के औषधीय प्रयोग में आम की चाय, आम के आठ-दस पत्र जो वृक्ष पर ही पककर पीले रंग के हो जाते है, एक लीटर पानी में 1-2 ग्राम इलायची डालकर उबालें, जब पानी आधा शेष रह जाये तो उतार कर शक़्कर और दूध मिलाकर चाय की तरह पीने से शरीर के समस्त अंगों को शक्ति प्रदान करती है।

योनिरोग में आम के औषधीय गुण – Yonirog me am fayde/labh/gharelu upchar

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योनिरोग में आम के फूल,छाल और पत्तों को पानी में पीसकर बत्ती बनाकर योनि में धारण करने से, गभार्शय द्वारा स्त्रावित होने वाले दूषित रक्तस्राव तथा योनि की दुर्गन्ध में लाभ होता है।

अंडकोष की सूजन में आम के औषधि प्रयोग – Andkosh me aam fayde/labh/gharelu upchar

अंडकोष की सूजन में आम के वृक्ष की शाखा पर उत्पन्न गाठ लकड़ी में गांठ बन जाती है को गोमूत्र में मिलकर लेप करने से और ऊपर से सेंक करने पर वेदनायुक्त अंडकोष की सूजन में लाभ होता है।

हैजा में आम के औषधीय गुण – Haiza me aam ke fayde/labh/gharelu upchar

हैजा की शुरुआती अवस्था में, 20 ग्राम आम के पत्तों को कुचल कर आधा किलो जल में काढ़ा बनाकर चतुर्थाश शेष रहने पर किंचित छानकर गर्म पिलाने से लाभ होता है। आम का शर्बत या आम का पना बार-बार पिलाये लाभदायक होता है।

मधुमेह में आम के औषधीय प्रयोग – Madhumeh me aam ke fayde/labh/gharelu upchar

मधुमेह में आम को छाया में सुखाकर 1-1 ग्राम पत्रों को आधा किलो जल में औटावें, चौथाई जल शेष रहने पर प्रातः सांय पिलाने से कुछ ही दिनों में मधुमेह दूर हो जाता है।

सफेद बाल में आम के औषधीय गुण – White hair treatment with mango

सफेद बाल में आम की गुठलियों के तेल को लगाने से सफेद बाल काले हो जाते है, तथा काले बाल जल्दी सफेद नहीं होते है। बाल झड़ना व रुसी में भी इससे लाभ होता है।

प्यास में आम के औषधीय प्रयोग – Aam ke gharelu upachar

अधिक प्यास में आम की गुठली गिरी के 40-60 ग्राम क्वाथ में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से भयंकर प्यास शांत होती है।

हिचकी में आम के औषधीय गुण – Hichki me aam ke fayde/labh/gharelu davayen

हिचकी में आम के सूखे पत्तों को चिलम में भरकर या ताजे पत्रों का स्वरस 1-3 ग्राम में थोड़ा सा शहद मिलाकर सेवन करने से हिचकी बंद हो जाती है।
आम के पत्ते व धनिया दोनों को कूटकर 2 से 4 ग्राम की मात्रा में लेकर गुनगुने पानी से दिन में दो या तीन बार सेवन करने से हिचकी में लाभदायक होती है।

आम के फायदे, गुण एवं औषधीय प्रयोग – Twacha rog me aam ke fayde/labh/gharelu davayen

गर्मी के दिनों में शरीर पर पसीने के कारण छोटी-छोटी फुन्सियों हो जाती है, इन पर कच्चे आम को मंद अग्नि में भूनकर, गूदे का लेप करने से घमौरियां में लाभ होता है।

फोड़ो में आम के औषधीय गुण – Foda me  aam ke fayde/labh/gharelu davayen

फोड़े फुंसी में आम वृक्ष का गोंद थोड़ा गर्म करके लगाने से फोड़ा पूरा पकाकर बह जाता है और घाव आसानी से भर जाता है।

आम खाने के नुकसान – Aaam ke Nuksan/aam se hani/aam ke avagun

आम में कैलोरी की मात्रा भी ज्यादा होती है। आम के अत्यधिक सेवन करने से वजन बढ़ सकता है।

आम के अधिक सेवन करने से हमारे शरीर में चर्बी बढ़ने का खतरा रहता है।

आम के फल में फाइबर अधिक मात्रा में निहित होता है। जिसके अत्यधिक सेवन करने से आपको दस्त की शिकवा शिकायत हो सकती है।

आम के अत्यधिक सेवन से आपके शरीर में एलर्जी होने का डर बना रहता है।                                                     

आम की विशेषता: आम भारतवर्ष एवं पूर्वी द्धीप समूह का आदिवासी पौधा है। यह ग्रीष्म जलवायु का वृक्ष है। हिमालय पर भूटान से कुमायुँ तक इसके जंगली वृक्ष पाये जाते है, सम्पूर्ण भारतवर्ष में इसके वृक्ष लगाये जाते है और फलते फूलते है, आम की अनेक किस्में पाई जाती है, जो पौधे गुठली बोकर उत्पन्न किये जाते है उन्हें देशी या बीजू आम, और जो उन्नत जाति के आम के वृक्षों की शाखाओं पर कलम बांधकर तैयार किये जाते है वे कलमी आम कहलाते है। इनके अतिरिक्त देश, स्थान, आकार, रंग, रूप भेद से इनकी अनेक किस्में मिलती है। देशी आम में रेशा होने से इसका रस पतला होता है, चूसकर खाने के काम में आता है, परन्तु कलमी आम में फल का गूदा अधिक होता है अतः काटकर खाया जाता है। औषधि प्रयोग हेतु कलमी की अपेक्षा चूसने वाले बीजू आम ज्यादा गुणकारी होते है।

आम के बाह्य-स्वरूप

इसका वृक्ष 30 से 120 फुट तक ऊँचा होता है पत्र 4-12 इंच लम्बें, 1-3 इंच चौड़े, भालाकार, आयताकार, तीक्ष्णाग्र होते है, जिनके मसलने पर सुगंध आती है पुष्प छोटे हरित पीत, लम्बी मंजरी में आते है, जिससे मादक सुगंध आती है। फल अनेक आकृति के कच्चे में हरे तथा पकने पर पीताभ या रक्ताभ हो जाते है, फल के भीतर बड़ी गुठली (बीज) तथा उसके भीतर बीजमज्जा होती है। बसंत में पुष्प तथा ग्रीष्म वर्षा में फल लगते है।

आम के रासायनिक संघटन

फल में अन्य तत्वों के अतिरिक्त विटामिन ए, बी और सी प्रचुर मात्रा में पाये जाते है।

आम के गुण-धर्म – Aam ke Gun Dharm

बीज मज्जा -कफपित्त शामक, स्तम्भ, मूत्र संग्रहणीय रक्तरोधक, व्रणरोपण। कच्चा फल-त्रिदोषकारक आग में भुना हुआ कच्चा फल-दाह प्रशमन, रोचन, दीपन, रक्तपित्त हर, शोषक। पका फल वात पित्त शामक, स्नेहन अनुलोमन, सारक हृध्य, शोणीतस्थापना, वृष्य, बल्य, वर्ण्य, बृंहण।

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