बवासीर की दवा/बावासीर/अर्श के घरेलू उपचार-Piles Home Treatment in Hindi: बवासीर Piles में रामवाण औषधीय उपचार में चाय, नीम, इमली, अमरुद, आम, अनार, तुलसी, गाजर, मूली, लौकी, कमल, त्रिफला, हरड़, मदार (आक), काली मिर्च, इलायची, प्याज, एलोवेरा (घृतकुमारी), केला, करेला, नारियल, फिटकरी, कचनार, कनेर, चुकंदर, कपूर आदि बवासीर के औषधीय उपचार एवं प्रयोग विधि, प्रयोग एवं उपचार गुण निम्नलिखित प्रकार से प्रयोग किया गया है, Kaise karen Bavasir ka gharlu upachar-बवासीर में गेंदा फूल के फायदे एवं सेवन विधि:-CLICK HERE
बवासीर, अर्श के अनेक भाषाओँ में जानकारी
| हिंदी | बवासीर, अर्श, महेशी |
| अंग्रेजी | Piles, Hemorrhoids |
| उर्दू | بواسیر |
| पंजाबी | ਅਰਸ਼ |
| मराठी | मूळचा मूळव्याध |
| गुजरती | હેમરસ |
| तमिल | மூல நோய் |
| तेलगू | మూల వ్యాధి |
| मलयालम | അർഷാദ് |
| बंगाली | অর্শ্বরোগ |
| कन्नड़ | ಆರ್ಶ್ |
| नेपाली | पाइलहरू |
बवासीर में मलाशय या गुदा Anus मार्ग, मलद्वार की नसों पर, अंदरूनी और बाहरी दवाब बढ़ने की वजह से, वहाँ की नसें सूजने एवं फैलने से असहनीय दर्द होता है। संडास या मलसाय के इस अवस्था को बवासीर कहते हैं। बवासीर दो प्रकार का होता हैं पहला अंदरूनी दूसरा बाहरी। अंदरूनी बवासीर काफी गंभीर होने के बाद ही पता चलता है साधारण अवस्था में बवासीर के बारे में पता नहीं लगता है। बाहरी बवासीर को मलद्वार के बाहरी हिस्से पर देखा जा सकता हैं। ववासीर की इस स्थिति को लोग असहज एवं शर्मशील महसूस करते हैं। बवासीर कोई बहुत बड़ी गंभीर समस्या नहीं है, इसका इलाज घर में ही किया जा सकता है:बवासीर में अनार के फायदे एवं सेवन विधि:CLICK HERE
स्वास्थ्य वर्धक आयुर्वेदिक
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बवासीर के लक्षण बहुत ही आसान है, मलत्याग के समय मलाशय में अत्यधिक पीड़ा तथा इसके बाद रक्तस्राव, खुजली होना बवासीर के लक्षण हैं। बवासीर के कारण गुदा Anus में सूजन बानी रहती है:बवासीर में अमर बेल के फायदे एवं सेवन विधि:CLICK HERE
बवासीर में मलद्वार या गुदा के आसपास मस्से या गांठ होना, मल त्यागते समय खून आना, गुदा या मलद्वार के आसपास खुजली होना, मस्सों में से लगातार खून निकलना एवं बार-बार मल त्यागने की इच्छा होना लेकिन संडास या मल त्यागते समय मल न निकलना।
बवासीर की बीमारी होने का प्रमुख कारण अनियमित दिनचर्या और खान पान है। भोजन का न पचना एवं लम्बे समय तक कठोर कब्ज बना रहना। सुबह, शाम शौच न जाने या शौच जाने पर ठीक से पेट साफ न होने और काफी देर तक शौचालय में बैठने के बाद मल निकलने या जोर लगाने पर संडास या मल निकलने या जुलाब लेने पर टट्टी या मल निकलने की स्थिति को कब्ज होना कहते हैं: बवासीर में अपामार्ग के के फायदे एवं सेवन विधि:CLICK HERE
बवासीर में चाय की पत्तियों को पीसकर मलहम बना लें और इसे गर्म करके मस्सों पर लगायें। इस मलहम को लगाने से मस्से सूखकर गिरने लगते हैं। तथा बवासीर में लाभ पहुँचता है:-बवासीर में गुलदाऊदी के फायदे एवं घरेलु दवाएं CLICK HERE
बवासीर के समस्या से परेशान मरीज नीम के कुछ पत्तों को घी में भून कर उसमें थोड़ा-सा कपूर मिलाकर पीस मलहम तैयार कर लें। इस मलहम बवासीर को मस्सों पर रोजाना लगाने से बवासीर में शीघ्र आराम मिलता है। बवासीर के मस्सों पर नीम का तेल लगाना भी लाभदायक है:बवासीर में अंकोल के फायदे एवं सेवन विधि:CLICK HERE
खूनी बवासीर में इमली के बीज के छिलके निकालकर तवे पर भूनकर तथा पीसकर इसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में 125 ग्राम दही में मिलाकर करें, खूनी बवासीर का रक्त श्राव बंद हो जायेगा।
बवासीर में खाली पेट 200-300 ग्राम अमरूद नियमित रूप से सेवन करने से बवासीर में लाभ मिलता है। पके अमरुद खाने से पेट का कब्ज खत्म होता है, जिससे बवासीर रोग दूर हो जाता है। कुछ दिनों तक रोजाना सुबह खाली पेट 250 ग्राम अमरूद खाने से बवासीर ठीक हो जाती है। बवासीर को दूर करने के लिए सुबह खाली पेट अमरूद खाना उत्तम है। मल-त्याग, संडास करते समय बांयें पैर पर जोर देकर बैठें। इस प्रयोग से बवासीर नहीं होती है और मल साफ आता है।
बवासीर में आम Mango के पत्तों का रस एवं भुनी हुई फिटकरी पानी में घोलकर बवासीर के मस्सों पर लगाना भी लाभकर होता है।
बवासीर में अनार Anar के पेड़ की छाल और छोटी हरड़ 50-50 ग्राम और रसौत 5 ग्राम कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर प्रतिदिन 5-5 ग्राम चूर्ण प्रात:काल पानी के साथ सेवन करने से अर्श (बवासीर) में रक्तस्राव जल्द ही ठीक होता है।
बवासीर में तुलसी के पत्तों को पीसकर इसका पेस्ट बनाकर मस्सों पर लेप करने से बवासीर में लाभ होता है। बवासीर के मरीज को सुबह खाली पेट तुलसी के पत्ते का सेवन करने से बवासीर से आराम मिलता है, एवं बवासीर खत्म हो जाती है:बवासीर में जामुन के फायदे एवं घरेलु दवाएं:CLICK HERE
बवासीर में गाजर और पालक का रस मिलाकर सुबह-शाम पीने से बवासीर में कुछ ही दिनों में लाभ मिलने लगता है। तथा बवासीर नष्ट हो जाती है।
बवासीर में मूली Mooli पाचन क्रिया को तंदुस्त रखती है और मल को मुलायम बनाने में सहायक होती है। बवासीर से होने वाला दर्द और सूजन को कम करने का काम भी रखती हैं, तंदुस्त रखती है ठीक रखते हैं बनने में सहायक होती है, मूली का सेवन स्वास्थ के लिए अति लाभकारी है।
बवासीर से दुखी मरीज को लौकी के पत्तों को पीसकर इसका पेस्ट बनाकर प्रति दिन मस्सों पर लगाने से बवासीर शीघ्र ही ठीक हो जाती है। इससे कुछ ही दिन बाद बवासीर जड़ से खत्म हो जाती है।
कमल के हरे पत्ते को पीसकर उसमें मिश्री को मिलाकर खाने से बवासीर से खून आना बंद हो जाता है।
बवासीर में एक ग्राम काले तिल और एक ग्राम दूध का मक्खन को मिलाकर खाने से बवासीर रोग ठीक हो जाता है।
बवासीर में त्रिफला चूर्ण 4-5 ग्राम रात में सोते समय खाना खाने के बाद निरंतर सेवन करते रहने तथा त्रिफला जल 25 ग्राम त्रिफला चूर्ण को 500 ग्राम पानी में 12 घंटे भिगोकर) से गुदा को भली प्रकार धोते रहने से गुदा की खुजली व बवासीर में लाभ होता है।
बवासीर से परेशान रोगी को रोजाना आधा चम्मच हरड़ पाउडर को गुनगुने पानी के साथ लेने से बवासीर के रोग में फायदा होता है। तथा प्रति दिन सेवन करने से रोगी को भली भाँती आराम मिल जाता है।
बवासीर की समस्या बहुत जटली होती है। इससे बचने के सरल तरीके बवासीर आक (मदार) जिन पत्तों में से दूध निकलता है। इस दूध में हल्दी पाउडर मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे मस्सों पर लगाएं। कुछ दिन लगातार इस उपाय से मस्से सूखकर गिर जाएंगे और बवासीर का शीघ्र ही पतन हो जाता है।
बवासीर में काली मिर्च और जीरे को पीसकर पाउडर बना लें। रोजाना आधे चम्मच पाउडर को शहद के साथ लेने से बवासीर में शीघ्र ही लाभ मिलता है। तथा बवासीर की समस्या दूर हो जाती है।
बवासीर में बड़ी इलायची को 50 ग्राम की मात्रा में तवे पर भून लें। और जब यह ठंडी हो जाए तब इसे कूट कर इसका चूर्ण बना लें। रोज सुबह पानी के साथ इसके चूर्ण का सेवन करने से बवासीर में जल्द ही राहत मिलती है।
खूनी बवासीर से परेशान रोगी को मस्से में घृतकुमारी या एलोवेरा के 50 ग्राम गूदे में 2 ग्राम पिसा हुआ गेरू मिलकार इसकी टिकिया बनाकर, रुई के फोहे पर फैलाकर गुदा स्थान पर रखकर लंगोट की तरह पट्टी बाँध देनी चाहिये। इससे मस्सों में होने वाली जलन तथा दर्द का शमन होता हैं। एवं मस्से सिकुड़ कर दब जाते हैं। यह प्रयोग अर्शांकुर (अर्श+अंकुर), रक्तार्श (रक्त+अर्श) रोग में अत्यंत लाभदायक हैं। एलोवेरा (घृतकुमारी) के गूदे को प्रति दिन मस्सों पर लगाने से आराम मिलता है।
बवासीर में प्याज को काटकर उसके छोटे टुकड़े कर लें। और उसे सूखा लें। बाद में इन सुखे हुए टुकड़ों को दस ग्राम घी में तलें और फिर इसमें 20 ग्राम मिश्री और एक ग्राम तिल मिला लें। और प्रति दिन सेवन करें। प्याज के उपयोग से बवासीर नष्ट हो जाती है।
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बवासीर में करेले के पत्तो का रस 20 ग्राम लेकर उसमें मिश्री 10 ग्राम मिलाकर एक सप्ताह तक सुबह सेवन करने से बवासीर में रक्तस्राव बंद होता है।
सूखे नारियल की जटा की राख (भस्म) को कपड़े से बारीक छान ले और इसकी 3-3 ग्राम की मात्रा में दिन में 3 बार खाली पेट 1 या डेढ़ कप छाछ अथवा दही (जो खट्टा न हो) के साथ सेवन करने से खूनी व बादी बवासीर का रोग ठीक हो जाता है। प्रयोग केवल 1 दिन ही करें। यदि आवश्यकता हो तो अधिक दिन सेवन किया जा सकता है। यह प्रयोग नए व पुराने बवासीर रोग में रामबाण अचूक औषधि है।
बवासीर में 1 ग्राम, फिटकरी 100 ग्राम दही और पानी 200 ग्राम लें। इन तीनों को घोलकर बवासीर के रोगी को पिलाने से बवासीर का रक्त बंद हो जाता है।
बवासीर में कचनार की छाल को पिसलें और इसे छाछ के साथ दिन में दो बार सेवन करे | बवासीर में आने वाले रक्त से छुटकारा मिलेगा | साथ ही आंतों के कीड़ों में भी लाभ मिलेगा |
बवासीर में कनेर की जड़ को ठंड़े पानी के साथ पीसकर शौच जाते समय जो मस्से बाहर निकल जाते है उन पर लगाने से वे मिट जाते हैं।
बवासीर के मस्सों पर करीब एक महीने तक लगातार पपीते का दूध लगाने से मस्से सूख जाते हैं।
बवासीर में चुकन्दर खाने व रस पीते रहने से बवासीर के मस्से समाप्त हो जाते हैं।
बवासीर में कपूर को आठ गुना अरण्डी के गर्म तेल में मिलाकर मलहम बनाकर रखें। शौच के बाद मस्सों को धोकर और पोंछकर मस्सों पर मलहम को लगायें। इसको लगाने से दर्द, जलन, चुभन आदि में आराम रहता है तथा मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
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|---|---|---|---|
| सिरदर्द | हाइड्रोसील/अंडकोष | पाइल्स/बवासीर | खूनी दस्त |
बवासीर दो प्रकार का होता हैं पहला अंदरूनी दूसरा बाहरी- Type of Piles
बवासीर के प्रकार Type of Piles
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