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पेट दर्द के कारण: पेट का दर्द (उदर की पीड़ा) कई प्रकार के होते हैं, जैसे गैस की समस्या (वायु गोला), पेट में जलन का एहसास, अधिक समय से पेट का दर्द, पेट की कब्ज, पेट की ऐंठन, इत्यादि । कई बार उदर की पीड़ा खान पान और अशुद्ध पानी का सेवन करने से पेट में समस्या होती है। इसके अलावा पेट की पीड़ा, तपेदिक, पथरी, आंतों में गतिरोध, संक्रमण, साँस लेने में तकलीफ, गर्भावस्था में दर्द , ट्यूमर,कैंसर और अन्य रोगों के कारण भी होती है। यदि देखा जाये तो पेट की मांसपेशियों में दर्द होता है।
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पेट की पीड़ा के समान लक्षण हैं: पेचिश (प्रवाहिका), खूनी दस्त, अनियमित दिनचर्या, कब्ज़ियत (एसिडिटी), अपचन, गैस (वायु गोला), भूख का न लगना, उदर में समस्या और पेट की जलन, उल्टी (वमन), पेशाब में जलन और सीने की जलन, कमला (पीलिया) और अनियमित मासिक धर्म की समस्या से उदर की समस्या का समाना करना पड़ता है।
यदि आपके पेट में दर्द होता हो या पेट दर्द हो रहा है तो आपको हींग का सेवन करना चहिए। क्योंकि हींग पेट दर्द में बहुत गुणकारी होती है। आप सरसों के समान गोली बनाकर हींग को पानी के साथ पीसकर पेस्ट बना लें, अब इसे अपने नाभि के आस-पास लेप करने से आपके पेट दर्द यानि उदर की समस्या से निजात पा सकते है।
अगर आपको पेट में दर्द है तो सोडा का प्रयोग सबसे सरल उपाय साबित हुआ है। आप एक तिहाई गिलास पानी में हल्का सा सोडा डाल लें और उसके बाद उसमें नीम्बू का रस मिलाकर नियमित सुबह-शाम सेवन करने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
यदि आपको पेट दर्द की समस्या है तो बिना दूध डाले चाय बनाकर दिन में दो-तीन बार सेवन करें इससे आपका पेट दर्द शीघ्र ही ठीक हो जाएगा।
पेट दर्द में 10 ग्राम गुड़ लेकर आधा चम्मच खाने वाला चूना मिलाकर बैर जैसी गोली बना लें। इस गोली का प्रयोग दिन में तीन चार बार एक गिलास गुनगुने पानी के साथ खाऐं और बिस्तर पर थोड़ी देर आराम करे कुछ ही देर बाद पेट दर्द ठीक हो जाता है।
पेट दर्द में करंज के बीज की मिंगी 50 ग्राम, कच्ची हींग 10 ग्राम, शुद्ध हिंगुल 3 ग्राम, शंख भस्म 10 ग्राम और गुड़ 50 ग्राम इन सभी को कूट-पीसकर महीन चूर्ण कर लें, गुड़ की थोड़ी सी चाशनी बनाकर इस चाशनी में सभी कूटे हुए चूर्ण डालकर 1-1 रत्ती की गोलियां बना लें और छाया में सुखा लें। ये 2-2 गोली सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ प्रयोग करने से पेट का दर्द दूर होता है।
पेट के रोगी को बिना किसी कारण के मलत्याग होना चाहिए। चौबीस घंटों में कम से कम 1 बार मल त्याग करना ज़रूरी है। यदि मल त्याग में कठिनाई होती है, अथवा कब्ज की शिकायत रहती हो तो एक गिलास गर्म दूध में दो चम्मच अरंडी का तेल मिश्रित कर , रात्रि में सोने से पहले पी लेने से पेट की समस्या से निदान मिलता है।
पेट दर्द की समस्या से शीघ्र छुटकारा पाने के लिए तीन चम्मच नीम्बू का रस तथा एक ग्राम सेंधा नमक 100 मिलीलीटर गर्म पानी में मिलाकर पीने से उदर की परेशानी में काफी आराम मिलता है।
अजवाइन, सेंधा या सादा नमक मिलाकर बराबरा मात्रा में गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से पेट की समस्या से शीघ्र निजात पा सकते है।
1 चम्मच पुदीने का रस आधा गिलास पानी में मिलाकर नियमित दिन में दो-चार बार प्रयोग करने से भी आपको उदर की पीड़ा में काफी राहत मिलेगी। यद्यपि इस मिश्रण का स्वादिष्ट नहीं होता, लेकिन इसके प्रयोग से उदर के दर्द में फौरन आराम मिलता है।
आक को छाया में सूखाकर मूलत्वक के महीन चूर्ण में बराबरा की मात्रा में त्रिफला सेंधा नमक व महीन सौंफ का चूर्ण मिलाकर 1 ग्राम की मात्रा में दिन में दो-तीन बार जल के साथ सेवन करने से पेट की पीड़ा में आराम मिलता है।
आक के फूलों को छाया में सुखाकर महीन चूर्ण बनाकर आक के पत्तों के स्वरस में तीन दिन खरल करके अजवायन, सौंस बराबर मात्रा में मिलाकर बेर जैसी गोलियाँ बना लें, दो गोली गुनगुने पानी के साथ प्रयोग करने से कठिन से कठिन उदर शूल छूमंतर हो जाता है। यदि आराम न हो तो गोलियों की मात्रा बढ़ा लें।
पेट दर्द से छुटकारा पाने के लिए मरीज को आक की जड़ ताज़ी छाल और अदरक 1-1 ग्राम, काली मिर्च और सैंधा नमक आधा-आधा ग्राम इन सबकों महीन पीस चना जैसी गोलियाँ बनाकर छाया में सूखाकर 1 या 2 गोली अर्क पुदीना के साथ नित्य प्रयोग करने से उदर की पीड़ा मिटती है। पेट में जहां तीव्र दर्द हो रहा हो उस स्थान पर आक के 2-4 पत्तों पर पुराना घी चुपड़कर तथा गर्म कर रखे, और थोड़ी देर के लिये पेट पर कपड़े से बाँध दें, वेदना शांत हो जाती है।
पेट की ऐंठन में वासा के पत्तों के स्वरस में सिद्ध किये तिल के तेल की मालिश से पेट दर्द, वात तथा हाथ पैरों की ऐंठन मिट जाती है।
पेट दर्द की समस्या से परेशान मरीज को अगस्त की छाल के 20 ग्राम काढ़ा में हल्का सा सैंधा नमक और भूनी हुई 20 नग तथा लौंग मिलाकर सुबह-शाम पीने से तीन दिन के पुराने पेट का दर्द नष्ट हो जाता है।
1 ग्राम काले नमक के साथ 3 ग्राम अजमोद के चूर्ण की फंकी देने से पेट का दर्द दूर होता है। अजमोद के तेल की 2-4 बुँदे 1 ग्राम की मात्रा में काले नमक में मिश्रित कर गर्म जल के साथ सेवन करने से उदर की पीड़ा मिटती है।
खुरासानी को बारीक पीसकर चूर्ण को गुड़ में गोली बनाकर मरीज को खिलाने से पेट की पीड़ा मिटती है। खुरासानी के 12 ग्राम चूर्ण में 250 मिलीग्राम काला नमक मिलाकर खिलाने से पेट दर्द में लाभ होता है। अथवा इसके 10-20 ग्राम काढ़ा में थोड़ा गुड़ मिलाकर पिलाने से शीघ्र लाभ होता है।
उदर की पीड़ा में अकरकरा की जड़ का चूर्ण और छोटी पिप्पली का चूर्ण बराबरा मात्रा में लेकर आधा चम्मच सुबह-शाम भोजनोपरांत खाने पेट की पीड़ा में लाभ होता है।
अमर बेल का स्वरस 1/2 किलोग्राम को सूखाकर चूर्ण बनाकर 1 ग्राम व मिश्री 1 किलोग्राम दोनों को मिलाकर शर्बत तैयार कर लें। प्रातः-सांय करीब 2 ग्राम की मात्रा में उतने ही जल के साथ सेवन करने से शीघ्र ही उदरशूल का नाश होता है। अमरबेल को उबालकर पेट पर बाँधने से उदर की पीड़ा दूर हो जाती है।
उदर शूल और अफारे में अमलतास की मज्जा को पीसकर हल्का गर्म ही गर्म नाभि के चारों ओर लेप करने से पेट का दर्द शीघ्र मिटता है।
अन्नतमूल के मूल को 2-3 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी में अच्छी तरह घोंटकर नियमित सुबह-शाम पीने से उदरशूल नष्ट होता है।
पके हुये अनानास के 10 ग्राम रस में भूनी हुई हींग 125 मिलीग्राम मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से उदर शूल और गुल्म रोग में लाभ होता है।
अरणी की 100 ग्राम जड़ो को लेकर आधा सेर पानी में धीमी आंच पर 15 मिनट तक उबालें, तथा 100 ग्राम पानी दिन में दो बार पीने से जठराग्नि के कारण उत्पन्न पेट दर्द में शीघ्र आराम मिलता है।
बबूल की अंदर की छाल का काढ़ा बनाकर काढ़ा को 1-2 ग्राम की मात्रा में मटठे के साथ पीने से और पथ्य में सिर्फ मटठे का आहार लेने से उदर की पीड़ा नष्ट हो जाते है।
उदरशूल में बकायन के पत्रों 3-5 ग्राम के काढ़ा में शुंठी चूर्ण 2 ग्राम मिलाकर पिलाने से पेट के दर्द में लाभ होता है।
बेल 10 ग्राम, काली मिर्च 7 नग, 10 ग्राम मिश्री इन सबको एक साथ पीस मिलाकर शर्बत बनाकर दिन में दो-तीन बार पिलाने से पेट का दर्द दूर होता है।
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