तेज पत्ता की घरेलू दवाएं, उपचार: तेज पत्ता सर्दी-जुकाम, सिरदर्द, सिर की जुएं, नेत्ररोग, दांतों की मैल, दमा रोग, खांसी, हकलाहट, अरुचि, पेट फूलना, वमन (उल्टी), पीलिया रोग, पथरी, सुख प्रसव, गर्भाशय शुद्धि, गर्भाशय की पीड़ा, वायुगोला, सन्धिवात, रक्तस्राव आदि बिमारियों के इलाज में तेजपात की घरेलू दवाएं, होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक, उपचार, औषधीय चिकित्सा प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से किये जाते है: तेजपात के फायदे, लाभ, घरेलू दवाएं, उपचार, औषधीय गुण, सेवन विधि एवं नुकसान:-
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Table of Contents
हिंदी – तेजपात, तेजपत्ता
अंग्रेजी – Indian Cinnamon
संस्कृत – तमालपत्र
गुजराती – लमालपत्र
मराठी – तमाल पत्र
बंगाली – तेजपात
पंजाबी – तमाल पत्र
तैलगू – दिरसेनामु
अरबी – साजजे हिंदी
फ़ारसी – सादरस
पत्तियों में एक उड़नशील तेल पाया जाता है। जिसका मुख्य घटक यूजीनोल है। इसके अतिरिक्ति तार्पीन तथा सिंनेमिक ऐल्डीहाइड भी पाया जाता है। पोषक तत्व जिंक 3.70 मिलीग्राम, फास्फोरस 113 मिलीग्राम, मैंगजीज 8.167 मिलीग्रा, पोटैशियम 529 मिलीग्राम, कैल्शियम 834 मिलीग्राम, आयरन 43 मिलीग्राम, सोडियम 23 मिलीग्राम, विटामिन C 46.5 मिलीग्राम, विटामिन A 6185 आई यू, पायरिडॉक्सिन 1.746 मिलीग्राम, नियासिन 2.005 मिलीग्राम, फोलेट 180 एमसीजी, कोलेस्ट्रोल 0 मिलीग्राम, फैट 8.36 मिलीग्राम, प्रोटीन 7.61 मिलीग्राम, कार्बो हाइड्रेट 74.97 7.61 मिलीग्राम, ऊर्जा 313 किलो कैलोरी तेजपात में आदि पोषक तत्व पाये जाते हैं।
सर्दी-जुकाम से ग्रसित मरीज को चाय पत्ती की जगह तेजपात के चूर्ण की चाय पीने से छीकें आना, नाक बहना, जलन, सिर दर्द में शीघ्र आराम मिलता है। तथा तेज पत्ता के पत्तों को सूँघने से भी लाभ होता है। तेजपात की छाल 5 ग्राम और छोटी पिप्पली 5 ग्राम को पीसकर 2 चम्मच मधु के साथ चटाने से खांसी और जुकाम नष्ट होता है।
सिरदर्द में 10 ग्राम तेजपात के पत्तों को जल के साथ पीसकर मस्तक पर लेप करने से ठड या गर्मी से उत्पन्न सिर दर्द में आराम मिलता है। आराम होने पर लेप साफ कर देना चहिए।
सिर की जुंएं को जड़ खत्म करने के लिए तेजपात के 5-6 पत्तों को एक गिलास पानी में इतना उबालें कि पानी आधा रह जाये। इस पानी से रोजाना सिर में मालिश करने से या इसी पानी को जल में मिलाकर रोजाना स्नान करने से सिर की जुएं नष्ट हो जाती है।
नेत्र रोग में तेजपात को पीसकर आँख में लगाने से आँख का जाला और धुंध मिट जाती है। आँख में होने वाला नाखूना रोग भी इसके प्रयोग से कट जाता है।
दांतों की मैल को साफ करने के लिए तेजपात के पत्तों का बारीक चूर्ण सुबह-शाम दांतों पर मलने से दांतों में चमक आती है। तेजपात डंठल को दांतों में चबाते रहने से दाँतों से खून आने की समस्या से आराम मिलता है।
दमा रोग की समस्या से छुटकारा पाने के लिए मरीज को तेज पत्ता और पीपल को 2-2 ग्राम की मात्रा में अदरक के मुरब्बे की चाशनी में बुक कर चटाने से दमा और श्वांस नली का उपद्रव मिट जाता है।
खांसी से पीड़ित मरीज को सूखे तेजपात के पत्तों का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में एक कप गर्म दूध के साथ सुबह-शाम नियमित सेवन करने से खांसी में लाभ होता है। एक चम्मच तेजपात का चूर्ण मधु के साथ प्रयोग करने से खांसी में आराम मिलता है।
हकलाहट बच्चों या बुढ़ापे की हकलाहट में तेजपात के पत्ते नियमित रूप से चूसते रहने से हकलाहट में लाभ होता है।
अरुचि (भूख न लगने) में तेजपात का रायता सुबह-शाम खाने से भूख की वृद्धि होती है।
पेट फूलने पर तेज पत्ता के पत्तों का काढ़ा पिलाने से पसीना आता है और आतों की खराबी से पेट का फूलना, दस्त लगना आदि में आराम हो जाता है।
उबकाई (वमन/उल्टी) में तेजपात के 2-4 ग्राम चूर्ण की फंकी सुबह-शाम देने से वमन बंद हो जाता है।
पीलिया रोग में तेज पत्ता के नियमित रूप से 5-6 पत्ते चबाने से पीलिया रोग की तीव्रता कम होती है।
सुख प्रसव की कमना करने वाली महिलाओं को तेजपात के पत्तों की धूनी देने से बच्चा सुख पूर्वक हो जाता है।
गर्भाशय की शुद्धि के लिए स्त्रियों को तेजपात के पत्तों का महीन चूर्ण 1-3 ग्राम तक मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से गर्भाशय शुद्ध होता है। प्रसूता को तेजपात के पत्तों का काढ़ा 40-60 मिलीग्राम सुबह-शाम पिलाने से दूषित रक्त तथा मल आदि निकल कर गर्भाशय शुद्ध हो जाता है।
गर्भाशय की पीड़ा की समस्या से शीघ्र छुटकारा पाने के लिए महिलाओं को तेजपात का काढ़ा बनाकर काढ़े में बैठाने से गर्भाशय की पीड़ा शांत होती है।
वायुगोला में तेजपात की छाल का चूर्ण 2-4 ग्राम पीसकर रात्रि में सोते समय फांकने से वायु गोला मिटता है। तथा पेट के दस्त साफ हो जाते है।
सन्धिवात रोग में तेज पत्ता के पत्तों को जोड़ों पर लेप करने से सन्धिवात रोग में लाभ होता है।
रक्तस्राव में शरीर के किसी भी अंग से रक्तस्राव होने पर एक चम्मच तेजपात का चूर्ण एक कप पानी के साथ 2-3 बार सेवन करने से रक्तस्राव रोग में लाभ होता है।
उष्ण एवं समशीतोष्ण हिमालय प्रदेश में 3,000 से 6,000 फुट की ऊंचाई तक तमाल पत्र के जंगली वृक्ष पाये जाते हैं। तेजपात के सुखाये हुये पत्ते बाजारों में तेज पत्ता के नाम से बिकते हैं। पत्तियों का रंग जैतूनी हरा, तथा उर्ध्व पृष्ठ चिकना, 3 स्पष्ट शिराओंयुक्त तथा इसमें लौंग एवं दालचीनी की सम्मिलित मनोरम गंध पाई जाती हैं।
हल्का, तीक्ष्ण, कड़वा, मधुर, उष्ण, दीपन-पाचन, वातानुलोमक, मस्तिष्क को बल देने वाला, पेशाब को साफ करने वाला, आमाशय को शक्ति देने वाला, आमाशय के लिये हितकारी तथा सौमनस्यजनन है।
तेजपात का अधिक मात्रा में प्रयोग करने से आपको डायरिया तथा वोमिटिंग हो की सम्भवना रहती है।
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