ब्राह्मी की दवा:- रक्तचाप, स्मरण शक्ति, पागलपन, गंजापन, मधुर आवज, दाह, पेशाब की जलन, चेचक रोग, निद्रानाश, खुजली आदि बिमारियों के इलाज में ब्राह्मी के औषधीय चिकित्सा प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से किये जाते है:-ब्राह्मी के फायदे, गुण, नुकसान और औषधीय प्रयोग
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ब्राह्मी वृक्ष में हाइड्रोकोटिलीन नामक क्षाराभ, ताज़ी पत्तियों में एशियाटिकोसाइड नाम ग्लाइकोसाइड होता है, इनके अतिरिक्त इसमें वैलेरिन, राल, तिक्त पदार्थ, पैक्टिक अम्ल, स्टेरॉल, वसा अम्ल, टैनिन, उड़नशील तेल तथा एस्कार्बिक एसिड, थानकुनीसाइड नामक ग्लूकोसाइड, ब्राह्मोसाइड, ब्राहिमक एसिड आदि पाये जाते हैं।
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रक्तचाप में ब्राह्मी के पत्तों का स्वरस एक चम्मच की मात्रा में आधे चम्मच मधु के साथ सेवन करने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाती है।
स्मरण शक्ति में शुष्क ब्राही 1 भाग, काली मिर्च चौथाई भाग, बादाम गिरी 1 भाग, पानी से घोटकर 3-3 ग्राम की टिकिया बनायें। दिमाग को शक्ति देने के लिए एक टिकिया रोजाना सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से स्मरण शक्ति में लाभदायक होता है। ब्राही 3 ग्राम, शंखपुष्पी 3 ग्राम, बदाम गिरी 6 ग्राम छोटी इलायची के बीज 3 ग्राम, इन सभी को एक तोला जल में घोंट, छानकर मिश्री मिला कर पिलायें। स्मरण शक्ति के साथ-साथ अनेक प्रकार के रोगों को नष्ट करती खांसी पित्त ज्वर और जीर्ण उन्माद के लिए बहुत लाभदायक है।
उन्माद रोग (पागलपन) में ब्राह्मी का रस 6 ग्राम, कूट का चूर्ण डेढ़ ग्राम, शहद 6 ग्राम मिलाकर रोगी को दिन दो तीन बार पिलाने से या प्रयोग जीर्ण उन्माद मिटाने के लिए लाभप्रद होता है। ब्राही 3 ग्राम, काली मिर्च 2 नग, बादाम गिरी 3 ग्राम मगज के बीज प्रत्येक 3-3 ग्राम मिश्री सफेद 25 ग्राम जल में घोंट छानकर सुबह-शाम पिलाने से पागलपन में लाभदायक होता है।
गंजापन में ब्राह्मी के पंचाग का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित रूप से दो तीन सप्ताह सेवन करने से गंजापन में गुणकारी है, तथा आप के बालों को मजबूती प्रदान करता है।
मधुर आवाज सूखी ब्राही 100 ग्राम, मुनक्का 100 ग्राम, शंखपुष्पी 50 ग्राम, सब को चौगुने पानी में मिलाकर अर्क निकालें। इसके प्रयोग से शरीर स्वस्थ और आवाज साफ़ हो जाती हैं।
दाह में 5 ग्राम ब्राही के साथ धनिया मिलाकर रात भर भिगो दें। प्रातःकाल पीस, छानकर मिश्री मिलाकर सेवन करने से दाह ठीक हो जाता है।
मूत्रकृच्छ्र (पेशाब की जलन) में ब्राही के 2 चम्मच रस में, एक चम्मच मिश्री मिलाकर सेवन करने से मूत्रावरोध पेशाब की जलन में लाभप्रद होता हैं:पेशाब की जलन में तुलसी के फायदे एवं सेवन विधि:
निद्रानाश में ब्राही का 3 ग्राम का चूर्ण गाय के आधा किलो कच्चे दूध में घोंट छानकर एक सप्ताह तक सेवन करने से पुराना से पुराना निद्रानाश रोग में लाभ होता है। ताज़ी ब्राही के 5-10 ग्राम रस को 100-150 ग्राम कच्चे दूध में मिलाकर पीने से लाभ होता है। ताजी बूटी के अभाव में लगभग 5 ग्राम चूर्ण प्रयोग करने से निद्रानाश में लाभदायक होता है।
चेचक रोग में ब्राह्मी के स्वरस में शहद मिलाकर सेवन करने से चेचक रोग में लाभप्रद होता है।
ब्राही बूटी सम्पूर्ण भारतवर्ष में जलाशयों के किनारे उत्पन्न होती हैं परन्तु हरिद्वार से लेकर लगभग 200 फुट की ऊंचाई तक यह विशेष रूप में दर्शन देती हुई आभास कराती हैं कि यह विशेष रूप से बह्म प्रभावित क्षेत्र है। ऐसा कहा जाता हैं कि इस दिव्य बूटी के सेवन से ब्राही को ब्रहा की साधना में मदद मिलती है। इसी से साधक जन प्रायः इस बूटी का सेवन करते रहते हैं।
ब्राह्मी एक भूप्रसारीय अत्यंत कोमल लता होती है क्योंकि मंडूक के समान पत्र वाली तथा मंडूकवत इतस्तत फैलने के कारण इसे मंडूक पर्णी कहा गया हैं। यह गीली और तर भूमि में फैलती हैं। ब्राह्मी के पूर्व संधियों से मूल निकलकर पृथ्वी में घुस जाते हैं और स्वतंत्र पौधा बन जाता हैं। पत्र गोल, हरे, दलदार तथा एक साथ 2-3 लगते हैं। वृन्त की तरफ का हिस्सा खुला हुआ होता हैं। इन पत्तों पर बहुत छोटे-छोटे चिन्ह पाये जाते हैं। पुष्पागम बंसत से ग्रीष्म तक और इसके बाद फल लगते हैं। पुष्प श्वेत, नीलाभ होते हैं। ब्राही के सारे पौधे का स्वाद बहुत कड़वा होता हैं।
प्रभाव मध्य, स्मृति बुद्ध तथा कुष्ठ, पांडू, मस्तिष्क के रोग में लाभकारी है। यह हृदय के लिए बलकारक, स्तन्यजनं, स्तन्य शोधन, व्रणरोपण, व्रणशोधक, वयःस्थापन एवं रसायन हैं।
ब्राह्मी के अहितकर अतियोग से कभी-कभी शीतजन्य वातवृद्धि के कारण मद, शिरःशूल, भ्रम और अवसाद उत्पान्न होते हैं। त्वचा का लालिमा और खुजली हो जाती है। ऐसी अवस्था में ब्राह्मी की मात्रा कम कर दें या प्रयोग बंद कर नहीं तो गलत प्रणाम हो सकता है।
Subject- Brahmi ke Fayde, Brahmi ke Gun, Brahmi ke Aushadhiy Gun, Brahmi ke Aushadhiy Fayde, Brahmi ke Aushadhiy Prayog, Brahmi ke Gharelu Upchar, Brahmi ke Labh, Brahmi ke Fayde Evam Sevan Vidhi, Brahmi ke Nuksan, Brahmi Benefits And Side Effects In Hindi.
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