अजवायन की दवा:- बुखार, मलेरिया बुखार, मासिक धर्म, नपुंसकता, योनि रोग, बवासीर, खांसी, जुखाम, सिरदर्द, दाद, खाज-खुजली, स्वाइनफूल्युं, शराब, पाचन शक्ति, जलोदर, पेशाब की जलन, दस्त, प्रमेह, हैजा, पेट दर्द, पेट की गैस, उल्टी, कर्णरोग, बहुमूत्र, गुर्दा का दर्द, चर्म रोग, आंत के कीड़े, पेट के कीड़े, सिर की जुएं, पित्ती उछलना, पेशाब की रूकावट, घाव, कांटा चुभने आदि बिमारियों के इलाज में अजवायन के औषधीय चिकित्सा प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से किये जाते है:-Ajwain Benefits And Side Effects In Hindi.अजवायन के फायदे एवं सेवन विधि:
स्वास्थ्य वर्धक आयुर्वेदिक
औषधि Click Hereजड़ी-बूटी इलाज
Click Here
Table of Contents
ज्वर (बुखार) में 10 ग्राम अजवायन, रात्रि को 125 ग्राम जल में भिगो दें, खाली पेट पिलाने से बुखार उत्तर जाता है। ठंठ लगने से आने वाला बुखार में 2 ग्राम अजवायन सुबह-शाम खिलाने से पसीना आकर बुखार उत्तर जाता है। बुखार की दशा में यदि पसीना अधिक निकले तब 100 से 200 ग्राम अजवायन को भूनकर और महीन पीसकर शरीर पर लेप करने से बुखार में लाभ होता है।
मलेरिया बुखार में 10 ग्राम अजवायन को रात में 100 ग्राम जल में भिगों दे और प्रातः काल पानी गुनगुन कर थोड़ा सा नमक डालकर दो चार दिन सेवन करने से मलेरिया बुखार उत्तर जाता है।
मासिक धर्म की रुकावट में अजवायन 10 ग्राम और पुराना गुड़ 50 ग्राम को 200 ग्राम जल में पकाकर सुबह-शाम सेवन करने से गर्भाशय का मल साफ़ होता है। तथा रुका हुआ मासिक धर्म फिर से जारी हो जाता है। 3 ग्राम अजवायन चूर्ण को सुबह-शाम गर्म दूध के साथ सेवन करने से मासिक धर्म की रुकावट दूर होकर, रजस्त्राव खुलकर होता है।
नपुंसकता में 3 ग्राम अजवायन को सफेद प्याज के रस 10 मिलीलीटर में तीन बार 10-11 ग्राम खंड मिलाकर सेवन करने से 21 दिन में पूर्ण लाभ होता है। इस प्रयोग से नपुंसकता, शीघ्र ठीक हो जाता है।
सुजाक (योनि रोग) में अजवायन के तेल की 3 बूँद 5 ग्राम चीनी में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से तथा नियमपूर्वक रहने से योनि रोग में लाभ होता है।
अर्श (बवासीर) में पिसी हुई अजवायन और एक ग्राम सैंधा नमक दोपहर के भोजन के बाद एक गिलास मट्ठे में डेढ़ ग्राम मिलाकर पीने से बवासीर के मस्से पुनः नष्ट हो जाती है।
खांसी में अजवायन के चूर्ण की 2 से 3 ग्राम मात्रा को गर्म पानी या गर्म दूध के साथ दिन में 2-3 बार पिलाने से भी जुकाम, सिर दर्द, नजला, खांसी में लाभदायक होता है। कफ अधिक गिरता हो, बार-बार खांसी आती हो, तो इस दशा में अजवायन का सत 125 मिलीग्राम, घी 2 ग्राम और मधु 5 ग्राम में मिलाकर दिन में 3 बार खिलाने से कफोत्पत्ति कम होकर खांसी में लाभ होता है।
सर्दी-जुकाम में 3-4 बून्द अजवायन व दिव्यधारा रुमाल में डालकर सूंघने से या 8-10 बूँद गर्म पानी में डालकर भाप लेने से जुखाम में शीघ्र लाभ होता है।
सिरदर्द में 150 से 250 ग्राम अजवायन को गर्म कर मलमल के कपड़े में बांधकर पोटली बनाकर तवे पर गर्म करके सूँघने से छींके आकर जुकाम व प्रतिश्याय का वेग कम होता है। अजवायन को साफ कर महीन चूर्ण बना लें, इस चूर्ण को 2 से 5 ग्राम की मात्रा में नसवार की तरह सूँघने से जुकाम, सिर की पीड़ा, कफ का नासिका में रुक जाना एवं मस्तिष्क के कृमि में गुणकारी है।
इंफ़्ल्युएन्जा (स्वाइनफूल्युं) में 10 ग्राम अजवायन को 200 ग्राम गुनगुने पानी में पकाकर या काढ़ा तैयार का प्रत्येक 2.5 घंटे के बाद 25-25 ग्राम पिलाने से रोगी की बैचेनी शीघ्र दूर हो जाती है। 24 घंटे के बाद रोगी को आराम मिलता है।
शराबियों को जब शराब पीने की इच्छा हो तथा रहा ना जाये तब वो अजवायन 10-11 ग्राम की मात्रा में 2-3 बार चबाये या अजवायन का स्वरस निकाल कर प्रयोग करने से शराब की आदत छूट जाती है। आधा किलो अजवायन 350 ग्राम पानी में पकाकर जब आधा से भी कम रह जाये तो छानकर शीशी में भरकर फ्रिज में रखें, भोजन से पहले 1 कप काढ़े को शराबी को पिलायें, जो शराब छोड़ना चाहते हैं और छोड़ नहीं पाते, उनके लिए यह प्रयोग एक वरदान समान है।
पाचन शक्ति में अजवायन 80 ग्राम, काली मिर्च 40 ग्राम, जवाखार 40 ग्राम, सैंधा नमक 40 ग्राम, काला नमक 40 ग्राम, कच्चे पपीते का दूध (पापेन) 10 ग्राम, इन सबको महीन पीस कर कांच के बर्तन में भरकर 1 किलो नीबू का रस डालकर धूप में रख देवें और बीच-बीच में हिलाते रहें। एक माह के बाद जब बिल्कुल सूख जाये, सूखे हुए चूर्ण को 2 से 4 ग्राम की मात्रा में जल के साथ सेवन करने से पाचन शक्ति शीघ्र दूर होती है। अजवायन जल के साथ खाने से पेट की गुड़गुड़ाहट और खट्टी डकारें आना बंद हो जाती है। अजवायन को बारीक पीसकर उस में थोड़ी मात्रा में हींग मिलाकर लेप बनाकर पेट पर मालिश करने से जलोदर एवं पेट के अफारे में लाभ होता है।
जलोदर (पेट में अधिक पानी भरना) में गाय के 1 किलो मूत्र में अजवायन लगभग 200 ग्राम को भिगोकर सूखा लें, इसको थोड़ी-थोड़ी मात्रा में गोमूत्र के साथ खाने से पेट का अधिक पानी समान हो जाता है।
मूत्रकृच्छ (पेशाब की जलन) में 3 से 6 ग्राम अजवायन की फक्की उष्ण जल के साथ सेवन करने से मूत्र की रुकावट व पेशाब की जलन में लाभदायक होता है, 10 ग्राम अजवायन को पीसकर लेप बनाकर कोख पर लेप करने से अफारा मिटता है, तथा मूत्राशय की शोथ कम होता है तथा पेशाब खुलकर होता है।
दस्त में पतले-पतले दस्त हो, तब अजवायन 3 ग्राम और नमक 500 मिलीग्राम ताजे पानी के साथ फंकी लेने से तुरंत लाभ होता है। अगर एक बार में आराम न हो तो 15-15 मिनट के बाद सेवन करने से तथा 2 -3 बार खाने से दस्त में शीघ्र लाभ होता है:पेट दर्द में गाजर के फायदे एवं सेवन विधि:CLICK HERE
प्रमेह में अजवायन 3 ग्राम को 10 ग्राम तिल के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करने से प्रहेम रोग में लाभ होता है।
हैजे में अजवायन तेल की 4-5 बूँद अमृतधार एक ग्राम दोनों को संभाग मिलाकर सेवन करने से हैजा में गुणकारी है। अमृतधारा को हैजे की प्रारम्भिक अवस्था में देने से तुरंत लाभ होता है। एक बार में आराम न हो तो 15-15 मिनट के अंतर् से 2-3 बार दे सकते है। इन दोनों के प्रयोग नियमित करने से हैजा शीघ्र नष्ट हो जाता है।
अतिसार (पेट दर्द) श्वांस, गोला, उल्टी आदि बीमारियों में भी 5-7 बूँद अजवायन के साथ बतासे का सेवन करने से पेट दर्द में लाभ होता है। 3 ग्राम अजवायन में 1/2 ग्राम काला नमक मिलाकर गर्म जल के साथ फंकी लेने से अफरा मिटता है।
पेट की गैस में अजवायन चूर्ण को सुबह-शाम सेवन करने से पेट की गैस का नाश होता है। अजवायन, सैंधा नमक, हरड़, और सौंठ इनके चूर्ण को समभाग मिश्रित कर 1 से 2 ग्राम की मात्रा गर्म पानी के साथ सेवन करने से वायु गोले नष्ट होते है। अजवायन चूर्ण के वचा, सोंठ, काली मिर्च, पिपल्ली 100 ग्राम जल में पकाकर चतुर्थाश शेष काढ़ा के साथ गर्म-गर्म ही रात्रि में पीने से गैस गुल्म नष्ट होता है।
वमन (उल्टी) में अजवायन अमृत धरा की 4-5 बूँद बतासेन में या गर्म जल में डालकर आवश्यकतानुसार पीलाने से तुरंत लाभ होता है। एक बार में लाभ न हो तो थोड़ी-थोड़ी देर में 2-3 बार सेवन करने से उल्टी बंद हो जाता है।
कर्णशूल में 10 ग्राम अजवायन को 50 ग्राम तिल के तेल में पकाकर सहने योग्य गर्म तेल को 2-3 बून्द कान में डालने से कान की पीड़ा शांत होती है।
बहुमूत्र (अधिक पेशाब लगना) 2 ग्राम अजवायन को 2 ग्राम गुड़ के साथ कूट-पीस कर, 4 गोली बना लें, 2-3 घंटे के अंतर् से 1-1 गोली जल से खाने से बहुमूत्र रोग दूर होता है। 4 ग्राम अजवायन कोर 4 ग्राम गुड़ की 450-500 मिलीग्राम तक की नौ गोली बना लें, 2-3 घंटे बाद खिलाने से पेशाब का अधिक लगना बंद हो जाता है। जो बच्चे बिस्तर गीला कर देते हैं उन्हें रात्रि में 500 मिलीग्राम तक अजवायन खिलाने से बिस्तर पे पेशाब करना बंद कर देंगे।
वृक्क शूल (गुर्दा का दर्द) 3 ग्राम अजवायन का चूर्ण सुबह-शाम गर्म दूध के साथ पीने से गुर्दे के दर्द में धीरे-धीरे लाभ होता है।
त्वग्रोगव्रण (चर्म रोग) चर्म रोग और व्रणों पर अजवायन के काढ़े का लेप करने से दाद, खुजली, कृमियुक्त व्रण एवं जले हुये स्थान में लाभ होता है। अजवायन को उबलते हुये जल में डालकर व्रणों को धोने से चर्म रोगों, दाद, फुंसी, गीली खुजली आदि में लाभ होता है।
प्रसूता स्त्रियों को अजवायन के लड्डू और भोजन के उपरांत अजवायन 2 ग्राम की फंकी फकने से आँतों के कीड़े मरते हैं, पाचन होता है और भूख अच्छी लगती है एवं प्रसूत रोग से बचाव होता है।
उदरकृमि (पेट के कीड़े) में स्वच्छ अजवायन के महीन चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में 2-3 बार मठ्ठे के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते है। अजवायन के 2 ग्राम चूर्ण को समान भाग नमक के साथ प्रातः काल सेवन से अजीर्ण, आमवात तथा कृमिजन्य रोग, आध्मान, शूल आदि शांत होता है। अजवायन के 500 मिलीग्राम चूर्ण में, समभाग काला नमक मिलाकर, रात्रि के समय रोज गर्म जल के साथ सेवन करने से बाकलों का कृमि रोग दूर हो जाता है। कृमिरोग में पत्तों का 4 मिलीग्राम स्वरस भी गुणकारी है।
सिर की जुऐं में अजवायन 10 ग्राम चूर्ण में 5 ग्राम फिटकरी मिला, दही या छाछ में मिलकर बालों में मलने से लीखें तथा जुऐं मर जाती है।
पित्ती उछलना में अजवायन 50 ग्राम को 50 ग्राम गुड़ के साथ अच्छी प्रकार कूटकर 5-6 ग्राम की गोली बना लें। 1-2 गोली सुबह-शाम ताजे पानी के साथ सेवन करने से 1 सप्ताह में ही तमाम शरीर पर फैली हुई पित्ती नष्ट हो जायेगी।
घाव या किसी भी प्रकार की चोट पर 50 ग्राम गर्म अजवायन को दोहरे कपड़े की पोटली में डालकर सेंक करने से 1 घंटे तक आराम मिलता है। जरूरत हो तो जख्म पर कपड़ा दाल दें ताकि जले नहीं। किसी भी प्रकार की चोट पर अजवायन का सेंक चमत्कारी सिद्ध हुआ है।
बच्चों के पैरो पर कांटा चुभने के स्थान पर गुड़ में पिसी हुई अजवायन 10 ग्राम मिलाकर थोड़ा गर्म कार दर्द के स्थान पर बाँध देने से काँटा अपने आप निकल जाता है।
भारतवर्ष में अजवायन का प्रयोग औषधि के रूप में बहुत प्राचीन काल से हो रहा है। प्रसूति के बाद स्त्री को अजवायन का विशेष रुप से सेवन कराया जाता है। अजवायन से अन्न का पाचन ठीक होता है, भूख अच्छी लगती है, गर्भाशय की शुद्धि एवं पीड़ा दूर होती है। प्रसव के पश्चात अजवायन के चूर्ण की पोटली बना योनि में रखने से या अजवायन के काढ़ा से योनि का प्रक्षालन करने से गर्भाशय में दुर्गन्ध युक्त जलस्त्राव एवं गर्भाशय में कीटाणु प्रकोप नहीं हो पाता। अजवायन पाचक औषधि के रूप में इस बूटी ने बहुत प्रसिद्धि पाई है। अजवायन में चिरायते का कटुपौष्टिक गुण, हींग का वायुनाशक और काली मिर्च का अग्नि दीपन गुण इसी कारण कहा जाता है “एका यवानी शतमननपातिका”- अर्थात अकेली अजवायन ही सैंकड़ो प्रकार के अन्न को पचाने में सक्षम है। दूध यदि ठीक न पचता हो तो दूध पीकर ऊपर से थोड़ी अजवायन खा लेनी चाहिये। यदि गेंहू का आटा मिष्ठान्न आदि न पचता हो तो इसमें इस वहन को मिलाकर खाना चाहिये। शरीर में कहीं पर भी वेदना होती हो तो अजवायन से पानी आग पर दाल कर धूपित करने से, अंगदर्द दूर होकर पसीना आता है, एवं देह की शुद्धि हो जाती है।
अजवायन का शाखा प्रशाखा युक्त, चिकना या किंचित मृदुरोमश पत्रमय क्षुप एक से 3 फिट ऊँचा होता है, काष्ठ धारीदार होता है, पत्र द्विपक्षवत विभक्त होता है। अंतिम पत्र खांड आधे से 1 इंच लम्बे, रेखाकार होते है। अजवायन पुष्प छत्राकार, सफ़ेद संयुक्त छात्रको में होते है। अजवायन फल आधे इंच लम्बे, अंडाकार, धूसर भूरे रंग के सूक्ष्म, कंटकित या रोमश होते है तथा 5 स्पष्ट रेखाओं से युक्त होने के कारण पच्च्कोणीय प्रतीत होते है अजवायन फल के 1 बीजी दोनों खांड कुछ दबे होते है। प्रत्येक खांड में 1 बीज होता है। फरवरी-अप्रैल में पुष्प और उसके बाद इसमें फल लगते है।
अजवायन के अंदर एक प्रकार का सुगन्धित उड़नशील द्रव्य होता है, जिसे अजवायन का फूल सत तथा अंग्रेजी में थायमोल कहते है। अजवायन को पानी में भिगोकर भाप के द्वारा अजवायन का सत निकाला जाता है।
दीपन, पाचन, वातनुलोमन, शूलप्रशमन, जीवाणु नाशक, गर्भाशय उत्तेजक, उदर कृमिनाशक अकुंष्मुख कृमि पर विशिष्ट घातक क्रिया, पित्त-वर्धक, शुक्रनाशक, स्तन्यनाशन, कफवात्तशामक, ज्वरध्न, शीतप्रशमन, वेदनास्थापन तथा शोथहर है।
अजवायन का प्रयोग ताजी ही करना क्योंकि पुरानी हो जाने पर इसका तेल का अंश नष्ट हो जाता है, यह वीर्यहीन हो जाती है। तथा नुकसान दायक होती है। अजवायन का अधिक सेवन सिर में दर्द उत्पन्न करता है।
अजवायन के प्रयोग पीलिया रोगी निर्बल और गर्भशाय में नहीं करना चाहिये। गर्भपात गिरने की सम्भावना रहती है।
Subject-Ajwain ke Gun, Ajwain ke Aushadhiy Gun, Ajwain ke Aushadhiy Prayog, Ajwain ke Gharelu Upchar, Ajwain ke Gharelu Prayog, Ajwain ke Labh, Ajwain ke Fayde, Ajwain ke Fayde Evam Sevan Vidhi, Ajwain ke Nuksan, Ajwain Benefits And Side Effects In Hindi.
घरेलू दवा:- Constipation:अनियमित दिनचर्या और भाग दौड़ की जीवनशैली में कब्ज होना एक आम समस्या है। भोजन के बाद…
Fistula:लोगों को भगंदर के नाम से ही लगता है कि कोई गंभीर बीमारी है। लेकिन यह एक मामूली फोड़े से…
Back Pain-आज कल भाग दौड़ की जीवनशैली में कमर दर्द एक आम बात हो गई है। क्योंकि लोगों को खड़े…
Teeth pain- कभी-कभी दांतों की जड़ें काफी ढीली पड़ जाती है। जिसके करण लोगों को दांतों के असहनीय दर्द से…
वासा/अडूसा के औषधीय गुण VASA/Adusa वासा/अडूसा अनेक रोग की दवा: मासिक धर्म, सिरदर्द, नेत्र रोग, कैविटी, दंत पीड़ा, ज्वर, दमा, खांसी, क्षय रोग, बवासीर, मुखपाक, चेचक रोग, अपस्मार, स्वांस, फुफ्फस रोग, आध्मान, शिरो रोग, गुर्दे, अतिसार, मूत्र दोष, मूत्रदाह, शुक्रमेह, जलोदर, सूख प्रसव, प्रदर, रक्त…
अफीम के औषधीय गुण Afim/अफीम अनेक रोग की दवा: बुखार, मस्तक की पीड़ा, आँख के दर्द, नाक से खून आना, बाल की सुंदरता, दन्त की…