उलटकंबल की घरेलू दवाएं, उपचार: उलटकंबल मासिक धर्म, गर्भाशय के रोग, जांघो की पीड़ा, कमर दर्द, अनियमित मासिक धर्म, मासिक धर्म की पीड़ा, मासिक धर्म का रक्तस्राव, बांझपन, गर्भाशय की शक्ति, गर्भस्थापना, सुजाक, बहुमूत्र, मधुमेह, इक्षुमेह रोग (मूत्र गाढ़ा होने पर) आदि बिमारियों के इलाज में उलटकंबल की घरेलू दवाएं, होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक उपचार, औषधीय चिकित्सा प्रयोग, सेवन विधि निम्नलिखित प्रकार से किये जाते है: उलटकंबल के फायदे, लाभ, घरेलू दवाएं, उपचार सेवन विधि एवं नुकसान:-
Table of Contents
हिंदी – उलटकंबल
अंग्रेजी – डेविल्स कॉटन
संस्कृत – पिशाच कार्पास, पीवरी, रितुमती, उच्चट, योनिपुष्पा
गुजराती – उल्लटकंबल, ओलकतबोल
मराठी – उल्लटकंबल, ओलकतंबोल
तैलगू – गोंगु, कोडगोगु
उलटकंबल की जड़ में काफी मात्रा में लुआबी तत्व, कार्बोहाइड्रेट, रेजिन तथा अल्पमात्रा में एल्केलायड होता हैं। उलटकंबल में काफी मात्रा में मैग्नीशियम भी होता है जो हाइड्रॉक्सी-एसिड के साथ संयुक्त मात्रा में होता हैं।
स्वास्थ्य वर्धक आयुर्वेदिक
औषधि Click Hereजड़ी-बूटी इलाज
Click Here
उलटकंबल के औषधीय प्रयोग किये जाने वाले भाग-उलटकंबल की जड़, उलटकंबल की पत्ती, उलटकंबल का तना, उलटकंबल का फूल, उलटकंबल के फल, उलटकंबल का तेल आदि घरेलू दवाओं में प्रयोग किये जाने वाले उलटकंबल के भाग है।
मासिक धर्म में उलटकंबल के जड़ की छाल का सांद्र चिकना रस, 2 ग्राम की मात्रा में कुछ समय तक नियमित सेवन करने से सभी प्रकार के कष्ट से होने वाले मासिक धर्म में लाभ होता है।
स्त्रियों के बांझपन में उलटकंबल की जड़ की छाल को 6 ग्राम तक की मात्रा में 1 ग्राम काली मिर्च के साथ पीसकर मासिक धर्म से एक सप्ताह पूर्व से और जब तक मासिक धर्म जारी रहता है। तब तक सेवन करने स्त्रियों का बांझपन दूर होता है और गर्भाशय को शक्ति प्राप्त होती है।
गर्भाशय के रोग में उलटकंबल की 1 किलों जड़ को जौ कूट कर 4 गुने जल में पकावें, 1 किलों शेष रहने पर इसमें 115 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण और सवा किलो गुड़ मिला, चीनी मिटटी के पात्र में बंदकर, धान की राशि में दबादें। फिर छानकर बोतलों में भर लें। इसको 10-25 ग्राम तक बराबर जल मिलाकर मासिक धर्म से 1 सप्ताह पूर्व से सेवन करने से गर्भाशय के रोग ठीक हो जाते है। गर्भाशय के सभी दोष मिट जाते है, प्रदर और बन्ध्यत्व की सर्वश्रेष्ठ औषधि है। पथ्य-भोजन में केवल दूध भात का प्रयोग करना चहिए।
मासिक धर्म के समय जांघों की पीड़ा में उलटकंबल की जड़ का रस 4 ग्राम में खंड मिलाकर सेवन करने से दो दिन में ही जांघों की पीड़ा शांत हो जाती है।
मासिक धर्म के समय कमर दर्द होने पर उलटकंबल की जड़ की छाल छः ग्राम और काली मिर्च 3 नग दोनों को शीतल जल में पीसकर छानकर 1 सप्ताह पहले सेवन करने से मासिक धर्म के समय कमर दर्द की पीड़ा शांत होती है।
मासिक धर्म की अनियमिता में उलटकंबल की 50 ग्राम सूखी छाल को जौ कूटकर 625 ग्राम पानी में काढ़ा तैयार कर उचित मात्रा में दिन में दो तीन बार पीने से कुछ ही दिनों में मासिक धर्म नियमित समय पर होने लग जाता है।
मासिक धर्म की पीड़ा में उलटकंबल की जड़ की छाल का चूर्ण 4 ग्राम, काली मिर्च 7 नग सुबह-शाम जल के साथ मासिक धर्म के समय 7 दिन तक सेवन करने 2-4 मास तक यह प्रयोग करने से मासिक धर्म की पीड़ा शांत होती है।
मासिक धर्म के रक्तस्राव में लटकंबल की 50 ग्राम सूखी छाल को जौ कूटकर 625 ग्राम पानी में काढ़ा तैयार कर उचित मात्रा में दिन में दो तीन बार पीने से कुछ ही दिनों में मासिक धर्म का रक्तस्राव बंद हो जाता है।
गर्भस्थापना में उलटकंबल की जड़ की छाल डेढ़ ग्राम,पान के डंठल 3-4 नग और काली मिर्च 3 नग, इन्हें ताजे जल के साथ पीसकर 50 ग्राम जल मिलाकर प्रातःकाल खाली पेट सेवन करने से ऋतु धर्म के 7 दिन पूर्व से प्रयोग में लाने से स्त्री गर्भधारण कर लेती है।
सुजाक रोग में उलटकंबल के ताजे पत्ते और तने की छाल समभाग लेकर शीतल जल में तैयार किया फाँट सुजाक रोग में अत्यत्न उपयोगी है।
बहुमूत्र रोग अधिक पेशाब के लगने पर 10-20 ग्राम तक उलटकंबल के रस का सुबह-शाम तथ दोपहर सेवन करने से बहुमूत्र रोग में शीघ्र लाभ होता है।
पेशाब के गाढ़े होने पर 10-20 ग्राम तक उलटकंबल के स्वरस का सुबह-शाम नियमित एक सप्ताह सेवन करने से पेशाब का गाढ़ापन शीघ्र ही दूर हो जाता है।
मधुमेह रोग से छुटकारा पाने के लिए उलटकंबल 10-20 ग्राम तक स्वरस का सुबह-शाम नित्य दो सप्ताह तक प्रयोग करने से मधुमेह रोग में शीघ्र लाभ होता है।
उलटकंबल विशेषतः शीत प्रदेश की वनस्पति है, परन्तु उष्ण प्रदेशों में यह 3000 फुट से 4000 फुट की ऊंचाई तक उत्तर प्रदेश से लेकर सिक्किम तक, तथा बंगाल, आसाम, खसिया आदि में उलटकंबल के जंगली व लगाये हुए पौधे मिलते है। उलटकंबल के सुंदर, आकर्षक रक्तवर्णीय पुष्पों के लिये इसे बाग़ बगीचों और घरों में भी लगाते हैं। इस पर वर्षाऋतु में पुष्प आते है, तथा शरद ऋतु में यह फलों से भर जाता है।
उलटकंबल के छोटे कद के वृक्ष या बड़े गुल्म होते हैं। शाखायें, कोमल मुलायम मखमली तथा छाल श्वेत वर्ण एवं रेशेदार होती हैं। पत्ते-भिंडी के समान, 5-7 भागों में विभक्त त्रिकोणाकार किनारे कटे हुये, गोलाकार स्थल कमल जैसे होते हैं। पत्र में कुछ लाल रंग की सिराये होती है तथा पृष्ठ भाग रोये से व्याप्त खुरदरा होता है। ऊपर के पत्ते लट्वाकार भालाकार अथवा हृदयकार छः इंच तक लम्बे होते हैं। पुष्प भूमि की ओर नीचे लटके हुये, पोस्तदाने के फूल के आकार वाले, लाल रंग के एक इंच के घेरे में कटोरी नुमा लगते हैं। जब पुष्पदल परिपक्व हो, पुष्पकोष से पृथक हो भूमि पर गिर जाते हैं, तब पुष्पकोष उलट कर आकाश की ओर मुड़ जाता है, इसी से इसे उलट कंबल कहते हैं। फल-आधे कमरख के समान पंचकोशियों तथा पंच खंडीय होता है। कोशा की प्रत्येक धार पर जाली के भीतर महीन रोम जैसी चमकदार रुई होती है, जिससे स्पर्श करने पर त्वचा में जलन सी होती है। इस फल में रोमों के बीच दो कतारों में काले और पीतवर्ण के वन तुलसी या मूली के समान अनेक बीज भरे रहते हैं। जड़ की छाल भूरे रंग की होती है तथा अंदर के भाग में सफेद गूदा भरा रहता है। जड़ों को काटने से एक गाढ़ा गोंद सा निकलता है।
तिक्त कषाय, योनिरोग, गर्भाशय विकार, कष्टरवत्त, प्रदर, उदरशूल, अर्श, आध्मान निवारक, एवं मासिकधर्म की गड़बड़ी से उत्पन्न बांझपन को दूर करता है।
उलटकंबल का अधिक मात्रा में सेवन करने से स्त्रियों का गर्भपात होने का डर रहता है।
इस औषधि का प्रयोग गर्भवती महिलाओं करने से पहले अपने नजदीकी वेद से परामर्श लें लेनी चहिए।
Subject-Ulatakambal ke Aushadhiy Gun, Ulatakambal ke Aushadhiy Prayog, Ulatakambal ke Labh, Ulatakambal ke Fayde, Ulatakambal ke Gharelu Upchar, Ulatakambal ki Gharelu Daavaen, Ulatakambal ke Fayde, Aushadhiy Gun, Ayurvedic Upchar Evam Nuksan, Ulatakambal ke Fayde, Labh, Gharelu Davaen, Upchar, Aushadhiy Gun, Sevan Vidhi Evam Nuksan, Ulatakambal Benefits And Side Effects In Hindi.
घरेलू दवा:- Constipation:अनियमित दिनचर्या और भाग दौड़ की जीवनशैली में कब्ज होना एक आम समस्या है। भोजन के बाद…
Fistula:लोगों को भगंदर के नाम से ही लगता है कि कोई गंभीर बीमारी है। लेकिन यह एक मामूली फोड़े से…
Back Pain-आज कल भाग दौड़ की जीवनशैली में कमर दर्द एक आम बात हो गई है। क्योंकि लोगों को खड़े…
Teeth pain- कभी-कभी दांतों की जड़ें काफी ढीली पड़ जाती है। जिसके करण लोगों को दांतों के असहनीय दर्द से…
वासा/अडूसा के औषधीय गुण VASA/Adusa वासा/अडूसा अनेक रोग की दवा: मासिक धर्म, सिरदर्द, नेत्र रोग, कैविटी, दंत पीड़ा, ज्वर, दमा, खांसी, क्षय रोग, बवासीर, मुखपाक, चेचक रोग, अपस्मार, स्वांस, फुफ्फस रोग, आध्मान, शिरो रोग, गुर्दे, अतिसार, मूत्र दोष, मूत्रदाह, शुक्रमेह, जलोदर, सूख प्रसव, प्रदर, रक्त…
अफीम के औषधीय गुण Afim/अफीम अनेक रोग की दवा: बुखार, मस्तक की पीड़ा, आँख के दर्द, नाक से खून आना, बाल की सुंदरता, दन्त की…