उदर रोग के कारण, लक्षण, घरेलू दवाएं/आयुर्वेदिक औषधि उपचार एवं सेवन विधि
क्या होता है उदर रोग What is Abdominal Disease in hindi?
अगर आपको उदर सम्बन्धी (सीलिएक) रोग है, तो Gluten खाने से आपकी छोटी आंत में बचाव प्रतिक्रिया मिलती है। समय के अनुकूल, यह प्रतिक्रिया आपकी छोटी आंत की अस्तर को क्षति पहुंचाती है, और कुछ पोषक तत्वों के अवशोषण को रोकती है। आंतों की नुकसान अक्सर दस्त, थकावट, वजन घटाने, सूजन और एनीमिया का कारण बन जाती है, और संगीन जटिलताओं का कारण बन सकती है। बच्चों और वयस्कों में दिखाई देने वाले लक्षणों के अलावा, (Malabsarshan) विकास को प्रभावित कर सकता है। इस लिए आपको इस बीमारी का शीघ्र इलाज करना चाहिए।
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उदर रोग के लक्षण (Abdominal of Symptoms)
उदर सम्बंधित रोग के लक्षण काफी अलग हो सकते हैं, बच्चों की तुलना में वयस्कों के उदर रोग भिन्न होते हैं। हालांकि, उदर सम्बन्धी रोग के आधे से ज्यादा वयस्कों में संकेत और लक्षण हैं, जो पाचन तंत्र से सम्बंधित नहीं हैं, जिनमें से कुछ इस तरह से हैं।
जैसे: एनीमिया, आमतौर पर लौह की कमी से उत्पन्न होता है, दांत तामचीनी के लिए नुकसान, खुजली, ब्लिस्टर त्वचा की धड़कन (Dermatitis herpetiformis), हड्डी घनत्व (Osteoporosis) या हड्डी (Osteomyelasia) को नरम करने का नुकसान, घबराहट प्रणाली की चोट, पैर और हाथों में झुकाव और झुकाव, संतुलन के साथ संभावित समस्याएं, और संज्ञानात्मक हानि, मुंह के छालें, सिरदर्द और थकावट, जोड़ों का दर्द, प्लीहा (Hyposplenim) की कमी इत्यादि।
उदर रोग में वचा के प्रयोग: उदर रोग में वच धनियां तथा जीरे का क्वाथ पिलाना चाहिए। इसके लिए इन सबको समान मात्रा में लेकर 10 ग्राम को 100 ग्राम जल में उबालें, 20 ग्राम शेष रहने पर छानकर सुबह-शाम पीएं, अथवा वच की जड़ को जौ के साथ कूटकर काढ़ा बनाकर 25 या 35 ग्राम की मात्रा में रोगी को पिलाने से उदर रोग मिटता हैं।
उदर रोग में सौंठ के उपचार: उदर रोग में सौंठ, हरीतकी, बहेड़ा, आंवला इन चारों को समभाग मिलाकर कल्क बना ले, और गाय का घी तथा तिल का तेल ढाई किलोग्राम, दही का पानी ढाई किलोग्राम इन सबको मिलाकर विधिपूर्वक घी को पका ले तैयार हो जाने पर छानकर रख लें। इसका प्रयोग 10-20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम करने से सभी प्रकार के उदर रोग नष्ट हो जाता है।
उदर रोग में पिठवन के इलाज: उदर रोग में पिठवन के पंचांग को मोटा-मोटा कूटकर छाया में सुखाकर रखें, सुबह-शाम 10 ग्राम की मात्रा में, 400 ग्राम पानी के साथ पकायें, जब 100 ग्राम काढ़ा शेष रह जाये तो छानकर पीने से उदर रोग में फौरन आराम मिलता है।
उदर रोग में पिप्पली के प्रयोग: उदर रोग में पिप्पली एक भाग, सौंठ एक भाग और काली मिर्च 1 भाग, तीनों को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर, महीन पीसकर 1 चम्मच चूर्ण गर्म जल के साथ भोजन के बाद दो बार नियमित रूप से एक-दो सप्ताह सेवन करने से उदर रोग ठीक होता है।
उदर रोग में नीम के उपचार: उदर रोग में 10 ग्राम नीम पत्र स्वरस में 10 ग्राम अंडूसा पत्र स्वरस व 10 ग्राम शहद मिलाकर नित्य प्रातःकॉल सेवन करें, या नीम पत्र का रस 200 ग्राम की मात्रा में थोड़ी सी खंड मिलाकर, हल्का गर्म करके सेवन करने से उदर रोग में लाभ होता है, अथवा नीम के 5-6 कोमल पत्तों को पीसकर, शहद मिलाकर सेवन करने से मूत्रविकार और उदर विकार दोनों में भी लाभ होता है।
उदर रोग में कुटज के इलाज: उदर रोग में कुटज/इन्द्रजौ के बीज को चावल के पानी के साथ मिलाकर धीमी आंच में पकाकर काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पिलाने से उदर रोग में लाभ होता है।
उदर रोग में कटेरी के उपचार: उदर विकार में कटेरी के फलों के बीज निकाल कर मठठे के साथ मिलाकर उसमें नमक डाल कर तथा उबालकर सूखा दे, उसके बाद रातभर मठ्ठे में डुबोये तथा दिन में सूखा लेंवें। ऐसा 4-5 दिन तक करके उनको घी में तलकर खाने से उदर की सूजन और पित्त के रोग नष्ट हो जाते हैं।
उदर रोग में अरंडी के इलाज: उदर रोग में एरंड के बीजों की मींगी पीसकर, गाय के चार गुना दूध के साथ पकाएं जब खोवा की तरह बन जाये तो उसमें 2 भाग चीनी मिलाकर या चीनी की मीठी चटनी बना लें। उस चटनी को प्रतिदिन 15 ग्राम खिलाने से उदर रोग दूर हो जाता है।
उदर रोग में भारंगी के उपचार: उदर रोग में भारंगी की 5 ग्राम मूल को कूटकर 100 मिलीलीटर जल में मिलाकर पिलाना चाहिए तथा शरीर पर भारंगी की मालिश करने से उदर रोग ठीक हो जाता है।
उदर रोग में अरणी के प्रयोग: उदर रोग (पेट रोग) में अरणी की 100 ग्राम जड़ को आधा किलो पानी में धीमी आंच पर 15 मिनट तक उबालें, तथा उसी पानी को 100 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार पीने से पेट के विकार दूर होते हैं। अरणी के पत्तों का 100 मिलीलीटर काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से पेट रोग ठीक हो जाते है तथा अफारा भी दूर होता है।
उदर रोग में अपराजिता के इलाज: बच्चों के उदर रोग, पेट दर्द में अपराजिता के 1-2 बीजों को धीमी आग पर भूनकर, माता या बकरी के दूध अथवा देशी घी के साथ चटाने से बच्चों के पेट में होने वाला दर्द, रोग शीघ्र नष्ट हो जाता है।
उदर रोग में अमर बेल के उपचार: उदर दोष में अमरबेल को उबालकर पेट पर बाँधने से डकारे आ कर पेट का दर्द व उदर रोग दूर हो जाता है।
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