उपदंश/सिफिलिस के कारण, लक्षण, घरेलू दवाएं/औषधि एवं उपचार विधि
क्या होता है सिफिलिस/उपदंश What is Syphilis?
उपदंश/सिफिलिस बैक्टीरिया के कारण एक एसटीडी यौन संचारित रोग है। इस सांघातिक यौन संक्रमित इनफ़ेक्शन का पहला लक्षण सिर्फ एक हल्का, दर्द रहित दर्द है, जो लोग शीघ्र ध्यान रखने में विफल रहते हैं। यह घाव, जो चिकित्सकीय रूप से उपदंशक्षत के रूप में जाना जाता है, जो आपके गुदा, यौन अंग में या मुँह के अंदर भी दिखाई देता है। उपदंश (Syphilis) का निजात वास्तव में चुनौती पूर्ण हो सकता है। आप कई सालों तक किसी भी संकेत या आसार दिखाए बिना, इस बीमारी से संक्रमित हो सकते हैं। इससे पहले कि आप इस बीमारी को ढूंढ़ सकें, मरीज के लिए यह अच्छा होगा। यदि अधिक समय तक इलाज नहीं किया जाता है, तो यह बीमारी कई सालों के दौरान मरीज के मस्तिष्क, दिल और अन्य प्रमुख अंगों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। उपदंश केवल सिफिलिटिक के साथ सीधे यौन संपर्क के माध्यम से पूरे शरीर में फैल सकता है।
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उपदंश के कारण: यह उपदंश/सिफिलिस रोग शिक्षित एवं बुद्धिमान वर्ग में कम और अशिक्षित एवं ग्रामीण लोगों में अधिक पाया जाता है। यह रोग जननेन्द्रिय की साफ-सफाई पर ध्यान न देने और वेश्या गमन या किसी अन्य पुरुष की पत्नी के साथ सम्भोग करने से, विचारहीनता तरीका से सम्भोग करने से, लिंग में रगड़, नाखून या निष्ठुर वस्तु से कट लगने, स्त्री के मासिक धर्म के दिन में सहवास (सेक्स) करने आदि कारणों से यह रोग हो जाता है। कभी-कभी तो यह रोग वंशानुगत माता-पिता की संतान को भी हो जाता है।
उपदंश/सिफिलिस के लक्षण: पुरुषों की जननेन्द्रिय के मुण्ड के अग्रभाग पर लाल रंग की एक फुंसी दिखाई देती है। 5-6 दिन बाद यह फुंसी फूट जाती है और उस स्थान पर घाव बन जाता है। इसमें पीड़ा नहीं होती है और उसको दबाने से कोमल मालूम पड़ता है। इसका घाव स्राव दूषित होता है और शरीर पर जहां -जहाँ पर लगता है, वहां-वहां नया घाव हो जाता है। जब यह रोग पुराना हो जाता है तो पूरे शरीर पर लाल-लाल रंग के चकते और घाव से हो जाते हैं। शरीर से एक अलग प्रकार की गंध आने लगती है। इसकी लापरवाही करने से स्थिति और बिगड़ती जाती है।
उपदंश रोग में सूर्यमुखी के प्रयोग: उपदंश रोग में सूरजमुखी के पत्तों को खटाई की तरह घोंटकर उसका फोंक बाँधने या लेप करने से सिफिलिस शीघ्र ही नष्ट होता हैं।
उपदंश रोग में सत्यानाशी के इलाज: उपदंश रोग से शीघ्र छुटकारा पाने के लिए सत्यानाशी के पंचाग का रस या पीला दूध लगाने या मालिश करने से सिफिलिस में लाभ होता है। सत्यानाशी के स्वरस में हल्का नमक मिलाकर लम्बे समय तक सेवन करने से उपदंश ठीक हो जाता है।
उपदंश/सिफिलिस रोग में पिया बासा के उपचार: सिफिलिस में पिया बासा 8-10 पत्रों के साथ 2-3 नग काली मिर्च को पानी में पीसकर छान कर रोगी को पिलाने से उपदंश में लाभ होता है।
सिफिलिस रोग में पीपल के प्रयोग: उपदंश रोग में पीपल के काण्ड की 50 ग्राम सूखी छाल को जलाकर राख, उपदंश पर लेप करने से सिफिलिस सूखकर ठीक हो जाता है।
उपदंश रोग में नागरमोथा के इलाज: उपदंश रोग में नागरमोथा बहुत कड़वा होता है उसे जोश देकर पीने से उपदंश में लाभ होता है।
उपदंश रोग में कटेरी के उपचार: उपदंश रोग (एलर्जी) में कटेरी के फलों के रस में बराबर की मात्रा में सरसों का तेल मिलाकर लगाने से उपदंश शरीर की एलर्जी में लाभदायक होता है।
सिफिलिस/उपदंश रोग में कनेर के इलाज: उपदंश रोग में सफेद कनेर की जड़ को पानी के साथ पीसकर उपदंश (सिफिलिस) के घावों पर लगाने से घाव शीघ्र भर जाते हैं।
उपदंश रोग में जामुन के प्रयोग: सिफिलिस, एलर्जी/फिरंग आदि त्वग्विकारों में जामुन के पत्तों को सिद्ध करके लगाने से उपदंश ठीक हो जाता है।
उपदंश/एलर्जी में इन्द्रायण के इलाज: सिफिलिस/एलर्जी रोग में 110 ग्राम इन्द्रायण की जड़ को 450 ग्राम एरंड तेल में पकायें जब तेल शेष मात्र रह जाये तो 15 ग्राम तेल दूध को मिलाकर दिन में दो तीन बार उपयोग करने से शरीर के ऊपर के दाने लालिमा मिटते हैं। इस तेल को शीशी में सुरक्षित रख लें। इन्द्रायण की जड़ों के टुकडों को पांच गुने पानी में उबालें जब तीन हिस्सा पानी शेष रह जाये तो उसे छानकर उसमें बराबर की मात्रा में बूरा मिलाकर शर्बत बनाकर पिलाने से उपदंश और वात पीड़ा मिटती हैं।
उपदंश रोग में गुड़हल पत्रों के उपचार: सिफिलिस व्रण (उपदंश) में गुड़हल के पत्रों के काढ़े लेप करने से उपदंश से होने वाले फिरंग घाव शीघ्र नष्ट हो जाते है।
उपदंश रोग में गोरखमुंडी के इलाज: सिफिलिस रोग में गोरखमुंडी के पत्तों को जल के साथ पीसकर लेप करने अथवा पत्र स्वरस लगाने से अनेक चर्मरोग, उपदंश के घाव आदि रोग नष्ट हो जाते है।
उपदंश रोग में चमेली के प्रयोग: उपदंश/सिफिलिस रोग में चमेली के पत्रों का स्वरस 20 ग्राम राल का चूर्ण 120 मिलीग्राम दोनों को मिलाकर प्रतिदिन प्रातः काल पीने से 15-20 दिन में गर्मी से उत्पन रोग नष्ट हो जाते हैं। परहेज में सिर्फ गेंहू की रोटी, दूध, भात चीनी का ही सेवन करना चाहिये।
उपदंश/एलर्जी में चालमोंगरा के इलाज: सिफिलिस रोग में अरंड के बीज के छिलके तथा चालमोंगरा के जड़ सहित पीसकर अरंड तेल के साथ मिलाकर पामा पर लेप करने से एलर्जी नष्ट हो जाती हैं। चालमोंगरा के बीजों को गाय के पेशाब में पीसकर दिन में 2-3 बार उपदंश लेप करने से वेदना कम हो जाती हैं।
उपदंश रोग में भांगरा के प्रयोग: सिफिलिस रोग में भांगरा के पत्तों को मेहँदी और मरवा के पत्ते के साथ पीसकर लेप करने से उपदंश में शीघ्र ही लाभ होता हैं अथवा भांगरा के पत्तों का रस 2 भाग, काली तुलसी पत्र रस 1 भाग, दिन में 2-3 बार लगाते रहने से जलन शांत हो जाती है और शरीर पर किसी भी प्रकार का दाग नहीं पड़ने देता।
उपदंश रोग में भांगरा के प्रयोग: सिफिलिस रोग में भांगरा के स्वरस में चमेली के पत्तों के रस के मिश्रण से उपदंश के घाव को धोने से सिफिलिस में शीघ्र लाभ होता है। इसी रस का लेप उपदंश करने से सिफिलिस नष्ट हो जाता है। भांगरा का चूर्ण 3 भाग, काली मिर्च चूर्ण 1 भाग, दोनों को एकत्र कर भांगरे के ही स्वरस से खरल कर 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर सुबह-शाम 1-2 गोली सेवन करने से उपदंश में अत्यंत लाभप्रद होता है।
उपदंश रोग में बरगद के इलाज: उपदंश रोग में बरगद की जटा के साथ अर्जुन की छाल, हरड़, लोध व हल्दी समभाग जल के साथ पीसकर उपदंश पर लेप करने से लाभदायक होता है।
उपदंश रोग में अरणी के के प्रयोग: सिफिलिस रोग में अरणी के पत्रों का 12 ग्राम स्वरस सुबह-शाम पिलाने पुराना से पुराना उपदंश नष्ट हो जाता है।
उपदंश रोग में श्योनाक के इलाज: उपदंश रोग में श्योनाक की बारीक पीसी हुई सूखी पिपड़ी के 40-45 ग्राम चूर्ण को पानी में चार घंटे तक भिगोकर रखे दे, उसके बाद छाल को और पीस ले तथा उसी पानी में छानकर मिश्री मिलाकर एक-दो सप्ताह तक सुबह-शाम सेवन करने से अथवा पथ्य में गेहू की रोटी, घी चीनी खायें। नीम के पत्तों के काढ़ा से स्नान करें। सिफिलिस रोग में लाभदायक होता है।
उपदंश रोग में आक के उपचार: सिफिलिस रोग में सफ़ेद अर्क की छाया शुष्क जड़ छाल का 1 से 2 ग्राम चूर्ण दो चम्मच चीनी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से उपदंश और रक्त दोष में लाभ होता है। अर्क के 8-10 पत्तों को आधा किलो पानी में पकाकर चतुर्थाश शेष काढ़ा से उपदंश के घाव धोने से घाव शीघ्र भर जाता है।
उपदंश/एलर्जी में आँवला के इलाज: सिफिलिस/उपदंश में आंवले 10-15 ग्राम रस घी के साथ मिलाकर दिन में दो-तीन बार पिलाने से उपदंश ठीक हो जाती है।
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