स्तन रोग के कारण, लक्षण, घरेलू दवा, इलाज एवं उपचार विधि

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breast:-अक्सर आपने देखा होगा स्त्रियों में कुछ समय के बाद स्तन परिवर्तन का अनुभव होता है। स्तन रोग 30 से 40 वर्ष की उम्र की महिलाओं में सबसे ज्यादा देखने को मिलता है और आमतौर पर मासिक धर्म के बाद यह गायब हो जाता है, लेकिन आप अगर किसी भी प्रकार की अंग्रेजी दवा का प्रयोग कर रहें हैं तो फिर से उत्पन्न हो सकती है। यह समस्या किशोरीवस्था में भी पाई जा सकती है। स्तन की गांठ फाइब्रोसाइटिक बीमारी का एक हिस्सा हो सकता है और यह मासिक धर्म के समय दूसरे भाग में या गर्भावस्था के समय अत्यधिक दर्द और सूजन उत्पन्न कर सकता है। इस समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि यह कैंसर जैसी आत्म घाती समस्या का रूप धारण कर सकती है। स्तन रोगों को प्रजनन प्रणाली के विकार, या प्रजनन के विकारों के साथ वर्गीकृत किया जा सकता है। स्तन रोग खासकर कैंसर मुक्त रोग होते हैं: स्तन रोग के कारण, लक्षण, घरेलू दवा, इलाज एवं उपचार विधि Breast Reason Symptoms Home Treatment In Hindi.

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स्तन रोग कई प्रकार के होते हैं जैसे- संक्रमण, घाव, सूजन, कोष और गांठ, दर्द के साथ या बिना दर्द, जीवाणु संक्रमण, सिस्ट, सौम्य गांठ और कैंसर आदि शामिल हैं। यह समस्या पुरुष भी पाया जाता है।

स्तन रोग के कारण कुछ इस प्रकार हैं जैसे- माताएं छोटे बच्चों को दूध पिलाते समय बच्चों का दांत से काट लेना, स्तन में अचानक चोट लग जाना, स्तन पर फोड़ा-फुंसी आदि शामिल हैं।

स्तन रोग के लक्षण कई प्रकार के होते हैं जैसे- स्तन में अचानक दर्द, स्तन का लाल पड़ जाना, स्तन में सूजन, स्तन शैथिलता, स्तन के ऊपर छोटे-छोटे दानों का निकलना, स्तन में दूध का जम जाना, स्तन में घाव, स्तन में अचानक परिवर्तन आदि शामिल हैं।

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पुनर्नवा से स्तन के फोड़े का इलाज:- स्तन के फोड़े से परेशान स्त्रियों को पुनर्नवा की मूल को मट्ठा के साथ पीसकर लेप करने से स्तन के फोड़े में लाभ होता है।

स्तनों में दूध की वृद्धि में पिप्पली के फायदे:- स्तनों के रोग दूध वृद्धि में पिप्पली फल का चूर्ण 2 ग्राम, शतावर आधा चम्मच की मात्रा में मधु के साथ सुबह-शाम सेवन करने एक घंटे बाद दूध पीने से प्रसूता के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। पिप्पली, सौंठ और हरड़ के चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर लगभग 3 ग्राम चूर्ण को गुड़ में मिलाकर, उसमें थोड़ा गाय का घी मिलाकर, दूध के साथ दिन में दो तीन बार दो माह तक सेवन करने से माताओं का दूध बढ़ जाता है।

स्तन की सूजन में पान के गुण:- जिन स्त्रियों का बच्चा मर गया हो या किसी कारण बस स्तनों में दूध भरकर जम गया हो या सूजन आ गई हो उन स्त्रियों को अपने स्तनों पर पान को गरम करके बांधने या पान को पीसकर हल्का गर्म करके लेप करने से सूजन कम हो जाती है तथा स्तनों का दूध नष्ट हो जाता है।

नीम से स्तन के घाव का उपचार:- स्तन पाक (स्तन के घाव ) में नीम के पत्तियों की राख 25 ग्राम, सरसों का तेल 50 ग्राम, आग पर रखकर नीम के डंडे से खूब घोंट लें, नीम पत्र के काढ़ा से घाव को धोकर, राख मिलाकर तेल चुपड़ दें, तथा कुछ सूखी राख ऊपर से चुपड़कर पटटी बाँध दें। 2-3 दिन में काफी आराम हो जाता है। फिर प्रतिदिन नीम काढ़ा से धोकर नीम तेल लगाते रहे, घाव शीघ्र भरकर सूख जाता है। दूध बंद करने के लिये नीम पत्तों का कल्क लेप करते रहें।

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स्तन के ढीलेपन में लाजवंती/छुई-मुई के फायदे:- स्तन शैथिल्य (स्तन के ढीलेपन) में छुई-मुई और असंगध की जड़ पीसकर स्तन पर लेप करने से स्तनों का ढीलापन मिटकर स्तन कठोर और पुष्ट हो जाते हैं।

स्तनशैथिल्य में कटेरी के गुण:- स्तनशैथिल्य में कटेरी की जड़ अनार की जड़ और कन्डोरी को समभाग पीसकर स्तनों पर लेप करने से स्तन कठोर हो जाते हैं।

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इन्द्रायण से स्तन पाक का इलाज:- स्तन-पाक स्त्रियों के स्तनों में फोड़ा हो जाने पर इन्द्रायण की जड़ को घिसकर लेप करने से या पुल्टिस बाँधने से स्तन पाक में लाभ होता है।

स्तनरोग में हल्दी के फायदे:- स्तन रोगों में हल्दी का सूखा कंद एवं लोध पानी में घिसकर स्तन पर लेप करने से स्तन के सभी प्रकार के रोग ठीक हो जाते है।

गेंदा फूल से स्तन की गांठ का उपचार:- स्तनशोथ (स्तन की गांठ) में गेंदा के पत्तो को पीसकर स्तनों पर लगाने और कपड़ा डालकर सिकाई करने से सूजन बिखर जाती है।

स्तन की गांठ में गंभारी है फायदेमंद:- स्तन शैथिल्य (स्तन की गांठ) में 2 किलोग्राम गंभारी की छाल को कूटकर 16 किलोग्राम जल में चतुर्थाश काढ़ा लें। उसमें 250 ग्राम छाल को पानी के साथ पीसकर चटनी बना लें। कल्क तथा काढ़ा में 1 किलोग्राम तिल का तेल मिलाकर तेल को सिद्ध करके रख लें, इस तेल में रुई को भिगोकर स्तनों पर स्पर्श कराने से स्तन की गाँठ नष्ट हो जाती है।

स्तन की गांठ में अरंडी के प्रयोग:- स्तन की गांठ में जब किसी स्त्री के स्तन से दूध आना बंद हो जाता है और स्तनों में गांठे पड़ जाती है, तब एरंड के 500 ग्राम पत्तों को 20 लीटर जल में एक घंटे तक उबाले, तथा गर्म पानी की धार 15-20 मिनट स्त्री के स्तनों पर डाले या एरंड तेल की मासिल स्तनों पर करें, उबले हुये पत्तों को महीन पुल्टिस स्तनों पर बांधने से गांठे बिखर जाएंगी। और दूध का प्रवाह शीघ्र प्रारम्भ हो जायेगा।

अरंडी से स्तन की वृद्धि का उपचार:- स्तन वृद्धि (स्त्रियों के स्तन में वृद्धि) चुचुक के चारों और की त्वचा फट जाने पर एरंड तेल लगाने से स्तनों में शीघ्र लाभ होता है। एरंड के तीन बीजों गिरी की सिरके में पीसकर स्तन पर लेप करने से स्तन की गांठ बिखर जाती है।

स्तन्य की वृद्धि में गन्ना के फायदे:- स्तन्य वृद्धि में ईख गन्ना की 10-5 ग्राम जड़ को पीसकर कांजी के साथ सेवन करने से स्त्री का दूध बढ़ता है।

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धतूरा से स्तन की सूजन का इलाज:- स्तनों की सूजन में धतूरा के पत्तों को गर्म करके स्तनों पर बांधने या लेप करने से लाभ होता है। जिस स्त्री के दूध अधिक होने से, स्तन में गांठे हो जाने का भय हो, तो उसके दूध को रोकने के लिए स्तन पर धतूरे के पत्ते बांधने से स्तनों की गांठ बिखर जाती है।

स्तन की सूजन में भुई आंवला के गुण:- स्तन की सूजन में भुई आंवला के पंचाग को पीसकर लेप करने से स्तन की सूजन में लाभ होता है।

बरगद की जटा से स्तन की गांठ का उपचार:- स्तन की गांठ में बरगद की जटा के बारीक अग्रभाग के पीले व लाल तंतुओं को पीसकर लेप करने से स्तन की गांठ बिखर जाती है।

स्तन रोग में बबूल के गुण:- स्तन में बबूल की फलियों के चेंप से किसी कपड़े को तर करके, सूखा लें। इस कपड़े को स्तन पर बाँधने से ढीले स्तन कठोर हो जाते हैं।

स्तनों की गांठ ठीक करने में अनार बेहद फायदेमंद:- स्तन की गांठ में अनार के पत्ते, छिलका, फूल, कच्चे फल और जड़ की छाल समभाग लेकर मोटा पीसकर दुगाना सिरका तथा चार गुना गुलाब जल में भिगोये। चार दिन बाद इसमें सरसों का तेल मिला माध्यम आंच पर पकावें। तेल मात्र शेष रह जाने पर छानकर बोतले में भरकर रख लें। इस तेल को प्रतिदिन स्तनों पर मालिश करने से स्तन की मांस की शिथिलता में लाभ होता है।

स्तन्यजनं में अखरोट के गुण:- स्तन में दूध की वृद्धि के लिये गेंहू की सूजी 1 ग्राम अखरोट के पत्ते 10 ग्राम पीसकर दोनों को मिलाकर गाय के घी में पूरी बनाकर सात दिन तक खाने से स्तन्य (स्त्री दुग्ध) की वृद्धि होती है।

स्तनशोधक में अनन्तमूल की दवा बेहद गुणकारी:- स्तनशोधक (स्तन की सूजन) में अनन्तमूल का चूर्ण 3 ग्राम सुबह शाम सेवन करने से स्तन्य का सूजन खत्म हो जाता है तथा स्तनों का दुग्ध भी बढ़ा देता है। जिस महिलाओं के बच्चे बीमार और कमजोर हो, उन्हें अनन्तमूल का सेवन करना चाहिए।

स्तनों की गांठ में कचनार की दवा बेहद लाभकारी:- कचनार की जड़ को पीसकर बारीक़ चूर्ण बना लें। तथा चूर्ण को लगभग आधे ग्राम की मात्रा में सौंठ और चावल के पानी के (धोवन) के साथ मिलाकर पीने और स्तनों पर लेप करने से गांठ ठीक हो जाती है।

स्तन रोग के कारण, लक्षण, घरेलू दवा, इलाज एवं उपचार विधि-Stan Rog ke Karan, Lakshan, Gharelu Dava, Ilaj Evam Upchar Vidhi In Hindi.

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