नेत्ररोग से बचने के 73 सरल घरेलू दवा एवं उपचार विधि
नेत्र रोग की कुछ सरल घरेलू दवा एवं जड़ी बूटी से उपचार
एलोवेरा से नेत्र रोग का उपचार: आँख की समस्या से शीघ्र छुटकारा पाने के लिए घृतकुमारी के गूदे को आँखों में लगाने से नेत्र की लालिमा मिटती है और आखों की गर्मी दूर होती है। इसके अलावा आँखों की जलन में शीघ्र लाभ होता है तथा वायरल कंजक्टिवाइटिस में लाभ होता हैं।
नींबू से नेत्ररोग का इलाज: नींबू के स्वरस को लोहे के बर्तन में घोंटें जब रस काला पड़ जाये तो आँख के आसपास हल्का लेप करने से नेत्र पीड़ा का कष्ट दूर हो जाता है। इसके अलावा नींबू के रस में अफीम मिलकर लोहे के तवे पर पीसकर लेप करने से नेत्र में आराम मिलता है।
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गिलोय से नेत्र रोग का उपचार: नेत्र रोग में गिलोय (अमृता) के 11.5 ग्राम स्वरस में शहद व सेंधा नमक 1-1 ग्राम मिलाकर खूब अच्छी तरह से खरल कर लें, अब इसका नेत्रांजन करने से तिमिर, पिल्ल, अर्श, कांच, कण्डु टिंगनाश एवं शुक्ल तथा कृष्ण पटल गत नेत्र रोग नष्ट होते है। इसके अलावा गिलोय रस में त्रिफला मिलाकर काढ़ा बनाकर इसे पीपल चूर्ण व शहद के साथ प्रातः-सांय सेवन करने से नेत्रों की ज्योति बढ़ जाती है।
दूधी ख़ास से रतौंधी का उपचार: रतौंधी में छोटी दूधी ख़ास के दूध से सलाई को तर करके रतौंधी के रोगी के नेत्रों में सलाई को अच्छी प्रकार फिरा दें। कुछ देर बाद नेत्रों में बहुत वेदना होगी। जो एक प्रहर के पश्चात शांत हो जाएगी, एक बार प्रयोग में ही रतौंधी का रोग जड़ से निकल जायेगा।
अलसी से आँख की लालिमा का इलाज: नेत्राभिष्यन्द (आँख का लाल होना) अलसी के बीजों का लुआब नेत्र में टपकाने से नेत्राभिष्यन्द या नेत्र का लाल होन बंद हो जायेगा।
आँवला से नेत्ररोग का उपचार: नेत्र रोग में 20 से 50 ग्राम आँवले के फलों को कुट कर दो घंटे तक आधा किलो पानी में उबालकर उस जल को छानकर दिन में तीन बार आँखों में डालने से नेत्र रोग ठीक हो जाता है। इसके अलावा आंवले के स्वरस को आँखों में डालने अथवा सहजन के पत्तों का रस तथा सैंधा नमक 250 मिलीग्राम एक साथ मिलाकर लेप करने से आँख में लाभदायक होता है।
अनन्तमूल से नेत्ररोग का इलाज: नेत्ररोग में अनन्तमूल की जड़ को बासी पानी में घिसकर नेत्रों में अंजन व लेप करने से या इसके पत्तों की राख कपड़े में छानकर मधु के साथ नेत्रों में लेप करने से आँख की सूजन कम हो जाती है।
अमर बेल से आँख की सूजन का उपचार: नेत्रशोथ (आँख की सूजन) में अमर बेल के 15-20 मिलीग्राम रस में चीनी मिलाकार आँखों के आस-पास लेप करने से आँख की सूजन व लालिमा में लाभ होता है।
अखरोट से नेत्र ज्योति का इलाज: आँख की रोशनी में दो अखरोट और तीन हरड़ की गुठली को जलाकर उसकी भस्म के साथ 4 नग काली मिर्च को पीसकर अंजन करने से नेत्रों की ज्योति में वृद्धि होती है।
बरगद से नेत्र रोग का उपचार: नेत्ररोग में बरगद के 10 ग्राम दूध में 125 मिलीग्राम कपूर और 2 चम्मच शहद मिलाकर आँखों के आस-पास लेप करने से नेत्र फूली कटती है।
बहेड़ा से नेत्र रोग का इलाज: आँख की रोशनी में बहेड़े और खंड के समभाग मिश्रण का सेवन करने से आँख की वृद्धि को बढ़ता देता है। इसके अलावा नेत्र पीड़ा में बहेड़ा की छाल को शहद के साथ लेप करने से नेत्र की पीड़ा मिटती है।
बकायन से नेत्र रोग का उपचार: नेत्र रोग में बकायन के फलों को पीसकर छोटी टिकिया बनाकर नेत्रों पर बांधने से पित्तज नेत्राभिष्यन्द दूर होता है तथा गर्मी के कारण आँख का दुःखना भी ठीक हो जाता है। इसके अलावा दृष्टि माध आदि नेत्र दोष तथा मोतियाबिंद पर बकायन के एक किलोग्राम हरे ताजे पत्ते पानी से धोकर अच्छी तरह से साफ, कूट, पीसकर तथा निचोड़ कर रस निकाल लें, इस रस को पत्थर के खरल में खूब घोटकर सूखा लें, पुनः 1-2 खरल करें तथा खरल करते समय भीमसेनी कपूर 3 ग्राम तक मिला दें, इसको सुबह-शाम नेत्रों में अंजन करने से मोतिया बिन्द तथा अन्य प्रकार से उत्पन्न दृष्टिमान्ध, जलस्राव, लालिमा, कण्डू, रोहे आदि दोष दुर होते हैं।
बेल से नेत्र रोग का इलाज: आँख की समस्या से शीघ्र छुटकारा पाने के लिए बेल के पत्रों पर घी लगाकर तथा सेंककर आँखों पर बांधने से या पत्तों का स्वच्छ स्वरस आँखों में टपकाने से साथ ही पत्रों को पीसकर कल्क का लेप पर करने से नेत्रों के सभी प्रकार के रोग दूर होते हैं।
बेल से रतौंधी का उपचार: रतौंधी रोग में दस ग्राम ताजे बेल पत्रों को 7 नग काली मिर्च के साथ पीसकर, 100 ग्राम जल में छानकर, 25 ग्राम मिश्री या खंड मिलाकर सुबह-शाम पीयें तथा रात्रि में बिल्व पत्र भिगोये हुए जल के साथ प्रातः काल आँखों को धोने से रतौंधी रोग में शीघ्र आराम मिलता है।
बला से नेत्र रोग का इलाज: नेत्राभिष्यन्द (नेत्र रोग) दुखती हुई आँखों पर बला के पत्तों के साथ बबूल के पत्तों को पीसकर टिकिया बनाकर आँखों के ऊपर स्वच्छ वस्त्र में लपेट देने से लाभ होता है।
भांगरा से नेत्र रोग का उपचार: नेत्र रोग में भांगरा छाया शुष्क पत्तों का महीन चूर्ण 10 ग्राम, मधु 3 ग्राम, घी 3 ग्राम, नित्य रात्रि में 40 दिनों तक सेकं करने से दृष्टिमान्ध आदि सभी प्रकार के नेत्र रोग में लाभ होता है। इसके अलावा भांगरा स्वरस 2 बूँद सूर्योदय से 1 घंटा पहले या सूर्यास्त से 1 घंटा पूर्व आँखों में डालते रहने से नेत्र की फूली आदि दूर हो जाते हैं।
भारंगी से नेत्र रोग का उपचार: नेत्र रोग में भारंगी के पत्रों को तेल में उबालकर लेप करने से आँख की पलकों की सूजन बिखर जाती है और नेत्र से मल नहीं आता है।
चमेली से नेत्र रोग का इलाज: आँख की फूली में चमेली के फूलों की 5-6 सफेद कोमल पंखुड़ियों को थोड़ी सी मिश्री के साथ खरल करके, आँख की फूली पर लेप करने से कुछ दिनों में वो फूली कट जाती है।
दालचीनी से नेत्र रोग का उपचार: नेत्र रोग में दालचीनी का तेल आँखों के ऊपर लेप करने से आँख का फड़कना बंद हो जाता है और नेत्रों की ज्योति वृद्धि होती है।
धनिया से नेत्र रोग का इलाज: नेत्ररोग में 20 ग्राम धनिया को कूटकर एक गिलास पानी में उबालकर पानी को कपड़े से छान कर एक-एक बूँद आँखों में टपकाने से नेत्राभिष्यन्द रोग और दुखती आँख में बहुत लाभ होता है। इसके अलावा आँखों की जलन कम होती है, आँखों से पानी का बहना बंद हो जाता है।
धतूरा से नेत्र रोग का उपचार: नेत्र रोग में धतूरा के ताजे पत्तों का रस दुःखति आँख पर लेप करने से आँख की ललाई कट जाती है तथा सूजन और दाह नष्ट हो जाती हैं।
दूब घास से नेत्र रोग का इलाज: दुखती आँख में दूब के पत्तों को पीसकर पलको पर बांधने से दर्द में शांति मिलती है तथा नेत्र से मल का आना बंद हो जाता है।
गन्ना से नेत्ररोग का उपचार: नेत्र रोग में गन्ना रस को जल के साथ मिलाकर नेत्रों में लेप करने से नेत्रों की सफाई होती है तथा दृष्टिमांध दूर होता है।
अरंडी से नेत्र रोग का उपचार: नेत्र रोग में अरंड तेल के अंजन से नेत्रों में जल स्त्राव होता है। इस लिये इसे नेत्र विरेचन कहते हैं। अरंड तेल 2 बून्द नेत्रों में डालने से इनके भीतर का कचरा निकल जाता है और आँखों की किरकरी बंद हो जाती है इसके अलावा अरंड पत्रों को जौ के आटे के साथ पुल्टिस बनाकर आँखों पर बांधने से आँखों पर आई पित्त की सूजन बिखर जाती है।
गाजर से नेत्र रोग का इलाज: आँखों की रोशनी में गाजर 250 ग्राम सौंफ को साफ़ करके कांच के पात्र में रखे, इसमें बादामी रंग की गाजरों के रस की तीन बार झक दें, जब सूख जाये तो 10 ग्राम रोज रात के समय दूध के साथ सेवन करने से नेत्र ज्योति में वृद्धि होती है।
गेंदा फूल से नेत्ररोग का उपचार: गेंदा फूल की चाय में एंटीऑक्सीडेंट्स, जेक्सनथिन, ल्य्कोपेन, लुटेइन आदि तत्व पाए जाते हैं जो नेत्र रोग और अंधापन को रोकने में मदद करते हैं। इसके अलावा गेंदा फूल आँखों के लिए एंटीसेप्टिक का काम करता है।
गोरखमुंडी से नेत्ररोग का इलाज: नेत्र रोग में गोरखमुंडी की 1 मुंडी प्रातः खाली पेट 1 सप्ताह तक साबुत निगल जाने से 1 वर्ष तक आँख में किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता प्रतिवर्ष चैत्र मास में 4-5 मुंडी के ताजे फल थोड़े दांत से चबाकर पानी के घूंट के साथ हलक में उतार लें तो मनुष्य की आँख की तदुरुस्ती और रौशनी हमेशा कायम रहती है। इसके अलावा मुंडी पंचाग के छाया शुष्क चूर्ण में समभाग गाय दूध मिलाकर सुबह-शाम खाने से नेत्रों के बहुत से रोग नष्ट हो जाते हैं।
गुड़हल पंखुड़ियों से नेत्र की जलन का उपचार: आँख की जलन में गुड़हल के 95 फूल को लेकर उसमें गुड़हल की पंखुड़ियों को नीबू के रस के साथ रात भर किसी खुले स्थान में कांच की बरनी में मुंह बंद कर रख दें। प्रातःकाल पीस छानकर इसमें 600 ग्राम मिश्री या खंड 1 बोतल शुद्ध गुलाब जल मिलाकर बंद कर धूप में रख दें। उसके बाद 25 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में नित्य सेवन करने से आँख की सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं।
हल्दी से नेत्र रोग उपचार: नेत्राभिष्यन्द में 1ग्राम हल्दी 25 मिलीलीटर पानी में उबाल छानकर आँख में दो तीन बार डालने से आँख की जलन दर्द कम होती है तथा हल्दी के काढ़ा से रंगे हुये कपड़े का प्रयोग नेत्राच्छादन के लिये किया जाता है।
हरड़ से नेत्र रोग का इलाज: नेत्र रोग में हरड़ को रातभर पानी में भिगोकर रख दे अब सुबह इसी पानी से आँखे धोने से शीतल हो जाती हैं और आंख के सभी प्रकार के रोग शीघ्र ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा हरड़ की मींगी को पानी में एक दिन तक भिगोकर, घिसकर अंजन करने से मोतियाबिंद रोग में लाभदायक होता है।
इमली से नेत्र सूजन का इलाज: नेत्र शोथ में इमली के पुष्पों की पुल्टिस बांधने से आँख की सूजन बिखर जाती है।
जीरा से नेत्र रोग का उपचार: नेत्र रोग में 7 ग्राम स्याह जीरे को आधा लीटर खौलते हुए जल में डालकर इसका काढ़ा बनाकर उस जल से नेत्रों को धोने से नेत्रों की ज्योति में वृद्धि होती है।
जीरा से रतौंधी का इलाज: रतौंधी से परेशान मरीज काले जीरे या सफ़ेद जीरे दोनों जीरों का प्रयोग कर सकते हैं। नेत्र रोग में जीरा, आंवला तथा कपास के पत्तों को शीतल जल के साथ पीसकर, सिर पर 21 दिन तक बांधने से नेत्र रोग में लाभ होता है। इसके अलावा काले जीरे को पीसकर रतौंधी से परेशान मरीज के पलकों पर लेप करने से रतौंधी रोग ठीक हो जाती है।
जीरा से नेत्र का उपचार: नेत्र से पानी निकलने पर काले जीरे को पीसकर लेप करने से आँख से पानी निकलना बंद हो जाता है।
कनेर से नेत्र रोग का इलाज: नेत्र रोग में पीले कनेर की जड़ को सौंफ और कंरज के रस के साथ पीसकर आँख में लगाने से नजला, पलकों की मुटाई जाला, फूली आदि नेत्र रोग ठीक हो जाते हैं।
कटेरी से नेत्र रोग का उपचार: नेत्ररोग में कटेरी के 20-30 ग्राम पत्तों को पीसकर उनकी लुगदी बनाकर आँखों पर बांधने से आँखों का दर्द दूर होता है।
लता करंज से नेत्ररोग का इलाज: नेत्र रोग में लता करंज के बीजों के चूर्ण को पलाश के फूलों के रस की 21 भावना देकर उसे सूखा लें और उसकी सलाइयां बना ले, इन सलाइयों को पानी में घिसकर आँख में अजंन करने से आँख की फूली कट जाती हैं।
करेला जूस से नेत्ररोग का उपचार: नेत्ररोग में करेला के पत्ते का रस और एक काली मिर्च का थोड़ा सा हिस्सा घिसकर जंग लगे हुये लोहे के बर्तन में सेंककर प्रयोग करने से आंख का फूला, जाला और रतौंधी के सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं।
कसौंदी से नेत्ररोग का इलाज: नेत्ररोग में कसौंदी के ताजे पत्तों का रस आँख में एक बून्द सुबह-शाम टपकाने तथा आँखों पर पत्तों को बांधने से नेत्राभिष्यन्द, नेत्र लालिमा-सूजन में आराम मिलता है।
लौंग से नेत्ररोग का उपचार: नेत्ररोग में लौंग को तांबे के बर्तन पर पीसकर मधु मिलाकर आँख के आसपास लेप करने से नेत्र के सफेद भाग के रोग मिटते हैं।
मकोय से नेत्ररोग का इलाज: नेत्र रोग में पिल्ल रोग वालों की आँखों को ढक कर, आँखों को मकोय के घी चुपड़े फलों की धूनी देने से आँख के कीड़े बाहर निकल जाते हैं।
काली मिर्च से नेत्ररोग का इलाज: आँख के दोष में काली मिर्च को दही के साथ पीसकर आँखों में अंजन करने से आँख के दोष शीघ्र ही मिट जाते हैं। काली मिर्च के 1/2 ग्राम चूर्ण को 1 चम्मच देशी घी में मिलाकर खिलाने से आँख के अनेक प्रकार के रोग नष्ट हो जाते हैं।
काली मिर्च से रतौंधी रोग का उपचार: रतौंधी रोग में काली मिर्च को दही के साथ मिलाकर आँखों के आसपास लेप करने से रतौंधी का रोग नष्ट हो जाता है।
मेंहदी से नेत्ररोग का इलाज: आँख की लालिमा में मेंहदी 10 ग्राम तथा जीरा 10 ग्राम दोनों को दरदरा कूटकर रात्रि में गुलाब जल में भिगो दे और प्रातःकॉल छानकर स्वच्छ शीशी में रख लें अब इसमें 1 ग्राम भुनी हुई फिटकरी बारीक पीसकर मिला लें और आवश्यकता अनुसार रात्रि के समय नेत्रों में डालने से आँखों की ललाई दूर होती है।
मेंहदी से आँख की पीड़ा का इलाज: आँख की पीड़ा में मेंहदी के हरे पत्तों को खरल कर घोटकर टिकिया बना लें। रात्रि को सोते समय टिकिया को आंख पर बांधकर सोने से नेत्रों की पीड़ा, टीस लालिमा दूर हो जायेगी।
मूली से नेत्ररोग का उपचार: आँख के जाल में मूली का पानी, आँख का जाला व धुंध को दूर करता है।
मुलेठी से नेत्ररोग का इलाज: नेत्ररोग में मुलेठी के काढ़े से नेत्रों को धोने से नेत्र रोग दूर होते हैं तथा मुलेठी की जड़ के चूर्ण में बराबर मात्रा में सौंफ का चूर्ण मिलाकर एक चम्मच सुबह-शाम खाने से आँखों की जलन मिटती है।
मुलेठी से नेत्र की लालिमा का उपचार: नेत्राभिष्यन्द (नेत्र की लालिमा) में मुलेठी को पानी में पीसकर उसमें रूई का फोहा भिगोकर नेत्रों पर बांधने से नेत्रों की लालिमा कट जाती है।
नीम से नेत्र रोग का इलाज: नेत्ररोग में नीम के कोमल पत्तों का रस गर्म कर 2-2 बून्द आँख में टपकाने से या दोनों नेत्रों में पीड़ा हो तो दोनों कान में टपकाने से नेत्र रोग में लाभ होता है।
नीम से आंख की सूजन का उपचार: आँख की सूजन में नीम पत्र और लोध्र के समभाग मिश्रित चूर्ण को पोटली में बांधकर उस पोटली को जल में भिगोकर रख दे, इस पानी को आँखों में डालने से आँख की सूजन बिखर जाती है।
नीम से आँख की खुजली का इलाज: आँख की खुजली में यदि आँखों के ऊपर शोथ के साथ ही वेदना हो और भीतर खुजली चलती हो तो नीम पत्र तथा सौंठ को पीसकर थोड़ा सैंधा नमक कुछ समय एक वस्त्र की पट्टी पर बाँधने से 2-3 दिन में नेत्र का ये विकार दूर हो जाता है। परहेज इस समय ठंडे पानी एवं शीतवायु से नेत्रों को बचाना चाहिये।
नीम से आँख की जलन का इलाज: आँख की जलन में 500 ग्राम नीम के पत्तों को दो मिटटी के सराव के मध्य में रख कंडों की आग में फूँक देवें। स्वांगशीत होने पर अंदर की भस्म को 100 ग्राम नीम्बू रस में पकाकर सूखा लें। इसका अंजन करने से आँख की जलन में लाभ होता है।
नीम से आँख की लालिमा का उपचार: आँख की लालिमा में 50 ग्राम नीम पत्रों को जल के साथ महीन पीस टिकिया बना सरसों के तेल में पकावें। जब वो जलकर काली हो जाये तब उसे उसी तेल में मिलाकर उसमें दसवां भाग कपूर तथा दसवां हिस्सा कलमीशोरा मिला खूब घोटकर कांच की शीशी में भर लें, इसे रात्रि के समय आँखों में अंजन करने से आँखों की लालिमा नष्ट हो जाती है।
नीम से रतौंधी का इलाज: आँखों की रतौंधी में नीम की कोपले 20 नग, जस्ता भस्म 20 ग्राम, लौंग 6 नग, छोटी इलायची 6 नग और मिश्री 20 ग्राम सबको एकत्र खूब महीन पीस छानकर सुर्मा बना लें सुबह-शाम सलाई से लगाने से आँखों की रतौंधी नष्ट होती है। इसके अलावा रतौंधी में नीम के कच्चे फल का दूध नेत्ररोग में प्रयोग किया जाता है।
नीम से पेशाब की जलन का उपचार: पेशाब की जलन में नीम के सींक और पत्ररस 25 ग्राम उन्नाब के साथ पिलाने से पेशाब की जलन में शीघ्र लाभ होता है।
प्याज से रतौंधी का इलाज: रतौंधी रोग में प्याज के कंद को पीसकर रस निकालकर रस में थोड़ा सा लवण मिलाकर आँख में 2-3 बून्द डालने से रतौंधी रोग में लाभ होता है।
प्याज से आँख की रोशनी का उपचार: नेत्रज्योति में प्याज के स्वरस को शहद में मिलाकर नेत्रों में अंजन करने से नेत्र के ज्योति में वृद्धि होती है।
प्याज से मोतियाबिंद रोग का इलाज: मोतियाबिंद रोग में सफेद प्याज का रस 10 मिलीलीटर अदरक का रस 10 मिलीलीटर, नींबू का रस 10 मिलीलीटर, शहद 50 मिलीलीटर, इन सभी को मिलाकर नियमित रूप से 2-4 बून्द आँखों में डालने से मोतियाबिंद रोग नष्ट हो जाता है।
पलाश से नेत्र रोग का उपचार: नेत्र रोग में पलाश की ताज़ी जड़ों का अर्क एक बून्द आँखों में डालने से आँख की झाँक, खील, फूली नेत्र के सभी प्रकार के रोग में लाभ होता है।
पलाश से मोतियाबिंद का इलाज: मोतियाबिंद रोग में पलाश की ताज़ी जड़ों का अर्क एक बून्द आँखों में डालने से मोतियाबिंद रोगी में आराम मिलता है। इसके अलावा रतौंधी के रोगी को पलाश की ताज़ी जड़ों का अर्क एक बून्द आँखों सुबह-शाम में डालने से रतौंधी रोगी को आराम मिलता है।
पान से रतौंधी रोग का उपचार: रतौंधी रोग से ग्रसित मरीज को पान के पत्तों का रस निकालकर रात्रि को सोते समय 2-3 बून्द आँख में डालने से रतौंधी के रोगी को आराम मिलता है।
पर्णबीज से नेत्रपीड़ा का इलाज: नेत्रपीड़ा से परेशान व्यक्ति को पर्णबीज के पत्रों का रस आँख के चारों ओर लेप करने से सफेद भाग की पीड़ा नष्ट हो जाती है।
पीपल से आँख के दर्द का इलाज: आँख के दर्द में पीपल के पत्तों को जड़ के दूध में पीसकर इसको आँख में लगाने से आँख का दर्द मिट जाता है।
पिप्पली से रतौंधी रोग का उपचार: रतौंधी रोग की समस्या से समाधान पाने के लिए आँख में पिप्पली का काजल बनाकर लगने से रतौंधी में लाभ होता है। इसके अलावा रतौंधी में पिप्पली को गौ मूत्र में घिसकर नेत्रांजन करने से रतौंधी में लाभ होता है।
पिप्पली से नेत्ररोग का उपचार: नेत्र रोग में पिप्पली के खूब महीन चूर्ण को सलाई से आँखों में अंजन करने से नेत्रों की धुंध, रतौंधी व जाला आदि रोगों में लाभ मिलता है।
पिप्पली से आँखों के पानी का इलाज: आँखों के पानी निकलने पर पिप्पली एक भाग और हरड़ दो भाग दोनों को एकत्र जल के साथ खूब महीन पीसकर बत्तियां बनाकर नेत्रों में फेरते रहने से तिमिर, नेटर्कण्ड, नेत्रस्राव आँखों से पानी का बहना बंद हो जाता है।
पुनर्नवा से अनिद्रा का उपचार: अनिद्रा रोग में पुनर्नवा का काढ़ा 50-100 मिलीलीटर रोगी को पिलाने से नींद अच्छी आ जाती है।
पुनर्नवा से नेत्ररोग का इलाज: नेत्र रोग में पुनर्नवा की जड़ों को पीसकर गाय के घी में मिलाकर आँखों में अंजन करने से आँख की फूली कट जाती है। इसके अलावा पुनर्नवा की जड़ों को पीसकर मधु में मिलाकर आँखों पर लेप करने से आँख की लालाई और आँख की खुजली, में शीघ्र लाभ होता है।
राई से आँखों की बिलनी का इलाज: अंजंनभीका (आँखों के पलकों की फुंसी) में राई के चूर्ण को घी में मिलाकर लेप करने से आँखों के पलकों की फुंसी में तुरंत आराम हो जाता है।
रीठा से नेत्ररोग का उपचार: अभिष्यंद में रीठे के फल को जल में उबालकर इस जल को पलकों के नीचे लेप करने से नेत्ररोग में लाभ होता है।
सहिजन से नेत्ररोग का इलाज: नेत्ररोग में सहिजन के पत्रों के 50 ग्राम रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर आँखों में अंजन करने से तिमिरादि सभी प्रकार के नेत्र रोगों जैसे: आँखों की सूजन और नेत्रों का अंधापन, में लाभ होता है।
सत्यानाशी से आँखों की धुंध का इलाज: आँखों की धुंध से शीघ्र छुटकारा पाने के लिए सत्यानाशी का क्षार एक ग्राम, 50 ग्राम गुलाब जल में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम दो बार दो-दो बून्द आँखों में डालने से आँखों की धुंध रोग में लाभ होता है।
सत्यानाशी से रतौंधी का उपचार: रतौंधी रोग से ग्रसित मरीज को शीघ्र आराम पाने के लिए सत्यानाशी के पत्तों का स्वरस भी नेत्रों में 2-4 बून्द डालने से रतौंधी रोग में शीघ्र लाभ होता है।
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