मैनफल की दवाएं:-मासिक धर्म, प्रसव पीड़ा, बांझपन, कफपित्त, सिरदर्द, अधकपारी, दमा, वमन, सूजन, पेट दर्द, कफज विकार, विसर्प, दाह आदि बिमारियों के इलाज में मैनफल की घरेलू दवाएं एवं औषधीय चिकित्सा प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से किये जाते है:- मैनफल के फायदे और नुकसान एवं सेवन विधि
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मासिक धर्म में मैनफल के सूखे हुए फल की धूनी योनि में देने से मासिक धर्म की रुकावट, दर्द, अनियमितता आदि कष्ट दूर हो जाते हैं। तथा यह औषधि गर्भधारण के लिए अति उत्तम सावित हुई है।
प्रसव पीड़ा के समय मैनफल के सूखे हुए फलों की धूनी योनि में देने से प्रसव पीड़ा शांत होता है, तथा प्रसव शीघ्र और सुख पूर्वक हो जाता हैं।
बांझपन (गर्भधारण) में मैनफल के 1 ग्राम सुखाये हुये बीजों का चूर्ण, दूध और खंड तथा केसर के साथ सेवन करने से तथा 1 ग्राम बीजों के चूर्ण की बत्ती बनाकर योनिमार्ग में धारण करने से योनिमार्ग और गर्भाशय के सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं।
कफ पित्त विकार में 2-3 शुद्ध मैनफल लेकर, ऊपर का छिलका हटाकर और दरदरा कूटकर रात में 60 ग्राम जल में भिगो दें, अच्छी तरह मल छानकर खाली पेट पीने से तत्काल वमन होकर कफ-पित्त के विकार शांत हो जाते हैं।
सिरदर्द में मैनफल और मिश्री बराबर-बराबर मात्रा में लेकर थोड़े से गाय के दूध के साथ पीसकर सूर्योदय से पूर्व ही नस्य देने से सूर्य उदय के साथ आरम्भ होने वाला सिरदर्द में आराम मिलता हैं।
सिर में होने वाला अधकपारी दर्द में मैनफल के साथ मिश्री मिलाकर साथ में गाय का दूध के साथ पीसकर खाली पेट प्रयोग करने से अधकपारी का दर्द ठीक हो जाता हिअ।
दमा रोग में मैनफल, अर्कमूल त्वक तथा मुलेठी तीनों को समान भाग लेकर, 2-3 ग्राम की मात्रा में चूर्ण बनाकर प्रयोग करें, यह दमा और प्रतिश्याय की उत्तम औषधि हैं।
वमन (उल्टी) से परेशान व्यक्ति को 1. 6 ग्राम मैनफल बीज चूर्ण 6 ग्राम सैंधा नमक तथा 1/2 ग्राम पीपल के चूर्ण को गर्म जल के साथ प्रयोग से वमन में राहत मिलती है।
सूजन में मैनफल के बीजों का चूर्ण 2-4 ग्राम कांजी अथवा मट्ठा में पीसकर, गर्म करके नाभी के चारों ओर लेप करने से सूजन बिखर जाती हैं।
दर्द में मैनफल के बीजों का चूर्ण 4-6 ग्राम कांजी तथा मट्ठा में मिलाकर हल्का गर्म करने दर्द के स्थान पर लेप करने से दर्द शीघ्र नष्ट हो जाता है।
उदरशूल (पेट दर्द) में मैनफल के फल को सिरके में पीसकर नाभी के चारों ओर लेप करने से पेट दर्द में आराम मिलता हैं।
कफज में मैनफल, मुलेठी, नीम की छाल और कटु इंद्रजौ इन सबका चूर्ण मिलाकर प्रयोग करने से वमन होकर कफज में आराम मिलता है।
दाह में 140 ग्राम भैस के ताजे मक्खन को गर्म कर, उसमें 11.5 ग्राम मोम मिला दें, जब मोम पिघल जाये तो उसमें 11.5 ग्राम मैनफल चूर्ण और समभाग सेंध नमक मिलाकर रख ले। इसे निरंतर 1 सप्ताह लेप करने से दाह शांत होती हैं।
बवाय में मैनफल का चूर्ण 10 ग्राम, मक्खन, 10 ग्राम मोम मिलाकर धुप में रख दे, जब मोम पिघल जाये तो उसमें सेंधा नामक मिलाकर नियमित एक सप्ताह लेप करने से पैर की बवाय शीघ्र ठीक हो जाता है। तथा पैर कमल के समान कोमल मुलायम हो जाते हैं।
मैनफल के छोटे आकार के विरल वृक्ष समस्त भारतवर्ष में 4.000 फुट की ऊंचाई तक देखने को मिलते हैं।
मैनफल के झाड़ीनुमा वृक्ष का कांड हाथ की भुजा जितना मोटा, छाल पतली परतों में उतरती हुई दिखती हैं। पत्ते अभिलटवाकार गोलाभ या लम्बाग्र 1-2 इंच पत्र दंड के पास से संकरे दोनों पृष्ट श्वेत रोमयुक्त तथा शाखाओं पर समूह बद्ध उगते हैं। पत्रों के अक्षिप्रदेश दोनों और से 1 1 /2 इंच लम्बे तीक्ष्ण कांटे होते हैं। पुष्प सफेद पीली आभायुक्त, सुगंधित, लोमयुक्त तथा इनमें मोगरे जैसी मधुर गंध आती हैं। फल अखरोट की भाँती लम्बे, गोल भीतर चार भागों में बिभक्त और प्रत्येक खंड में बीज रहते हैं। जेठ मास में फल आते हैं और शीतकाल में पक जाते हैं।
मैनफल फलों में मुख्य कार्यकारी तत्व सैपोनिन होता है, इसके अतरिक्त फलमज्जा में प्रोटीन, शर्करा और अन्य कार्बोहाइड्रेट अम्ल होते हैं। बीजों से तेल प्राप्त होता हैं जो मक्खन के समान पीताभ हरित होता हैं। फूलों से भी एक सुगंधित तेल निकलता हैं।
मैनफल मधुर, तिक्त, उष्णवीर्य, हल्का, वमनकारक, विद्रधिनाशक, रुक्ष, प्रतिश्याय नाशक, व्रण, कोढ़, कफ, अफारा, सूजन और गुल्म तथा व्रण को नष्ट करता हैं। देशी चिकित्सा विज्ञान में जितनी वामक औषधियां है उनमें मैनफल सर्वश्रेष्ठ हैं। बिना किसी उपद्रव के इसके फलों के सेवन से वमन हो जाता हैं।
उष्ण प्रकृति के व्यक्तियों में मैनफल का प्रयोग सावधानी पूर्वक करना अथवा स्वस्थ के लिए हानिकारक हो सकता है।
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