घरेलू दवा:-
Constipation:अनियमित दिनचर्या और भाग दौड़ की जीवनशैली में कब्ज होना एक आम समस्या है। भोजन के बाद काफी समय तक एक जगहे पर बैठे रहना और रात को खाना खाने के बाद सीधे सो जाने जैसी आदतें कब्ज के लिए जिम्मेदार होती हैं। बहुत से लोग अक्सर पेट साफ न होने यानि कब्ज की शिकायत करते रहते हैं। इसका साफ मतलब है कि आपके पाचन क्रिया में गड़बड़ी के अलावा खान-पान का सही तरीका न होना है। लगातार अधिक समय तक कब्ज की बीमारी से पीडित रहने वाले लोगों के त्वचा पर भी इसका काफी प्रभाव पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कब्ज की समस्या को दूर करने के उपाय आपके अपने घर में ही मौजूद है। अगर नहीं जानतें हैं तो आज हम आपको को इन औषधियों से अवगत कराएंगे जिसके माध्यम से आप अपने मर्ज का घर बैठे ही इलाज कर सकेगें। कब्ज के कारण, लक्षण, घरेलू दवा एवं उपचार विधि/Constipation, Symptoms, Home Medicine And Treatment In Hindi.
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1. पानी का सेवन कम करना।
2. मसाले वाले भोजन का ज्यादा सेवन करना।
3. वजन घटाने के लिए डाइटिंग करना।
4. ज्यादा समय तक एक ही जगह पर बैठे रहना।
5. रोजाना एक ही प्रकार का भोजन करना।
6. गलत खान-पान करना।
7. समय से भोजन न करना।
8. पेट सही ढंग से साफ़ न होना।
9. आँतों में समस्या होना।
10. मूत्र को अधिक समय तक रोककर रखना।
1. भूख न लगना।
2. साँसों में बदबू आना।
3. चक्कर आना।
4. नाक का अधिक समय तक बहना।
5. जी मिचलाना।
6. बार-बार ढेकरें आना।
7. पेट लगातार भारी रहना।
8. पेट में गैस बनना।
9. शौच के बाद भी पेट साफ न होना।
10. मुंह में छाले पड़ जाना।
आजमाएं घरेलू देशी नुस्खे
कब्ज की समस्या में पपीता रामबाण औषधि है। क्योंकि पपीता में विटामिन डी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। पपीता खाने में टेस्टी होने के साथ-साथ पेट के लिए भी बहुत गुणकारी है। प्रतिदिन एक बार पके हुए पपीते का सेवन करने से कब्ज से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा पका हुआ अमरूद खाने से भी कब्ज से राहत मिलती है।
घृतकुमारी का गूदा निकालकर बराबर मात्रा में घी मिलाकर (60-60 ग्राम दोनों) उसमें हरड़ का चूर्ण तथा सेंधा नमक 10-10 ग्राम की मात्रा में मिलाकर भली भाँती घोंट लेते हैं। इसको 10-15 ग्राम की मात्रा प्रातः एवं सांय गुनगुने पानी के साथ प्रयोग करने से पेट की गैस या वायु गोला सम्बन्धी विकार एवं वातज गुल्म आदि उदर तथा वातजन्य विकारों में लाभ होता है।
नींबू, अदरक एवं थोड़ा काला नमक मिलाकर तीनों का स्वरस नियमित सेवन करने से बदहजमी मदाग्नि, तथा आमवात के कष्ट दूर हो जाते हैं।
पेट की गैस को ठीक करने के लिए आम को पानी में उबालकर गुठली निकालकर बारीक़ पीस चूर्ण बना ले और खाना खाने के बाद नित्य सेवन करने से पेट की गैस दूर हो जाती है।
गैस के प्रकोप से बचाव के लिए अजमोद व नमक को स्वच्छ वस्त्र में बांधकर नलियों पर सेक करने से गैस (वायु) नष्ट हो जाती है।
कब्ज में आंवले के फल का चूर्ण, सिर दर्द, कब्ज, बवासीर व बदहजमी रोग में त्रिफला चूर्ण के रूप में प्रयोग किया जाता है। मात्रा 3 से 6 ग्राम जल के साथ दिन में तीन बार। 3-6 ग्राम त्रिफला चूर्ण की फंकी उष्ण जल के साथ रात में सोते समय लेने से कब्ज दूर होता है।
एसिडिटी में अंगूर, दाख, हरड़ बराबर मात्रा लें, इसमें बराबर चीनी मिलाये, सबको एकत्र पीसकर 1-1 ग्राम की गोलियां बना लें और एक-एक गोली प्रातः सांय शीतल शुद्ध जल के साथ सेवन करने से एसिडिटी, हृदय-कंठ की जलन, प्यास तथा मदाग्नि का नाश होता है।
कब्ज में अमलतास के पुष्पों का गुलकंद, आंत्र रोग, सूक्ष्मज्वर एवं कोष्ठबद्धता में लाभदायक है। कोमलांगी स्त्री को अमलतास का सेवन 25 ग्राम तक रात्रि के समय कोष्ठ बद्धता में कराना चाहिये।
कब्ज की समस्या में अंकोल की जड़ का चूर्ण 375 मिलीग्राम तक की फंकी का सेवन करने से कब्ज में आराम मिलता है।
कब्ज से परेशान मरीज को अमरुद नाश्ते के समय काली मिर्च, कला नमक, अदरक के साथ खाने से गैस, अफारा और कब्ज दूर होकर भूख लगने लगती है। इसके अलावा अमरुद खाने से संग्रहणी और अतिसार में आराम मिलता है।
बद्धकोष्ठ (कब्ज) में 5 ग्राम अश्वगंधा का चूर्ण की फंकी गर्म जल के साथ सेवन करने से कब्ज ठीक हो जाता है।
कब्ज में भारंगी के 5 ग्राम बीजों को कूटकर मटठे में उबाल लेने से पेट के संचित मल को मुलायम के लिए अत्यंत लाभकारी है।
वायुशूल में चमेली के गर्म तेल में रुई का फोहा भिगोकर नाभि पर रखने से पेट की गैस में आराम मिलता है।
कब्ज से ग्रसित मरीज को शुंठी चूर्ण 500 मिलीग्राम, दाल, इलायची 500 मिलीग्राम, चीनी 500 मिलीग्राम इन तीनों को पीसकर भोजन के पहले सुबह-शाम सेवन करने से भूख बढ़ती है और कब्जियत मिटती है। इसके अलावा दालचीनी का तेल पेट पर मलने से आँतों का खिचाव दूर हो जाता है।
अग्निमांध (कब्ज) में श्वास तथा विषम ज्वर में धनियां, लौंग, सौंठ तथा निशोथ, सबका समभाग चूर्ण बनाकर उष्ण जल के साथ 2-2 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज में लाभदायक होता है।
कब्ज में ईख रस के साथ जौ की डांग या जौ की बाल पीसकर पीने से कोष्ठबद्धता (कब्ज) में लाभ होता है।
गैस में अजवायन चूर्ण को सुबह-शाम सेवन करने से पेट की गैस का नाश होता है। अजवायन, सैंधा नमक, हरड़, और सौंठ इनके चूर्ण को समभाग मिश्रित कर 1 से 2 ग्राम की मात्रा गर्म पानी के साथ सेवन करने से वायु गोले नष्ट होते है। इसके अलावा अजवायन चूर्ण के वचा, सोंठ, काली मिर्च, पिपल्ली 100 ग्राम जल में पकाकर चतुर्थाश शेष काढ़ा के साथ गर्म-गर्म ही रात्रि में पीने से गैस गुल्म नष्ट होता है।
कब्ज में एक से दो चम्मच की मात्रा में ईसबगोल की भूसी रात्रि में सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध के साथ सेवन करने से कब्जियत दूर होती है तथा ईसबगोल की भूसी व त्रिफला चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर लगभग 3 से 5 ग्राम तक रात्रि को गर्म जल के साथ सेवन करने से सुबह मल साफ होता है। इसके अलावा उदर शोथ व पित्त विकारों में भी यह एक अनुभूत व निरापद प्रयोग है।
कब्ज की समस्या में गेंदा के 10 पत्तों को दो चम्मच पानी में पीसकर 5 ग्राम मिश्री मिलाकर छानकर सेवन करने से कब्ज में आराम मिलता है।
ग्रीष्मकाल में गूलर के पके हुए फलों का शर्बत बनाकर पीने से मन को प्रसन्न करता है, तथा बल्य, कब्ज तथा स्वास-कास का नाशक है।
पेट की वायु में बकरी या गाय के दूध के साथ गोरखमुंडी के 3 ग्राम चूर्ण की फंकी लेने से पेट की वायु नष्ट होती है और पेट को आराम मिलता है। इसके अलावा पेट के सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं।
बद्धकोष्ठता (कब्ज) में हरड़ सनाय और गुलाब के गुलकंद की गोलियां बनाकर खाने से कब्ज मिटता है तथा छं हरड़ और साढ़े तीन ग्राम दालचीनी या लौंग को 100 ग्राम जल में 10 मिनट तक उबालकर, छानकर खाली पेट पिलाने से कब्ज नष्ट हो जाती है।
कब्ज में पुरानी इमली का एक किलो गूदा दुगने जल में भिगोकर दूसरे दिन प्रातः काल अग्नि पर दो तीन उबाल देने के बाद अग्नि से नीचे उतारकर, मसलकर छान ले और बाद में दो किलो खांड मिलाकर चाशनी बना लें। गर्म चाशनी को छानकर, शीतल करके बोतल में भर लें, तीन-तीन घंटे के अंतर से 20 से 40 ग्राम तक की मात्रा सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है।
कब्ज की से ग्रसित मरीज को 120 ग्राम जल में 100 ग्राम जीरा डालकर काढ़ा करें, 25 ग्राम जल शेष रहने पर उतारकर छान लें, इसमें काली मिर्च चूर्ण 3 ग्राम, तथा नमक 4 ग्राम डालकर पीने से डकार आके कब्ज दूर हो जाती है।
पेट की गैस में 150 ग्राम सफ़ेद जीरे 200 ग्राम जल के साथ मिलाकर धीमी आंच में उबालकर 30 ग्राम जल शेष रहने पर उतार कर इसमें काली मिर्च का चूर्ण 4 ग्राम तथा काला नमक मिलाकर प्रयोग करने से पेट की गैस में लाभ होता है।
पेट की गैस से परेशान रोगी को लता करंज के पत्तों को यवागू में उबाल कर यथोचित मात्रा में पिलाते रहने से पेट की गैस हवा के द्वारा निकल जाती है। पेट का दर्द कम हो जाता है तथा पाचन क्रिया ठीक हो जाता है।
कब्ज में लौंग 1 ग्राम और हरड़ 3 ग्राम का काढ़ा कर उसमें थोड़ा सा सैंधा नमक डालकर पिलाने से कब्ज मिटता है और दस्त साफ होता है।
अजीर्ण (अपच) में छुई-मुई के पत्तों का 30 मिलीग्राम रस पिलाने से अपच दूर होता है।
कब्ज में मरुआ का 20-40 ग्राम फाँट बनाकर नियमित प्रयोग करने से कब्जियत दूर हो जाती है।
कब्ज से परेशान व्यक्ति को 1/2 ग्राम लाल मिर्च चूर्ण को 2 ग्राम शुंठी चूर्ण के साथ सेवन करने से अजीर्ण, कब्ज दूर हो जाती है।
बच्चों का कब्ज दूर करने के लिए मौलसिरी के बीजों की मींगी की बत्ती, पुराने घी के साथ बनाकर, बत्ती को गुदा में रखने से 15 मिनट में मल की कठोर गांठे दस्त के साथ निकल जाती है।
पेट की गैस में छोटी पिप्पली 1 नग लेकर गाय के दूध में 10-15 मिनट उबालें। उबालकर पहले पिप्पली खाकर ऊपर से दूध पी लें। अगले दिन 2 पिप्पली लेकर दूध में अच्छी तरह उबालकर पहले पिप्पली खा ले, फिर दूध पी लें। इस प्रकार 7 से 11 पिप्पली तक सेवन करने पुनः क्रमश कम करते जाये अर्थात जीस तरह एक-एक पिप्पली बढ़ाई थी, वैसे ही एक-एक पिप्पली कम करते हुऐ 1 नग पर वापस लौट आयें। यदि अधिक गर्मी न लगे तो अधिकतम 15 दिन में 15 पिप्पली तक भी इस कल्प करने से पेट की गैस में लाभ होता है।
वायु की पीड़ा में सहिजन के पत्तों को पानी के साथ पीसकर गुनगुना कर पेट पर हल्का लेप करने से वायु की पीड़ा शांत होती है।
कब्जियत से छुटकारा पाने के लिए रात्रि का भोजन न पचने की शंका हो तो हरड़, सौंठ तथा सैंधा नमक चूर्ण जल के साथ एक चम्मच खा लेवें। दोपहर अथवा सांयकाल थोड़ा भोजन करने से कब्जियत में लाभ होता है।
वायुगोला में तेजपात की छाल का चूर्ण 2-4 ग्राम पीसकर रात्रि में सोते समय फांकने से वायु गोला मिटता है तथा पेट के दस्त साफ हो जाते हैं।
अम्लपित्त (एसिडिटी) में त्रिफला चूर्ण आधा चम्मच दिन में दो तीन बार जल के साथ फांकने से एसिडिटी में लाभ होता है।
कब्ज से ग्रसित मरीज को रात्रि में सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन गर्म जल के साथ करने से कब्ज मिटती है।
कब्जियत से परेशान मरीज को तुलसी की 2 ग्राम मंजरी को पीसकर 100 मिलीग्राम काले नमक के साथ दिन में 3 से 4 बार प्रयोग करने से कब्जियत में शीघ्र लाभ होता है।
कब्ज के कारण, लक्षण, घरेलू दवा एवं उपचार विधि/Kabj Ke Karan, Lakshan, Gharelu Dawa Evam Upchar Vidhi In Hindi.
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