Teeth pain- कभी-कभी दांतों की जड़ें काफी ढीली पड़ जाती है। जिसके करण लोगों को दांतों के असहनीय दर्द से भी गुजरना पड़ता है। दांतों में कीड़े लग जाने के कारण भी दांत में दर्द होता है तो कभी मसूड़ों में तकलीफ होने के करण दांत में दर्द होने लगता है। जिसके कारण आपको असहनीय दर्द का समाना करना पड़ता है लेकिन आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको दांत जैसे असहनीय दर्द को जड़ से खत्म करने का उपाय लेकर आएं हैं जिसके प्रयोग से आप दांत दर्द से शीघ्र छुटकारा पा सकते हैं। जब भी आपका दन्त दर्द हो तो गर्म पानी में नमक डालकर कुल्ला करने से शीघ्र आराम मिलता है। दांत दर्द से शीघ्र छुटकारा पाने के लिए हमारे इस देशी नुस्खे को आजमाएं और शीघ्र छुटकारा पाएं…
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दांतों में कीड़े लग जाने के कारण भी दांत में दर्द होता है। तो कभी मसूड़ों में तकलीफ होने के करण दांत में दर्द होने लगता है। कभी-कभी दांतों की जड़ें काफी ढीली हो जाती हैं इस वजह से भी दांत में दर्द का असहनीय पीड़ा का समाना करना पड़ता है। इस स्थिति में लोगों को ब्रश करना, खाना खाना, बोलना, हंसना आदि समस्याओं से गुजरना पड़ता है। दांत दर्द से राहत पाने के लिए आजमाएं ये देशी नुस्खे, मिलेगा शीघ्र आराम….
दांतों में झनझनाहट होना, मसूड़ों में सूजन, खाना खाते समय दर्द का अहसास होना, मसूड़ों से खून का आना, दाढ़ में दर्द होना, जबड़े में दर्द का होना आदि दांत के लक्षण होते हैं। इस परेशानी से निजात पाने के लिए शीघ्र करें कुछ सरल घरेलू देशी नुस्खे का प्रयोग…
आजमाएं देशी घरेलू दवा एवं नुस्खे-
दन्त दर्द में अकरकरा और कपूर दोनों को बराबर लेकर पीसकर मंजन करने से सभी प्रकार की दन्त पीड़ा में लाभदायक होती है। अकरकरा जड़ के क्वाथ से दन्त की पीड़ा दूर होती है और हिलते हुए दांत स्थाई हो जाते हैं।
दन्त की पीड़ा में अजमोद को जलाकर दांत में लेप करने से दांतों की पीड़ा शीघ्र ही दूर हो जाता है।
दांत के दर्द को ठीक करने के लिए कचनार का प्रयोग किया जाता है। दांत के दर्द के लिए कचनार की छाल को आग में जलाकर राख बनालें, फिर उसी राख का मंजन करने से दांत का दर्द मसूड़ों से रक्तस्त्राव की शिकायत दूर हो जायेगी।
दन्त रोग में अनन्तमूल के पत्तों को पीसकर दांतों के नीचे दबाने से दांत के दर्द रोग दूर हो जाते हैं।
अखरोट की छाल को मुंह में रखकर चबाने से दांत स्वच्छ होते हैं। अखरोट के छिलके की भस्म से मंजन करने से दांत मजबूत होते हैं और दन्त दर्द से शीघ्र आराम मिलता है।
दन्त रोग में अमरुद के 3-4 पत्तों को चबाने या पत्तों के काढ़े में फिटकरी मिला कर कुल्ला करने से दांत की पीड़ा दूर हो जाती है।
दंतशूल में अनार तथा गुलाब के शुष्क फूल दोनों को पीसकर मंजन करने से मसूड़ों से पानी अथवा खून आना बंद हो जाता है। इसके अलावा अनार की कलियों के चूर्ण का मंजन करने से मसूढ़ों से खून आना बंद हो जाता है और मीठे अनार के छाया शुष्क 8-10 पत्तों के चूर्ण का मंजन करने से दांतो का हिलना, मसूढ़ों से खून और पीव का आना या सूजन में फायदा होता है।
दंतपीड़ा में आक के दूध में रुई भिगोकर घी के साथ मसलकर दन्त में लेप करने से दन्त शूल में आराम मिलता है और आक के दूध में नमक मिलाकर दांत पर लगाने से दन्त पीड़ा मिटटी है।
दन्तपीड़ा में बबूल की फली का छिलका और बादाम के छिलके की राख में नमक मिलाकर मंजन करने से दन्त पीड़ा मिटती है। इसके अलावा बबूल की कोमल टहनियों की दातुन करने से भी दांत निरोग और मजबूत होते है। बबूल की छाल के काढ़े से कुल्ला करने से दांतों का सड़ना दर्द हो बंद हो जाता है।
दंतपीड़ा में बाकुची की जड़ को पीसकर भुनी हुई फिटकरी मिला लें। सुबह-शाम इससे मंजन करने से दांत के कीड़े नष्ट हो जाते है तथा दन्त की पीड़ा शीघ्र दूर हो जाती है।
दांत पीड़ा में जिस ओर की दाढ़ में दर्द हो उससे विपरीत, कान के भीतर भांगरा के स्वरस की 2-4 बूंदे टपकाने से दर्द शीघ्र दूर होता है। एक बार में लाभ न हो तो दोबारा प्रयोग करने से अवश्य लाभ होता है।
दंतशूल में दालचीनी के तेल को रुई का फोवा बनाकर लगाने से लाभ होता है। इसके अलावा दालचीनी के 5-6 पत्तों को पीसकर मंजन करने से दन्त पीड़ा स्वच्छ और चमकीले हो जाते हैं।
दन्त पीड़ा में धातकी के पत्ते तथा फूल दोनों को समभाग लेकर, बनाये गए काढ़ा से गरारे कुल्ला करने से सभी प्रकार के दन्त पीड़ा में लाभ होता है।
दन्तोद्गम जन्य पीड़ा में आंवला, पिप्पली और धातकी के फूल तीनो को बराबर लेकर महीन पीस लें। इस चूर्ण को मधु मिलाकर सुबह शाम प्रतिदिन बच्चों के दांत में लगाने से कष्ट दूर होकर, दांत सहजता से निकल जाते हैं।
दंतशूल (दंतपीड़ा) में इलायची और लौंग का तेल बराबर मात्रा में लेकर दांतों पर मलने से या कुले करने से दंतपीड़ा शांत हो जाती है। इसके अलावा 4-5 इलायची के फल को 400 मिलीलीटर पानी में उबालकर शेष काढ़ा से कुल्ला करने से दन्त पीड़ा में लाभ होता है।
दन्त पीड़ा में खुरासानी अजवायन को समभाग राल के साथ पीसकर दांतो की छेद में धारण करने से दन्त पीड़ा नष्ट हो जाती है।
दंतपीड़ा में ईसबगोल को सिरके में भिगों कर दांतों के नीचे दबाकर रखने से दन्त पीड़ा दूर होती है।
दंतशूल में गेंदा के पत्तों के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के दर्द में शीघ्र आराम मिलता है और इसके अलावा मुख की दर्गन्ध दूर हो जाती है।
दन्त के दर्द में हरड़ के चूर्ण को पीसकर मंजन करने से दांत साफ और निरोगी हो जाते हैं।
दांत के रोग में जामुन के पत्तों की राख दांत और मसूड़ों पर मलने से दांत और मसूड़े मजबूत होते हैं तथा पायरिया रोग में पके हुये फलों के रस को मुख में भरकर, अच्छी तरह हिलाकर कुल्ला करने से पायरिया रोग ठीक होता है।
दंतशूल में काले जीरे का काढ़ा बनाकर उसी काढ़े से कुल्ले करने से दंतपीड़ा मिटती है।
दंतपीड़ा में सफेद कनेर की डाली से दातुन करने से हिलते हुए दांत मजबूत होते हैं और दांतों में बड़ा लाभ होता है। दन्त रोग ठीक हो जाता है और दांत सफ़ेद हो जाता है।
दांत की पीड़ा में अगर दाढ़ बहुत दुखती हो तो कटेरी के बीजों का धुंआ प्रयोग करने से तुरंत आराम होता है। कटेरी की जड़ छाल पत्ते और फल लेकर उनका काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से दांतों के सभी प्रकार के दर्द में आराम मिलता है।
दन्त रोग पायरिया में लता करंज की टहनी का दातुन करने से एवं लता करंज के तेल को दांतों पर घिसने से दन्त की पीड़ा शांत होती है। इसके अलावा 7 ग्राम करंज के बीजों को 7 ग्राम मिश्री के साथ देने से दांतों से खून आना बंद हो जाता है।
दंतशूल में कुटज की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दंतपीड़ा शांत हो जाती है तथा मुख से आने वाली दुर्गंध में भी लाभ होता है।
दांत की पीड़ा में मकोय के पत्तों के रस में घी या तेल समभाग मिलाकर दांतों पर मलने से दांत का कष्ट मिट जाता है।
दंतपीड़ा में काली मिर्च के 1-2 ग्राम चूर्ण को 3-4 जामुन के पत्ते या अमरुद के पत्तों या पोस्तदानों के साथ पीसकर कुल्ला करने से दांतों के दर्द में लाभदायक होता है।
दांत की मजबूती में मौलसिरी के 1-2 फलों को नियमित रूप से चबाने से भी दांत मजबूत हो जाते हैं। मौलसिरी की दातौन करने से अथवा दांतों के नीचे रख कर चबाने से हिलते हुए दन्त स्थाई व दृढ हो जाते हैं।
दांत की चमक में मौलसिरी की छाल के चूर्ण का मंजन करने से दांत वज्र की तरह चमकने लगते हैं।
वृद्धावस्था के हिलते हुए दांतों की मजबूती में मौलसिरी की शाखाओं के अग्रमि कोमल भाग का काढ़ा दूध या जल के साथ मिलाकर प्रतिदिन नियमित रूप पीने से वृद्धावस्था में भी दांत मजबूत और सुदृण रहते हैं।
दांतों के विकार को दूर करने के लिये नीम की दातुन करने से दंत विकार ठीक होते है, नीम की जड़ की छाल का चूर्ण 50 ग्राम, सोना गेरू 50 ग्राम, सैंधा नमक 10 ग्राम तीनों को एक साथ खरल करे, फिर इसमें नीम पत्र स्वरस की 3 भावनायें देकर सूखाकर शीशी में रख लें, इसके मंजन से दाँतों में से खून गिरना, पीव निकलना, मुँह में छाले पड़ना, मुख से दुर्गंध आना, जी का मिचलाना आदि विकार दूर हो जाते हैं।
दांतो में से खून निकलने पर नीम की जड़ की छाल का चूर्ण 40 ग्राम सोना गेरू 50 ग्राम सैंधा नमक 10 ग्राम तीनों को एक साथ खूब पकाकर इसमें नीम के पत्र का स्वरस मिलाकर दांतो पर मंजन करने से दांतो से खून का निकलना बंद हो जाता है।
दंतशूल में प्याज और कलोंजी को बराबर मात्रा में मिलाकर चिलम में रखकर उसका धुंआ पीने से दंत की पीड़ा शांत होती है।
दंतरोग में पीपल की और बरगद वृक्ष की छाल दोनों को बराबरा मात्रा में मिलाकर जल में पकाकर कुल्ला करने से दंत रोग नष्ट हो जाते हैं।
दंतशूल में की समस्या से छुटकारा पाने के लिए पिप्पली के 1-2 ग्राम चूर्ण को सैंधा नमक, हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर दांत पर मलने से दन्त की पीड़ा मिटता है।
दंतपीड़ा से शीघ्र छुटकारा पाने के लिए पिया बासा के 10-12 पत्तों को पानी में उबालकर दिन में कई बार मुख में धारण कर कुल्ले करने से हिलते हुए दांत मजबूत हो जाते है तथा दांत की पीड़ा शांत हो जाती है।
दंतशूल (दंतपीड़ा) से छुटकारा पाने के लिए राई को निवाये जल में मिलाकर कुल्ला करने से दंतपीड़ा शांत होती है।
दंतरोग से ग्रसित मरीज को रीठे के बीजों को तवे पर जलाकर पीसकर और उसमें बराबर मात्रा में पीसी हुई फिटकरी मिलाकर दांतों पर मलने से दांतों के सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं।
दंतरोग की समस्या से फौरन छुटकारा पाने के लिए सहिजन के गोंद को मुंह के अंदर धारण करने से दांत के सभी प्रकार के रोग नष्ट हो जाते हैं।
दंतरोग रोग में शरपुन्खा के मूल के 100 ग्राम काढ़ा में हरड़ की लुगदी 10 ग्राम डालकर 100 ग्राम तेल में पकायें, जब तेल का जलीयांश जल जाये तब उतारकर ठंडा कर ले उसके बाद रुई के फोहे में लगाकर दंत शूल के लिए प्रयोग किया जाता है। दंत रोगो में शरपुन्खा के मूल को कूटकर दुखते दांत के नीचे दबाने से दांत में बहुत लाभ होता है।
दांत के कीड़े को नष्ट करने के लिए सत्यानाशी के बीजों को जलाकर धूंए को मुंह में रखने से दांत का दर्द अथवा दांत के कीड़े मर जाते हैं।
दांत के रोग में जामुन के पत्तों की राख दांत और मसूड़ों पर मलने से दांत और मसूड़े मजबूत होते हैं तथा पायरिया में पके हुये फलों के रस को मुख में भरकर, अच्छी तरह हिलाकर कुल्ला करने से पायरिया ठीक होता है।
दंतशूल में काले जीरे का काढ़ा बनाकर उसी काढ़े से कुल्ले करने से दंतपीड़ा मिटता है।
दंतशूल (दंतपीड़ा) में सर्दी से होने वाले दंत पीड़ा में सौंठ के टुकड़े को दांतों के बीच दबाने से दांत की पीड़ा शांत हो जाती है।
दांत रोग में सेहुंड के दूध दांत पर लगाने से वह दांत सहज से गिर जाता है तथा दूसरे दांत पर दूध नहीं लगना चहिए।
दंत रोग से ग्रसित मरीज को सिरस मूल की काढ़ा का कुल्ला करने से तथा मूलत्वक चूर्ण से मंजन करने से पके हुए मसूड़ों का रोग मिटता है और दांत मजबूत होते है।
दांतों की मैल को साफ करने के लिए तेजपात के पत्तों का बारीक चूर्ण सुबह-शाम दांतों पर मलने से दांतों में चमक आती है। तेजपात डंठल को दांतों में चबाते रहने से दाँतों से खून आने की समस्या से आराम मिलता है।
दंतरोग में तिल को दांतों के लिये गुणकारी माना जाता है। प्रतिदिन 25 ग्राम तिल को चबा-चबा कर खाने से दांत मजबूत होते हैं।
दंतशूल की पीड़ा से परेशान मरीज को काली मिर्च और तुलसी के पत्तों की गोली बनाकर दांत के नीचे दिन में दो तीन बार रखने से दंतशूल दूर होता है।
दांत दर्द की घरेलू दवा एवं उपचार विधि/Dant Dard ki Gharelu Dava vam Upchr Vidhi In Hindi.
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