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भगंदर (Fistula) की घरेलू दवा एवं उपचार विधि

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Fistula:लोगों को भगंदर के नाम से ही लगता है कि कोई गंभीर बीमारी है। लेकिन यह एक मामूली फोड़े से बढ़ कर असहनीय दर्द देने वाली बीमारी है जो कि किसी को किसी भी अवस्था में हो सकती है। भगन्दर को अंग्रेजी में फिस्टुला नाम से भी जाना जाता है। गुदा नली में पस जम जाने के कारण होने वाला असहनीय दर्द भगंदर कहलाता है। इस बीमारी को लोगो आम बीमारी समझ कर इग्नोर कर देते है परन्तु यह बीमारी आगे चलकर एक जटिल समस्या बन जाती है। अगर इसका समय से इलाज न कराया जाए तो यह प्राण घाती भी हो सकती है। इस समस्या से निपटने के लिए हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ सरल देशी जड़ी बूटी से अवगत कराने जा रहे है जिसके माध्यम से आप भगन्दर बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं। भगंदर (Fistula) की घरेलू दवा एवं उपचार विधि-Fistula Home Medicine Treatment In Hindi.
भगन्दर के प्रमुख कारण कुछ इस प्रकार से हैं जैसे- लम्बे वक्त तक कब्ज का रहना, काफी रात तक जागने की आदत, तनाव, अति व अप्राकृतिक भोग विलास, अधिक आराम तलबी, अपच, प्रतिदिन चुस्त व कृत्रिम रेशों से निर्मित वस्त्रों का धारण करना व गर्भ का दवाव जैसे कारण हो सकता है।
भगंदर के लक्षण कुछ इस प्रकार से हैं जैसे- उठते बैठते दर्द का अहसास होना, मल त्याग के समय दर्द होना, गुदा के आस-पास से पस निकलना और पस से दूषित रक्त का निकलना, खूनी या दुर्गंधयुक्त स्राव होना, कई दिनों तक गूदे के आस-पास दर्द या सूजन का रहना और सिर दर्द आदि भगन्दर के प्रमुख लक्षण हैं।
भगंदर में पिठवन के फायदे:

भगंदर से ग्रसित मरीज को पिठवन के 8-10 पत्तों को पीसकर लेप करने से भगंदर में लाभदायक होता है। पत्तों के 10 ग्राम स्वरस का नियमित रूप से कुछ दिनों तक सेवन करने से भगंदर रोग नष्ट होता है। इसके अलावा पत्तों में हल्का सा कत्था और काली मिर्च समभाग मिलाकर पीसकर पिलाने से भगंदर में शीघ्र लाभ होता है।

भगंदर में पीपल के औषधीय गुण:

भगंदर की समस्या से छुटकारा पाने के लिए पीपल के अंदर की छाल को गुलाब जल में मिलाकर लेप करने से भगंदर नष्ट हो जाता है।

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भगंदर में नीम के गुण:

भगंदर एवं अन्य स्थानों के व्रणों घावों पर नीम तेल में कपूर मिलाकर उसकी बत्ती अंदर रखें एवं ऊपर से भी इसी तेल की पट्टी बांधने से भगंदर में लाभ होता है। इसके अलावा नीम के पंचांग चूर्ण 6 ग्राम की मात्रा में नित्य नियमपूर्वक सेवन करने से जीर्ण भगंदर दूर होता है।

लाजवंती/छुई-मुई से भगंदर का उपचार:

भगंदर में छुई-मुई के पत्तों का चूर्ण गाय के दूध में मिलाकर सुबह-शाम तथा दोपहर सेवन करने से भगंदर नष्ट हो जाता है।

भगंदर में लता करंज के लाभ:

भगंदर में लता करंज की 500 मिलीग्राम से 2 ग्राम जड़ की छाल को दूधिया रस की पिचकारी देने से भगंदर का घाव जल्दी भर जाता है। इसके अलावा दूषित कृमियुक्त भगंदर के घावों पर लता करंज के पत्तों की पुल्टिस बांधते रहने अथवा कोमल पत्रों का स्वरस 10-12 ग्राम के साथ निर्गुन्डी या नीम पत्र रस में कपास का फोहा तर कर घाव पर बार-बार रखते रहने से घाव में लाभ होता है।

भगंदर में गोरखमुंडी के फायदे:

भगंदर में गोरखमुंडी चूर्ण को बासी पानी के साथ सेवन करने से भंगदर नष्ट हो जाता है।

भगंदर में गूलर दूध की देशी दवा:

भगंदर में गूलर के दूध में रुई का फोहा भिगोकर, नासूर और भगंदर के अंदर रखने और उसको प्रतिदिन बदलते रहने से नासूर और भगंदर में आराम मिलता है।

भगंदर में भांगरा के औषधीय गुण:

भगंदर में भांगरा को पुल्टिस जैसा बनाकर बांधते रहने से कुछ ही दिनों में भगंदर शुद्ध होकर भर जाता है।

बरगद से भगंदर का उपचार:

भगंदर में बरगद के पत्ते, पुरानी ईंट के चूर्ण, सौंठ, गिलोय तथा पुननर्वा मूल का चूर्ण समभाग लेकर जल के साथ पीसकर लेप करने से भगंदर में शीघ्र लाभ होता है।

केला से भगन्दर का इलाज:

भगन्दर की समस्या में एक पके हुए केले को चाक़ू से बीच में चीरा लगा कर इस में कपूर को चने के दाने के बराबर रख ले और इसका प्रयोग करें। ध्यान दें कि खाने के एक घंटा पहले और खाने के एक घंटे बाद में कुछ भी नहीं खाना पीना चाहिए।

आक/मदार से भगन्दर का इलाज:

भगन्दर में आक का 10 मिलीग्राम दूध और दारुहल्दी का 2 ग्राम महीन चूर्ण, दोनों को एक साथ मिलाकर बत्ती बना व्रणों में रखने से शीघ्र लाभ होता है। इसके अलावा आक के दूध में कपास की रुई भिगोकर छाया शुष्क कर बत्ती बनाकर, सरसों के तैल में भिगोकर व्रणों पर लगाने से लाभ होता है।

अमरुद से भगंदर का उपचार:

बच्चों के गुदभ्रंश (भगंदर) रोग पर अमरुद की जड़ की छाल का काढ़ा गाढ़ा-गाढ़ा लगने से लाभ होता है। तीव्र अतिसार में गुदभ्रंश होने पर अमरुद के ताजे पत्तों की गोली बनाकर पेट पर बाँधने से सूजन कम हो जाती है और गुदा अंदर बैठ जाता है।

भगंदर (Fistula) की घरेलू दवा एवं उपचार विधि/Bhagandar Ki Gharelu Dava Evam Upchar Vidhi In Hindi.

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