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अनन्तमूल के फायदे, नुकसान एवं औषधीय गुण Anantmul ke fayade aushadhiya gun

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अनन्तमूल के औषधीय गुण

अनन्तमूल के फायदे, नुकसान एवं औषधीय गुण :- गंठिया, बुखार, पेट दर्द, पथरी, दन्त रोग, स्तनशोधक, गर्भपात, गंजापन, दमा, पीलिया, दाद, नेत्ररोग, रक्तविकार, मंदाग्नि आदि बिमारियों के इलाज में अनन्तमूल के औषधीय चिकित्सा प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से किये जाते है:-अनन्तमूल के फायदे, नुकसान एवं सेवन विधि:

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Table of Contents

सन्धिवात (गंठिया) में अनन्तमूल के औषधीय गुण :

गंठिया रोग में अनन्तमूल के चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में मधु के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से सन्धिवात (गंठिया) में लाभ होता है।

ज्वर (बुखार) में अनन्तमूल के फायदे एवं सेवन विधि: 

बुखार में अनन्तमूल के मज्जा, सौंठ, कुटकी व नागरमोथा सबको बराबर लेकर अष्टमांश काढ़ा को सिद्ध कर पिलाने से सब प्रकार के ज्वर दूर हो जाते है, अनन्तमूल की जड़ की छाल का 2 ग्राम चूर्ण, चूना और कत्था लगे पान के बीड़े में रखकर खाने से आराम मिलता है।

उदरपीड़ा (पेट दर्द) में अनन्तमूल के फायदे एवं सेवन विधि: 

पेट दर्द में अनन्तमूल के गूदे को 2-3 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के साथ घोंटकर पीने से उदरशूल (पेट दर्द) नष्ट हो जाता है।

अश्मरी (पथरी) में अनन्तमूल (सारिवा) के फायदे एवं सेवन विधि: 

पथरी में अनन्तमूल एवं मूत्रकृच्छ में सारिवा मूल का 5 ग्राम चूर्ण गाय के दूध के साथ दिन में दो तीन बार सेवन करने से पेशाब के रास्ते से पथरी गल निकल जाती है।

दन्तरोग में अनन्तमूल के फायदे एवं सेवन विधि: 

दन्त रोग में अनन्तमूल के पत्तों को पीसकर दांतों के नीचे दबाने से दांत के दर्द रोग दूर हो जाते हैं।

स्तनशोधक में अनन्तमूल के फायदे एवं सेवन विधि: 

स्तनशोधक (स्तन की सूजन) में अनन्तमूल का चूर्ण 3 ग्राम सुबह शाम सेवन करने से स्तन्य का सूजन खत्म हो जाता है। तथा स्तनों का दुग्ध को बढ़ा देता है। जिस महिलाओं के बच्चे बीमार और कमजोर हो, उन्हें अनन्तमूल का सेवन करना चाहिए।

गर्भपात में अनन्तमूल के फायदे एवं सेवन विधि: 

गर्भपात में सारिवा (अनन्तमूल) का फ़ॉन्ट तैयार कर उसमें दूध और मिश्री मिलाकर सेवन कराने से गर्भवती स्त्री को गर्भपात का डर नहीं रहता। गर्भ होने से पहले ही यह काढ़ा पिलाना आरम्भ कर दें। गर्भ धारण हो जाने के बाद से प्रसवकाल तक देने से बच्चा रोग मुक्त और सुंदर उत्पन्न होता है।

मूत्रविकार (पेशाब में जलन) में अनन्तमूल के फायदे एवं सेवन विधि: 

पेशाब की जलन में अनन्तमूल की छोटी जड़ को केले के पत्तें में लपेटकर आग में भून कर रख दें। जब पत्ता जल जाये तो जड़ को निकाल कर भुने हुए जीरे और चीनी के साथ पीसकर, गाय का घी मिलाकर सुबह-शाम देने से पेशाब और वीर्य संबंधी कष्ट दूर होते हैं।

केशवृद्धि (गंजापन) में अनन्तमूल के फायदे एवं सेवन विधि: 

गंजापन में सारिवा (अनन्तमूल) का चूर्ण 2-2 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार शुद्ध जल के साथ सेवन करने से सिर का गंजापन दूर होता है।

दमा में अनन्तमूल के फायदे एवं सेवन विधि: 

दमा रोग में अनन्तमूल का 4 ग्राम मूल और 4 ग्राम अडूसा पत्र चूर्ण का दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से सभी श्वांस रोगों में लाभदायक होता है।

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कामला (पीलिया) में अनन्तमूल के फायदे एवं सेवन विधि: 

पीलिया में अनन्तमूल की जड़ की छाल 2 ग्राम और काली मिर्च 11 नग दोनों को 25 ग्राम शुद्ध जल के साथ पीसकर एक सप्ताह तक पिलाने से आँखों एवं शरीर दोनों का पीलापन दूर हो जाता है। तथा कामला रोग से पैदा होने बहुत सारी बीमारी नष्ट हो जाती है।

दाद में अनन्तमूल के फायदे एवं सेवन विधि: 

दाद में अनंतमूल चूर्ण को घी में भूनकर 500 मिलीग्राम से 1 ग्राम तक चूर्ण, 5 ग्राम खण्ड (चीनी) के साथ नियमित सेवन करने से दाद आदि के बाद की शरीरस्थ गर्मी दूर हो जाती है।

नेत्ररोग में अनन्तमूल के फायदे एवं सेवन विधि: 

नेत्ररोग अनन्तमूल की जड़ को बासी पानी में घिसकर नेत्रों में अंजन व लेप करने से या इसके पत्तों की राख कपड़े में छानकर मधु के साथ नेत्रों में लेप करने से आँख का सूजन कम हो जाती है। अनन्तमूल के ताजे मुलायम पत्तों को तोड़ने से जो दूध निकलता है उसमें शहद मिलाकर आँखों में लेप करने से नेत्र रोगों में लाभ होता है।

रक्तविकार (खून की खराबी) में अन्नतमूल के फायदे एवं सेवन विधि: 

खून की खराबी में सारिवा (अनंतमूल) का 30 ग्राम, जौकुट कर एक लीटर जल के साथ पकावें। आठवा भाग शेष रहने पर छानकर एक ग्राम की मात्रा में मिश्री
अनंतमूल 500 ग्राम जौकुट कर 500 ग्राम खौलते हुए जल में भिगो दें और 2 घंटे बाद काढ़ा को छान लेवें। 50 ग्राम की मात्रा में दिन में 4-5 बार पिलाने से खून शुद्ध हो जाता है तथा त्वचा के विकार शीघ्र दूर होते है।

मंदाग्नि (भूख न लगना) में अनन्तमूल के फायदे एवं सेवन विधि: 

भूख न लगने में अनन्तमूल का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में प्रातःसांय गाय दूध के साथ सेवन करने से पाचन क्रिया बढ़ती है।

अनन्तमूल के नुकसान
अनन्तमूल का परिचय

अनन्तमूल वृक्षश्रित फैलने वाली लता है। यह पंजाब तथा उत्तरी भारत के जंगली क्ष्रेत्रों में लाल मिटती युक्त कीचड़ वाली पहाड़ी भूमि में बहुलता से पाई जाती है। वर्षा के प्रथम वारिपात में इसके मूल से नये प्रतान निलते हैं। सारिवा दो प्रकार की होती है। एक श्वेत (जिसका वर्णन ऊपर किया गया है) दूसरी कृष्णा सारिवा। कृष्णा सारिवा में दो अन्य प्रकार की औषधियों का संग्रह किया जाता है।

1. यह अर्क कुल की वनस्पति है। जम्बू पत्र सारिवा इसकी पत्तियां जामुन की पत्तियों जैसी होती है। और तोड़ने पर दूध निकलता है।

2. यह कुटज कुल की वनस्पति है। इसकी पत्तियां छोटी, अंडाकार लम्बे गोल होती है। इसकी मूल में सुगंध नहीं होती है।

अनन्तमूल का बाह्य-स्वरूप

इसकी शाखाएं जो चिकनी अथवा मृदुरोमावृत अथवा अनुलम्ब दिशा में सूक्ष्म धारियों से युक्त होती हैं। पत्तियां अभिमुख क्रम में स्थित, भिन्न-भिन्न आकार की गाढ़े हरे रंग की तथा बीज आदि से अंत तक श्वेत वर्ण की पतली धारी से सुशोभित होते हैं। इसकी शाखा सफेद तथा सुगंधित होती है।

अनन्तमूल के रासायनिक संघठन

अनंतमूल की ताज़ी जड़ में अल्प मात्रा में एक उड़नशील तेल तथा हेमीडेस्ट्रोल एवं हेमीडेस्मोल नामक दो स्टेरोल तथा रेनिन, टैनिन्स, शर्करा, सैपोनिन तथा अल्प मात्रा में ग्लाइकोसाइड आदि तत्व पाये जाते है।

अनन्तमूल के गुण- धर्म

अनंतमूल सारिवा, मधुर, चिकनी, वीर्यकर्त्ता, भारी और अग्नि मंदता, अरुचि, श्वास, खांसी, आम विष, त्रिदोष, रक्त विकार, प्रदर, ज्वर तथा अतिसार को नष्ट करने वाली है।

Subject- Anantmul ke Aushadhiy Gun, Anantmul ke Aushadhiy Prayog, Anantmul ke Labh, Anantmul ke Fayde, Anantmul ke Gharelu Upchar, Anantmul ki Davayen in hindi.

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